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राजस्थान के इस इलाके में 6 दिन में मिल रहा सिर्फ 40 मिनट पानी, बिगड़े हालातों में कैसे बुझेगी लाखों लोगों की प्यास

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दौसा शहर की हालत 'चिड़ी को बासो, अन्न घन पानी को प्यासो' जैसी है, यानी दौसा में अनाज तो भरपूर है, लेकिन पानी कम है। यह कहावत दौसा शहर में वर्षों से प्रचलित है और सच भी है। गर्मी शुरू होते ही दौसा शहरवासी पेयजल संकट को लेकर चिंतित हैं। पिछले कुछ दिनों से हालात ऐसे हो गए हैं कि करीब 144 घंटे में मात्र 40 मिनट ही पानी मिल पा रहा है।

कई बार तो यह अंतराल 168 घंटे तक हो गया है। दौसावासियों को ईसरदा से पानी लाने का आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि पेयजल परियोजना को पूरा होने में कई महीने लग जाएंगे। इस बीच पेयजल की व्यवस्था कैसे होगी? गर्मी के मौसम को देखते हुए इसका कारगर समाधान निकालने की जरूरत है। इसमें से 18 से 20 लाख लीटर पानी बीसलपुर परियोजना से सप्लाई हो रहा है। 11 लाख लीटर पानी बाणगंगा-होदायली में लगे ट्यूबवेल से सप्लाई होता है। ऐसे में जल संकट बना रहता है।

लोग खरीद कर पी रहे पानी
शहर में जलदाय विभाग की पेयजल व्यवस्था पर लोग निर्भर नहीं रह पा रहे हैं। पानी भी मीठा नहीं है। ऐसे में खुद के खर्चे पर टैंकर व कैंपर से पानी खरीद कर प्यास बुझानी पड़ रही है।

पानी का रिसाव भी नहीं रुक रहा
शहर में दशकों पुरानी पाइप लाइन से पानी सप्लाई हो रहा है। यह लाइन कई जगह से क्षतिग्रस्त हो रही है। ऐसे में सप्लाई के दौरान पानी लीक हो जाता है। इसके अलावा कई जगह बीसलपुर लाइन से भी पानी लीक हो जाता है। पूरा पानी दौसा तक नहीं पहुंच पाता। इन दिनों शहर में नई पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है, जिसके चलते पुरानी लाइन भी कई जगह से टूट गई है। शनिवार रात को फाल्स वाले बालाजी के पास पेयजल लाइन टूटने से सैकड़ों लीटर पानी बर्बाद हो गया।

आपूर्ति का समय तय नहीं
शहर में पेयजल आपूर्ति का समय भी तय नहीं है। जिस दिन पानी आने की बारी आती है, उस दिन महिलाएं हर पल नल पर निगाहें गड़ाए रहती हैं। अगर कोई चूक गया तो पांच से छह दिन लग जाएंगे। जलदाय विभाग ने जलापूर्ति के लिए करीब 180 टैंकर लगाए हैं, लेकिन आबादी के हिसाब से यह काफी कम है।

बीसलपुर से पिछले कुछ दिनों से कम पानी मिल रहा है। रविवार को भी बमुश्किल पांच लाख लीटर पानी आया। ऐसे में आपूर्ति का समय छह दिन तक पहुंच गया है। अगर बीसलपुर से नियमित निर्धारित 25 लाख लीटर पानी मिले तो अंतराल कम हो सकता है। टैंकरों की संख्या बढ़ाकर 180 कर दी गई है। लीकेज होने पर तत्काल मरम्मत कराई जा रही है। बाणगंगा से पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए टीम काम कर रही है।

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