वाराणसी। कानपुर की शिवाला की निवासी 74 वर्षीय इंद्रा देवी को उनकी बेटी और दामाद ने काशी के मणिकर्णिका घाट पर छोड़ दिया था। अब, उनकी बेटी और दामाद ने इस घटना के लिए माफी मांगी है और आश्वासन दिया है कि वे बुजुर्ग मां की देखभाल करेंगे। बेटी ने बताया कि उनकी मां काशी जाने की जिद कर रही थीं और महाकाल के दरबार में जाने की इच्छा व्यक्त कर रही थीं। रविवार को गुस्से में आकर उन्होंने उन्हें छोड़ दिया।
बेटी की सफाई अब दलील दे रही बेटी
इंद्रा देवी को वाराणसी के कबीरचौरा स्थित लावारिस वार्ड में भर्ती किया गया है। उनकी बेटी रीता अब उन्हें लेने आई हैं और अपनी गलती का एहसास कर रही हैं। बुजुर्ग महिला के पास लाखों की संपत्ति है, जिसमें कानपुर में एक सफल दुकान भी शामिल है, जिसे दामाद चलाता है। बेटी ने कहा कि मां पिता की मृत्यु के बाद बीमार रहने लगी थीं और वे उनकी देखभाल करती थीं। उन्होंने कहा कि वह हर 3-4 दिन में उन्हें वापस लेने का विचार कर रही थीं।
महिला की भावनाएं रो रही थी महिला
तीन दिन तक इंद्रा देवी मणिकर्णिका घाट पर रहीं। सोमवार को जब वह सफाईकर्मी के साथ शौच के लिए गईं, तो उन्होंने अपनी बेटी को याद करते हुए बहुत रोया। बुजुर्ग महिला ने बताया कि उनका कोई बेटा नहीं है, केवल एक बेटी है, जिसने उन्हें यहां छोड़ दिया। उनके पास एक बैग में ग्लास, कटोरी, चम्मच और कपड़े मिले हैं। बेटी ने उन्हें एक पैसा भी नहीं दिया। जब वह बेटी का नाम सुनती हैं, तो वह रो पड़ती हैं, लेकिन नाम बताने से इनकार करती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बेटी ने मां को अपने साथ रखने से मना कर दिया है।
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