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अनुपमा चोपड़ा की फिल्म समीक्षकों की दुनिया में यात्रा

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फिल्म समीक्षकों की चुनौतियाँ

फिल्मों की समीक्षा करना आज के समय में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि किसी भी टिप्पणी से किसी की भावनाएँ आहत हो सकती हैं। फिर भी, भारत में कुछ फिल्म समीक्षक हैं जिन्होंने प्रिंट और डिजिटल पत्रकारिता का अनुभव लिया है और वे अपने क्षेत्र में शीर्ष पर बने हुए हैं। अनुपमा चोपड़ा, एक प्रमुख फिल्म समीक्षक, ने इंडिया टीवी के 'द फिल्मी हसल' पॉडकास्ट में अक्षय राठी के साथ अपने अनुभव, फिल्म उद्योग और बॉलीवुड की गिरती प्रतिष्ठा पर खुलकर बात की।


करण जौहर का अनुपमा चोपड़ा के प्रति बयान

अनुपमा चोपड़ा ने फिल्म कम्पैनियन पर एक राउंड टेबल चर्चा के दौरान करण जौहर से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि करण ने कहा था कि वह उन तीन लोगों में से हैं जिन्हें वह नहीं खरीद सकते। अनुपमा ने कहा, 'जब करण ने यह कहा, तो मुझे यह सुनकर अच्छा नहीं लगा। यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं।'


फेक रिव्यू का बॉलीवुड पर प्रभाव

अनुपमा ने फेक रिव्यूज और विज्ञापनों के माध्यम से बनाई गई झूठी कहानियों के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि ये फेक रिव्यू बॉलीवुड को कैसे नुकसान पहुँचा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'फिल्म निर्माता इस भ्रम में जीते हैं कि वे जो पढ़ रहे हैं वह सच है, लेकिन वे भूल जाते हैं कि उन्होंने सकारात्मक लेखन के लिए पैसे खर्च किए हैं। इससे गुणवत्ता में गिरावट आती है और प्रयास कम हो जाते हैं।'


विधु विनोद चोपड़ा का प्रेरणादायक योगदान

जब अनुपमा से उनके स्टार्ट-अप फिल्म कम्पैनियन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि वह 30 वर्षों से पत्रकारिता कर रही हैं, लेकिन व्यवसायी बनने के कौशल में कमी महसूस करती हैं। उन्होंने कहा कि उनके पति विधु विनोद चोपड़ा ने उन्हें इस स्टार्ट-अप को शुरू करने के लिए प्रेरित किया। अनुपमा ने कहा, 'जब MAMI मुंबई फिल्म फेस्टिवल आया, तो मैंने फिल्म कम्पैनियन को उतना महत्व नहीं दिया। लेकिन अब मुझे लगता है कि अगर मैंने कुछ अलग किया होता, तो परिणाम बेहतर होते।'


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