हाल ही में खेली इंग्लैंड-भारत सीरीज के ओवल में पांचवें टेस्ट मैच के दौरान ढेरों रिकॉर्ड बने, लेकिन एक बेहद अहम रिकॉर्ड का जिक्र छूट गया। संयोग से यह रिकॉर्ड तो टेस्ट के पहले दिन सुबह, पहली गेंद फेंकने से पहले ही बन गया था। ओल्ड ट्रैफर्ड में खेले चौथे टेस्ट की टीम से, इंग्लैंड और भारत दोनों ने चार-चार बदलाव किए। आमतौर पर, सीरीज के बीच में इतने बदलाव नहीं किए जाते।
वैसे, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले 5 मौकों पर, सीरीज के बीच, दोनों टीम ने चार-चार बदलाव किए थे:
1. नवंबर 1956 में ऑस्ट्रेलिया और भारत
2. जुलाई 1962 में इंग्लैंड और पाकिस्तान
3. जुलाई 1976 में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज
4. मार्च 1982 में पाकिस्तान और श्रीलंका
5. जुलाई 2015 में पाकिस्तान और श्रीलंका
ऐसे भी मौके हैं जब टीम में चार से भी ज्यादा बदलाव किए गए:
*ऑस्ट्रेलिया में 1994-95 सीरीज: ऑस्ट्रेलिया ने 4 और पाकिस्तान ने 5 बदलाव किए।
*इंग्लैंड में 1959 सीरीज: तीसरे टेस्ट के लिए इंग्लैंड ने 6 और भारत ने 5 बदलाव किए।
* रिकॉर्ड तो जुलाई 2002 में बना जब श्रीलंका में 2 टेस्ट की सीरीज के दूसरे टेस्ट के लिए टीम में, श्रीलंका ने 7 और बांग्लादेश ने 5 बदलाव किए।
यहां, इसी संदर्भ में 1884-85 की सीरीज का जिक्र जरूरी है। तब मैच फीस के विवाद के चलते ऑस्ट्रेलिया ने तो सभी 11 खिलाड़ी बदल दिए थे। ये हुआ मेलबर्न में दूसरे टेस्ट के लिए और तब इंग्लैंड ने टीम में कोई बदलाव नहीं किया था। इस तरह कुल बदलाव की गिनती 11 ही रही। ऑस्ट्रेलिया ने आगे भी बदलाव का सिलसिला जारी रखा। सिडनी में अगले टेस्ट के लिए 7 बदलाव कर दिए (तीन खिलाड़ी तो मैच फीस का झगड़ा खत्म कर लौटे+4 नए खिलाड़ी)। ऑस्ट्रेलिया ने इस सीरीज के पहले तीन टेस्ट में कुल 26 अलग-अलग खिलाड़ियों का इस्तेमाल किया था।
अब वापस ओवल टेस्ट पर लौटते हैं और इसमें किए बदलाव नोट कीजिए:
इंग्लैंड: आउट: बेन स्टोक्स, जोफ्रा आर्चर, लियाम डॉसन, ब्रायडन कार्स; इन: जैकब बेथेल, गस एटकिंसन, जेमी ओवरटन, जोश टंग।
भारत: आउट: ऋषभ पंत, जसप्रीत बुमराह, अंशुल कंबोज, शार्दुल ठाकुर; इन: ध्रुव जुरेल, आकाशदीप, प्रसिद्ध कृष्णा, करुण नायर।
संयोग से, जब कप्तान शुभमन गिल ने टॉस के दौरान टीम में हुए बदलाव के बारे में बात की थी तो वे सिर्फ तीन बदलाव के बारे में बोले और कंबोज की जगह आकाशदीप के खेलने को भूल गए।
वैसे 1959 की इंग्लैंड में भारत-इंग्लैंड सीरीज़ का किस्सा तो कमाल का है। भारत की टूर टीम में 17 खिलाड़ी थे जबकि सीरीज़ के बीच में ही चोटिल विजय मांजरेकर की जगह अब्बास अली बेग को ले लिया। इस तरह टीम कुल 18 खिलाड़ी की हो गई: दत्ता गायकवाड़ (कप्तान), पंकज रॉय (उप-कप्तान), अरविंद आप्टे, अब्बास अली बेग, चंदू बोर्डे, नारी कॉन्ट्रैक्टर, रमाकांत देसाई, जयसिंहराव घोरपड़े, सुभाष गुप्ते, एम एल जयसिम्हा, नाना जोशी (विकेटकीपर), एजी कृपाल सिंह, विजय मांजरेकर, वीएम मुदैया, बापू नादकर्णी, सुरेंद्रनाथ, नरेन तम्हाणे (विकेटकीपर) और पॉली उमरीगर। इनमें से 17 खिलाड़ी, सीरीज में टेस्ट में खेले और सिर्फ मुदैया को ही मौका नहीं मिला।
इस टीम के साथ जुड़ा, बड़ा हैरान करने वाला, एक फैक्ट और भी है। टीम के मैनेजर फतेहसिंहराव गायकवाड़ (बड़ौदा के महाराजा) थे जो तब खुद बड़ौदा के लिए क्रिकेट खेल रहे थे और उम्र थी सिर्फ 29 साल। टूर टीम के कई खिलाड़ी उनसे बड़ी उम्र के थे। ये फैक्ट इस बात का भी संकेत है कि तब टीम मैनेजर बनाते हुए, भारत में किस तरह की क्वालिफिकेशन को महत्व दिया जाता था।
लीड्स में सीरीज़ का तीसरा टेस्ट जब इंग्लैंड ने जीता तो दो दिन से भी ज्यादा का खेल बचा हुआ था। खेल के हर हिस्से में इंग्लैंड बेहतर टीम थी। इस टेस्ट की एक सबसे ख़ास बात ये थी कि दूसरे टेस्ट में खेली दोनों टीम में से 11 खिलाड़ी बदल गए थे:
इंग्लैंड: इन: पार्कहाउस, पुलर, क्लोज, मोर्टिमर, स्वेटमैन और रोड्स। इनमें से पुलर और एच रोड्स ने डेब्यू किया; आउट: मिल्टन, टेलर, हॉर्टन, ग्रीनहॉफ, इवांस और स्टैथम।
भारत: अरविंद आप्टे, दत्ता गायकवाड़, चंदू बोर्डे, बापू नादकर्णी और नरेन तम्हाणे। इनमें से आप्टे ने डेब्यू किया। आउट: नारी कॉन्ट्रैक्टर, विजय मांजरेकर, एजी कृपाल सिंह, एमएल जयसिम्हा और नाना जोशी।
जो खिलाड़ी टेस्ट में खेले उनसे जुड़े कुछ रोचक फैक्ट:
*पीटर मे का ये लगातार 52वां टेस्ट था और एफई वूली के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी की।
*नए टेस्ट क्रिकेटर रोड्स ने शानदार शुरुआत की और अपनी चौथी और बारहवीं गेंद पर विकेट लिए तथा रॉय और बोर्डे को आउट किया।
*स्विटमैन ने मैच में 5 कैच लिए और शानदार विकेटकीपिंग की- एक भी बाई रन नहीं दिया।
*गिल्बर्ट पार्कहाउस का ये लगभग 9 साल बाद पहला टेस्ट था और उन्होंने पहली ही पारी में पुलर के साथ साढ़े तीन घंटे में 146 रन (इंग्लैंड की 26 टेस्ट में सबसे बेहतर ओपनिंग पार्टनरशिप) जोड़े।
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