जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर नगर निगम की लापरवाही और शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस विनित कुमार माथुर और जस्टिस अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने महेश गहलोत की याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर निगम की सफाई व्यवस्था पर सीधे तंज कसते हुए कहा कि जोधपुर शहर की स्वच्छता की स्थिति अत्यंत दयनीय है।
महेश गहलोत ने अधिवक्ता भीमकांत व्यास के माध्यम से लालसागर वन में आनासागर बांध से मलबा, कचरा हटाने को लेकर याचिका दायर की थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह केवल अनासागर बांध का मामला नहीं है, बल्कि पूरे जोधपुर शहर की स्वच्छता से जुड़ी है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि नगर निगम की लापरवाही भयावह है और अब कोई बहानेबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नगर निगम की ओर से अधिवक्ता ने निर्देशों को पूरा करने और संबंधित सरकारी भूमि से मलबा/कचरा हटाने के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कुछ समय मांगा। मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को की जाएगी।
हाईकोर्ट ने मांगा हलफनामा
हाईकोर्ट ने नगर निगम के अधिवक्ता को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए कहा कि सफाई और मलबा, कचरा हटाने के कार्य के लिए नगर निगम के पास कितने अधिकृत कर्मचारी हैं और उनमें से कितने वास्तव में कार्यरत हैं। नगर निगम जोधपुर शहर में सडक़ों, पार्कों से सफाई और मलबा, कचरा हटाने की कार्ययोजना भी प्रस्तुत करे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि नगर निगम आयुक्त उत्तर और नगर निगम आयुक्त दक्षिण जोधपुर द्वारा हलफनामा अगली सुनवाई पर 16 सितम्बर को पेश नहीं किया, तो कोर्ट दोनों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश देगा।
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