देश की दिग्गज आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने जब से छंटनी की घोषणा की है तब से आईटी सेक्टर में नया बवाल शुरू हो गया है. इसी बीच कंपनी ने सीनियर पदों पर हायरिंग को फ्रीज कर दिया है और कर्मचारियों के वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी है. इसके पहले कंपनी अपने कुल कार्य बल से दो प्रतिशत यानी लगभग 12000 से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की घोषणा कर चुकी है. अब टीसीएस के फैसले से आईटी सेक्टर और सवालों के घेरे में आ गया है.
ईमेल पर दी जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टीसीएस ने अपने कर्मचारियों को ईमेल के जरिए यह जानकारी दी है कि कुछ समय तक वरिष्ठ पदों पर भर्तियों को स्थगित किया जा रहा है और कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि नहीं की जाएगी.
TCS की छंटनी पर इतना विवाद क्यों ?आईटी सेक्टर में छंटनी का ऐलान करना कोई नई बात नहीं है. माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, गूगल जैसी कई बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने कार्यबल को कम कर चुकी हैं. आईटी कंपनियां अक्सर ऐसे ऐलान करती रहती है. लेकिन टीसीएस की छंटनी की घोषणा पर इतना बवाल क्यों मचा है? आईटी सेक्टर में मचे इस बवाल के पीछे के कई कारण हो सकते हैं.
दरअसल, भारत में टीसीएस की छवि एक सरकारी कंपनी की तरह बन चुकी है. जहां कर्मचारी लंबे समय तक अपने भविष्य को देखते थे. ऐसे में अपने वर्कफोर्स से 2% यानी 12000 कर्मचारियों को बाहर निकालने की घोषणा टीसीएस जैसी कंपनी की छवि पर भारी पड़ रही है.
इसके अलावा टीसीएस भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है. इसके फैसले से आईटी सेक्टर प्रभावित होता है. जानकारों का भी मानना है कि टीसीएस का यह ऐलान केवल उनकी कंपनी को ही नहीं बल्कि भारतीय आईटी सेक्टर में डिमांड की कमी को भी दर्शाता है. केवल यही कंपनी नहीं बल्कि अन्य भारतीय आईटी कंपनी अभी दबाव का सामना कर रही हैं.
टीसीएस पर लगे लेबर कानून उल्लंघन के आरोप आईटी सेक्टर के यूनियन NITES अपने टीसीएस की छंटनी को लेकर हुई घोषणा को नैतिक और अमानवीय बताया. उसके साथ ही उन्होंने इस मामले पर सेंट्रल लेबर मिनिस्टर मनसुख मांडविया से भी शिकायत की. यूनियन का कहना है कि कर्मचारियों को कंपनी के द्वारा जबरन निकाला जा रहा है और लेबर लॉ के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. इस छंटनी को कंपनी ने तुरंत वापस ले लेना चाहिए.
एआई खा रहा नौकारियां?आईटी सेक्टर में आई इस छंटनी की बाढ़ के पीछे एआई को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इसके अलावा टीसीएस की बेंच पॉलिसी भी कर्मचारियों को परेशान कर रही है. हालांकि कंपनी के सीईओ के कृतिवासन की तरफ से सफाई देते हुए कहा गया है कि छंटनी एआई के कारण नहीं हो रही है. बल्कि कूकभ कर्मचारियों की स्किल मैच नहीं हो रही है इसीलिए उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है.
उन्होंने यह भी बताया कि वह अपने कर्मचारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्कील के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं. हालांकि सीनियर लेवल के कर्मचारियों के स्किल का वह उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, जिसके कारण समस्या बन रही है. उन्होंने यह भी कहा कि वह पूरी प्रक्रिया को बहुत सावधानी से पूरी कर रहे हैं ताकि किसी भी क्लाइंट के काम पर कोई भी असर ना हो.
