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Jaipur जेकेके में 27वें लोकरंग महोत्सव का हुआ भव्य आगाज, वीडियो में देखें हवामहल का इतिहास

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जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर देश के विराट लोक सांस्कृतिक स्वरूप को साकार करने वाले 27वें लोकरंग महोत्सव का शुक्रवार को आगाज हुआ। मुख्य अतिथि पर्यटन, कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के शासन सचिव रवि जैन और विशिष्ट अतिथि ग्रामीण गैर कृषि विकास अधिकरण (रूडा) की प्रबंध निदेशक डॉ. मनीषा अरोड़ा की उपस्थिति में लोकरंग का झंडा फहराकर उद्घाटन किया गया। शहनाई, नगाड़ा, कच्छी घोड़ी, कठपुतली और नट कला की प्रस्तुति के साथ उद्घाटन की बेला का नजारा देखते ही बना।

इस दौरान केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा अन्य पदाधिकारी व बड़ी संख्या में कलाकार व दस्तकार मौजूद रहे। लोकरंग महोत्सव 28 अक्टूबर तक जारी रहेगा। इसमें प्रात: 11 से रात्रि 10 बजे तक शिल्पग्राम में हस्तशिल्प मेला लगेगा, यहां मुख्य मंच पर शाम 5 से शाम 6:30 बजे तक लोक कला प्रस्तुति होगी, रात्रि 8:30 से रात्रि 10 बजे तक लोक गायन होगा। शाम 4 से 6 बजे तक रंग चौपाल पर लोक नाटकों की प्रस्तुति होगी। मध्यवर्ती में शाम 7 बजे से विभिन्न राज्यों के कलाकार लोक गायन, वादन और नृत्य के साथ लोक संस्कृति की छटा बिखेरेंगे।शिल्पग्राम के मुख्य मंच पर शुक्रवार को चकरी, बम रसिया, कालबेलिया और चरी की प्रस्तुति दी गई। वहीं गायन सभा में भूंगर खान मांगणियार समूह के कलाकारों ने लोक गायन से सभी का मन मोहा। मध्यवर्ती में लोकरंग की रंगत ने सभी का मन मोह लिया। पुष्कर से पहुंचे नाथूराम सोलंकी व साथी कलाकारों की नगाड़ा वादन प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। शंखनाद और नगाड़ों की धमक से केन्द्र प्रांगण गूंज उठा सभी जोश से भर गए।

प्रयागराज के कलाकारों ने ढेढिया नृत्य की प्रस्तुति दी। यह नृत्य राम की अयोध्या वापसी के जश्न के रूप में किया जाता है जिसमें आरती के साथ राम की नजर उतारी जाती है। जम्मू-कश्मीर में विवाह के अवसर पर किए जाने वाले जागरणा नृत्य के साथ कार्यक्रम आगे बढ़ा, महिलाओं द्वारा किए जाने वाले इस नृत्य में पारिवारिक नोकझोंक नजर आती है। शेखावाटी से आए कलाकारों ने चंग की थाप से सभाी को राजस्थान के रंग में रंग दिया। उत्तराखंड के छपेली नृत्य ने त्योंहार और मांगलिक अवसरों पर पुरुष और महिलाओं द्वारा किए जाने वाले छपेली नृत्य ने मन मोहा।

पहली बार लोकरंग का हिस्सा बने चैरो नृत्य की प्रस्तुति खास रही। मिजो समुदाय की ओर से फसल कटाई, विवाह व अन्य उत्सवों में यह नृत्य किया जाता है। जमीन पर बैठकर पुरुष बांस का संतुलन लय के अनुसार बनाते हैं महिलाएं बांस के अनुरूप नृत्य करती हैं। आमजन में यह बैंम्बू डांस के रूप में भी प्रचलित है। हरियाणा के फाग नृत्य ने होली के खुशहाल रंगों से रूबरू करवाया। अंत में पद्मश्री अलंकृत गुलाबो सपेरा व उनके साथी कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति से राजस्थानी संस्कृति की मनमोहक छटा बिखेरी।

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