जयपुर समेत पूरे राजस्थान में सड़कें लोगों के लिए खतरा बन गई हैं। केंद्र सरकार द्वारा जारी सड़क दुर्घटना रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 से 2022 के बीच देश में गड्ढों के कारण 11,635 दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 4,808 लोगों की जान चली गई। बता दें कि राजस्थान में इसी अवधि में 287 दुर्घटनाओं में 124 लोगों की मौत हुई। इस आंकड़े ने राजस्थान को देश के उन 9 प्रमुख राज्यों में शामिल कर दिया है, जहाँ गड्ढों के कारण सबसे ज़्यादा मौतें हुई हैं।
विभाग ने क्या किया दावा
राज्य सरकार के नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग ने पहले दावा किया था कि अगर कोई सड़क तय समय सीमा से पहले 30 प्रतिशत से ज़्यादा खराब होती है, तो ठेकेदार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड (डीएलपी) तय किया गया था, जिसमें ठेकेदार को सड़क की मरम्मत करनी होती है। लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि न तो सड़कों की गंभीरता से जाँच हुई और न ही दोषियों के ख़िलाफ़ कोई ठोस कार्रवाई की गई।
सड़कों की सूची मांगी गई
पिछले साल विभाग ने सभी नगर निकायों और विकास प्राधिकरणों से डीएलपी के अंतर्गत आने वाली सड़कों की सूची मांगी थी। लेकिन ज़्यादातर निकायों ने सिर्फ़ औपचारिकता निभाई। ठेकेदार इन सड़कों को डीएलपी से बाहर करने के लिए मौसम और बारिश जैसे बहाने बना रहे हैं।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने जताई चिंता
राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी जयपुर की सड़कों की दुर्दशा पर चिंता जताई है। मानसून के दौरान जलभराव, सीवर ओवरफ्लो और सड़कों के टूटने से जनता को भारी परेशानी हो रही है। न्यायालय ने घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करने, तकनीकी लापरवाही बरतने और बिना जाँच के बिल पास करने वालों की ज़िम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं। इन सड़कों के कारण न सिर्फ़ नागरिकों की जान खतरे में है, बल्कि जयपुर जैसे ऐतिहासिक और पर्यटन नगरी की अंतरराष्ट्रीय छवि भी धूमिल हो रही है।
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