राजस्थान की लोक-संस्कृति, नारी-सशक्तिकरण और जनभागीदारी का प्रतीक “घूमर महोत्सव” इस वर्ष एक बार फिर पूरे उत्साह के साथ मनाया जाएगा। पर्यटन विभाग ने महोत्सव की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। इसी कड़ी में विभाग की ओर से कार्यक्रम का पोस्टर विमोचन भी किया गया।
महोत्सव को लेकर संयुक्त निदेशक सुमिता सरोच की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें आयोजन से जुड़ी रूपरेखा और कार्यक्रमों पर चर्चा हुई। बैठक में विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन, महिला समूहों और सांस्कृतिक संस्थाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
लोक-संस्कृति और नारी-सशक्तिकरण का संगमघूमर महोत्सव राजस्थान की पारंपरिक लोकसंस्कृति का जीवंत उदाहरण है, जो राज्य की महिला शक्ति, कला और सामाजिक सहभागिता को मंच प्रदान करता है। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य है — ग्रामीण महिलाओं की प्रतिभा को प्रोत्साहन देना और उन्हें सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों से जोड़ना।
संयुक्त निदेशक सुमिता सरोच ने कहा, “घूमर महोत्सव केवल नृत्य या उत्सव नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की आत्मा और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। हम चाहते हैं कि राज्य की हर महिला इस आयोजन का हिस्सा बने और अपनी संस्कृति पर गर्व महसूस करे।”
आयोजन में होंगे अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमपर्यटन विभाग के अनुसार, इस वर्ष घूमर महोत्सव को पहले से अधिक भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा। महोत्सव के दौरान लोक-नृत्य, हस्तशिल्प प्रदर्शनी, पारंपरिक वेशभूषा प्रतियोगिता, लोक-संगीत कार्यक्रम और राजस्थानी व्यंजन मेले जैसे कार्यक्रम शामिल रहेंगे।
इसके साथ ही महिलाओं के लिए स्वरोजगार और हस्तकला से संबंधित कार्यशालाएँ भी आयोजित की जाएँगी। विभाग का लक्ष्य है कि महोत्सव के माध्यम से ग्रामीण महिला उद्यमियों को एक नया मंच मिले, जहाँ वे अपनी कला और उत्पादों को सीधे पर्यटकों तक पहुँचा सकें।
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