भारत और पाकिस्तान संघर्ष विराम के लिए तैयार हो गए हैं. दोनों ही देशों ने इसकी पुष्टि की है. दोनों ही देश एक दूसरे के ख़िलाफ़ सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए तैयार हो गए हैं. अमेरिका ने दावा किया है कि उसने इस सीज़फ़ायर की मध्यस्थता की है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "अमेरिका की मध्यस्थता में हुई एक लंबी बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए ख़ुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल सीज़फ़ायर पर सहमति जताई है."
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी पोस्ट में लिखा, "आतंकवाद के सभी रूप के ख़िलाफ़ भारत ने लगातार कठोर और न झुकने वाला रुख़ अपनाया है. वो ऐसा करना जारी रखेगा."
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक़ डार ने कहा कि उनका देश संघर्ष विराम के लिए तैयार हो गया है.

इसहाक़ डार ने कहा, "तीन दर्जन देश कूटनीतिक प्रयास कर रहे थे. इनमें तुर्की, सऊदी अरब और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो शामिल थे. इसहाक़ ने कहा कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने भी अहम भूमिका निभाई है."
संघर्ष विराम की इस घोषणा से कुछ घंटे पहले तक दोनों देश एक-दूसरे पर हमले कर रहे थे, दोनों ही देश परमाणु हथियार से संपन्न हैं.
शुक्रवार रात पाकिस्तान और भारत दोनों ने ही एक दूसरे के वायु सेना अड्डों को निशाना बनाने और नुक़सान पहुंचाने के दावे किए.
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले की प्रतिक्रिया में 6-7 मई की दरमियानी रात पाकिस्तान के भीतर कई जगहों पर हमले किए. भारत ने अपनी कार्रवाई को "केंद्रित और नपी-तुली'' क़रार दिया.
इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा गया और एक-दूसरे पर ड्रोन से हमले किए. दोनों ने ही एक-दूसरे के ड्रोन और मिसाइल मार गिराने का दावा किया.
नियंत्रण रेखा पर भी भारत और पाकिस्तान के बीच भारी गोलाबारी हुई. पाकिस्तान ने शनिवार सुबह दावा किया कि भारत ने उसके तीन सैन्य हवाई अड्डों को नुक़सान पहुंचाया है.
भारत ने भी पाकिस्तान के हवाई अड्डों पर सटीक हमले करने की पुष्टि की.