ऐसा माना जा रहा है कि टीसीएस के फैसले के बाद आईटी सेक्टर की अन्य कंपनियां भी यही उदाहरण देकर कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की योजना बना सकती है. यदि ऐसा हुआ तो यह आईटी सेक्टर में नौकरियों का बड़ा संकट खड़ा कर सकता है..
ईमेल पर दी जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टीसीएस ने अपने कर्मचारियों को ईमेल के जरिए यह जानकारी दी है कि कुछ समय तक वरिष्ठ पदों पर भर्तियों को स्थगित किया जा रहा है और कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि नहीं की जाएगी.
TCS की छंटनी पर इतना विवाद क्यों ?आईटी सेक्टर में छंटनी का ऐलान करना कोई नई बात नहीं है. माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, गूगल जैसी कई बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने कार्यबल को कम कर चुकी हैं. आईटी कंपनियां अक्सर ऐसे ऐलान करती रहती है. लेकिन टीसीएस की छंटनी की घोषणा पर इतना बवाल क्यों मचा है? आईटी सेक्टर में मचे इस बवाल के पीछे के कई कारण हो सकते हैं.
दरअसल, भारत में टीसीएस की छवि एक सरकारी कंपनी की तरह बन चुकी है. जहां कर्मचारी लंबे समय तक अपने भविष्य को देखते थे. ऐसे में अपने वर्कफोर्स से 2% यानी 12000 कर्मचारियों को बाहर निकालने की घोषणा टीसीएस जैसी कंपनी की छवि पर भारी पड़ रही है.
इसके अलावा टीसीएस भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है. इसके फैसले से आईटी सेक्टर प्रभावित होता है. जानकारों का भी मानना है कि टीसीएस का यह ऐलान केवल उनकी कंपनी को ही नहीं बल्कि भारतीय आईटी सेक्टर में डिमांड की कमी को भी दर्शाता है. केवल यही कंपनी नहीं बल्कि अन्य भारतीय आईटी कंपनी अभी दबाव का सामना कर रही हैं.
टीसीएस पर लगे लेबर कानून उल्लंघन के आरोप आईटी सेक्टर के यूनियन NITES अपने टीसीएस की छंटनी को लेकर हुई घोषणा को नैतिक और अमानवीय बताया. उसके साथ ही उन्होंने इस मामले पर सेंट्रल लेबर मिनिस्टर मनसुख मांडविया से भी शिकायत की. यूनियन का कहना है कि कर्मचारियों को कंपनी के द्वारा जबरन निकाला जा रहा है और लेबर लॉ के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. इस छंटनी को कंपनी ने तुरंत वापस ले लेना चाहिए.
एआई खा रहा नौकारियां?आईटी सेक्टर में आई इस छंटनी की बाढ़ के पीछे एआई को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इसके अलावा टीसीएस की बेंच पॉलिसी भी कर्मचारियों को परेशान कर रही है. हालांकि कंपनी के सीईओ के कृतिवासन की तरफ से सफाई देते हुए कहा गया है कि छंटनी एआई के कारण नहीं हो रही है. बल्कि कूकभ कर्मचारियों की स्किल मैच नहीं हो रही है इसीलिए उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है.
उन्होंने यह भी बताया कि वह अपने कर्मचारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्कील के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं. हालांकि सीनियर लेवल के कर्मचारियों के स्किल का वह उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, जिसके कारण समस्या बन रही है. उन्होंने यह भी कहा कि वह पूरी प्रक्रिया को बहुत सावधानी से पूरी कर रहे हैं ताकि किसी भी क्लाइंट के काम पर कोई भी असर ना हो.
ऐसा माना जा रहा है कि टीसीएस के फैसले के बाद आईटी सेक्टर की अन्य कंपनियां भी यही उदाहरण देकर कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की योजना बना सकती है. यदि ऐसा हुआ तो यह आईटी सेक्टर में नौकरियों का बड़ा संकट खड़ा कर सकता है..
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