शनिवार सुबह भारत में जम्मू और श्रीनगर समेत कई शहरों में धमाके सुने गए. पाकिस्तान ने कहा कि उसने भारत के ख़िलाफ़ ऑपरेशन 'बुनयान अल मरसूस' शुरू किया.
शुक्रवार रात अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार और दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ माइकल कूगलमैन ने कहा था, "भारत और पाकिस्तान युद्ध के बहुत क़रीब पहुंच गए हैं."
लेकिन शनिवार शाम होते-होते दोनों देशों ने सभी तरह की सैन्य कार्रवाई रोकने की घोषणा कर दी.
तेज़ी से बदलते इस घटनाक्रम ने लोगों को हैरान तो किया है लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम होने के संकेत मिलने लगे थे.
रक्षा मामलों के जानकार प्रवीण साहनी कहते हैं, "शनिवार को जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सेना प्रमुखों के साथ मुलाक़ात के बाद ख़बरें आईं कि भारत भविष्य में किसी भी आतंकवादी हमले को युद्ध की कार्रवाई मानेगा तब ही ये स्पष्ट हो गया था कि भारत अब इस मामले में आगे कुछ नहीं चाहता है. "
शनिवार सुबह पाकिस्तान के जवाबी हमले के बाद माइकल कूगलमैन ने लिखा था, "औपचारिक रूप से परमाणु शक्तियां बनने के एक साल बाद 1999 में हुए करगिल युद्ध के बाद से पहली बार ऐसे हालात हैं. ये परमाणु प्रतिरोधक क्षमता की सबसे पड़ी परीक्षा होगी. अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ अब तेज़ी से सक्रिय हो सकते हैं."
विश्लेषक मानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के एक-दूसरे पर मिसाइलें दागने के बाद ये तनाव ऐसे स्तर पर पहुंच गया था जहां से आगे बढ़ना विनाश की तरफ़ जाना था.
रक्षा मामलों की जानकार और मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिफेंस स्टडीज़ की रिसर्च फेलो स्मृति एस पटनायक कहती हैं, "एस्केलेशन लेडर (तनाव के बढ़ने का क्रम) में आगे बढ़ते हुए दोनों ही देश मिसाइल हमलों तक पहुंच गए थे. इसके बाद बात अगर और बढ़ती तो ऑल आउट वॉर की स्थिति होती जो अभी नहीं थी. ऐसे में दोनों देशों में ये समझ बन रही थी कि पूर्ण युद्ध हित में नहीं है."
ज़मीनी स्थिति में क्या बदलाव आएगा?
शनिवार को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से फोन पर बातचीत करने के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बात की.
शाम क़रीब साढ़े पांच बजे दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम का ऐलान हो गया. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या ये संघर्ष विराम बरक़रार रहेगा?
रक्षा मामलों के जानकार और भारतीय सेना के पूर्व ब्रिगेडियर जीवन राजपुरोहित कहते हैं, "ये दोनों ही देश नहीं चाहते और दोनों के हित में नहीं है कि वो लड़ाई जारी रखें. इस संघर्ष विराम का मध्यस्थ अमेरिका है जो पाकिस्तान को हर क़िस्म से मदद करता है और भारत का नया-नया राष्ट्रीय हित भी अमेरिका के साथ है. भारत और अमेरिका के राष्ट्रीय हित मिलते हैं. ऐसे में ये संघर्ष विराम बरक़रार रहेगा. "
प्रवीण साहनी भी मानते हैं कि अमेरिका की मध्यस्थता में हुआ ये संघर्ष विराम टिक पाएगा.
प्रवीण साहनी कहते हैं, "दोनों ही देश सहमत हो गए हैं क्योंकि दोनों के लिए अमेरिका महत्वपूर्ण है. अमेरिका ने ही ये युद्ध रुकवाया है. जहां तक संघर्ष विराम के ठहरने का सवाल है तो ये बरक़रार रहेगा लेकिन दोनों देश उसी स्थिति में रहेंगे जो 6 मई से पहले थी."
"दोनों देशों के बीच चार दिन युद्ध की स्थिति के बाद अब संघर्ष विराम हो तो गया है लेकिन ज़मीनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा. बल्कि आगे हमें भारत और पाकिस्तान की तरफ़ से और अधिक होस्टाइल बयान आएंगे."

भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच दोपहर साढ़े तीन बजे बात हुई और इसके दो घंटे के भीतर संघर्ष विराम हो गया. दोनों देश किन शर्तों पर सहमत हुए हैं अभी इसे लेकर बहुत जानकारी नहीं है.
स्मृति पटनायक कहती हैं कि ये संघर्ष विराम टिकेगा तो लेकिन ये इस बात पर अधिक निर्भर करेगा कि सहमति किन बातों पर हुई है?
पटनायक कहती हैं, "अगर पाकिस्तान पीछे हटा होगा तो भारत को भी ऐसा करने में कोई दिक़्क़त नहीं हुई होगी. ये संघर्ष विराम किन शर्तों पर हुआ है, इसे लेकर अभी बहुत अधिक जानकारी नहीं है. लेकिन ये दोनों देशों को ये सोचने का मौक़ा देगा कि आगे कैसे बढ़ना है."
पटनायक कहती हैं, "12 मई को आगे फिर बात होनी है, तब स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी. भारत आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपने सख़्त रुख़ से समझौता नहीं करेगा. दोनों ही देश आक्रामक हो रहे थे और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता थी. भारत और पाकिस्तान दोनों ही जानते थे कि और आगे बढ़ना हित में नहीं है. भारत ने पहले से साफ़ कर दिया था कि अगर पाकिस्तान तनाव कम करेगा तो भारत भी आगे नहीं बढ़ेगा."
शनिवार सुबह भारत ने अपनी प्रेस वार्ता में जब पाकिस्तान के सैन्यबलों के आगे बढ़ने का दावा किया था तब कहा था कि भारत तनाव को और आगे बढ़ाना नहीं चाहता है.
प्रेस वार्ता में कर्नल सोफ़िया कुरैशी ने कहा था, "पाकिस्तान की सेना की अग्रिम क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती बढ़ती दिख रही है जो स्थिति को और भड़काने की मंशा को दर्शाते हैं.
कर्नल कुरैशी ने कहा था, "भारतीय सशस्त्र बल पूर्ण परिचालन सतर्कता की स्थिति में हैं. भारतीय सशस्त्र बल दोहराते हैं कि वह तनाव वृद्धि नहीं चाहते, बशर्ते पाकिस्तान भी ऐसा ही व्यवहार करे."
विश्लेषक मानते हैं कि भारत ये संकेत दे रहा था कि उसका इरादा स्थिति को और भड़काने का नहीं है.
सैन्य विश्लेषक और भारतीय सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर जीवन राजपुरोहित कहते हैं, "भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही बोल चुके थे कि हमारा इरादा स्थिति को और भड़काने का नहीं है."
"भारत का स्टैंड बहुत स्पष्ट था- भारत ने कहा था कि हम बदला लेंगे और भारत ने बदला लिया. फिर पाकिस्तान की सेना ने ये तय किया कि हम भी बदला लेकर रहेंगे और वहीं से बात आगे बिगड़ती चली गई. अगर पाकिस्तान सात मई को प्रतिक्रिया ना देता तो हालात यहां तक पहुंचते ही नहीं."
वहीं विश्लेषक ये भी मानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा मुद्दा ये था कि इस स्थिति से सम्मानजनक तरीक़े से कैसे निकला जाए.
प्रवीण साहनी कहते हैं, "अभी तक के संकेतों से ये पता चल रहा था कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश आगे लड़ना नहीं चाहते हैं. दोनों ही देश ऑल आउट वॉर की तरफ़ नहीं जाना चाहते थे. दोनों ही ये चाहते थे कि इस स्थिति से 'रेस्पेकटेबल एग्ज़िट' हो."
स्मृति एस पटनायक कहती हैं, "पाकिस्तान की सेना का देश की राजनीति में प्रभाव बहुत अधिक है. पाकिस्तान के बजट का बड़ा हिस्सा सेना पर ख़र्च होता है. ऐसे में पाकिस्तान में ये जनभावना थी कि सेना जवाब दे. ऐसे में पाकिस्तान की सेना पर इस बात का दबाव हो सकता है कि वो देश के लोगों को दिखाए कि उसने जवाब दिया है."
वहीं प्रवीण साहनी कहते हैं कि मौजूदा स्थिति में दोनों ही देश अपनी जनता से ये कह सकते हैं कि उन्होंने सम्मानजनक स्थिति में संघर्ष विराम किया है.
प्रवीण साहनी कहते हैं, "जहां तक युद्ध की इस स्थिति से सम्मानजनक रूप से बाहर निकलने का सवाल है, भारत और पाकिस्तान दोनों को ही लग रहा है कि उन्होंने अपने लक्ष्य हासिल किए हैं. भारत ने पाकिस्तान के भीतर हमले किए जबकि पाकिस्तान ने भारत के लड़ाकू विमान मार गिराने का दावा किया. दोनों ही देश अपने लोगों को समझा सकते हैं कि उन्होंने इससे क्या हासिल किया."

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने शनिवार सुबह एक बयान जारी कर कहा कि पाकिस्तान ने भारत को 'भरपूर' जवाब दे दिया है.
शहबाज़ शरीफ़ ने कहा, "हमारे जवाबी अभियान बुनयान अल मरसूस में ख़ासतौर पर उन भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया जहां से पाकिस्तान पर हमले शुरू हुए थे. आज हमने भारत को भरपूर जवाब दिया है और बेगुनाह लोगों की मौत का बदला ले लिया है."

आगे के हालात पर ब्रिगेडियर जीवन राजपुरोहित का मानना है कि अहम सवाल ये होगा कि क्या पाकिस्तान अपना नज़रिया बदलता है.
राजपुरोहित कहते हैं, "अगर पाकिस्तान अपना नज़रिया बदलता है तो दोनों देशों के बीच सार्थक बातचीत हो सकती है. भारत का ये स्पष्ट रुख़ रहा है कि टेरर और टॉक्स यानी आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं होगी. "
"अब सबसे अहम सवाल ये होगा कि क्या पाकिस्तान आतंकवाद और पीओके यानी पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर पर बात करने को तैयार है. भारत और पाकिस्तान के आगे के रिश्तों का आधार यही होगा."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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