भारतीय शेयर बाजार ने लगातार आठवें दिन गिरावट का सामना किया है, जो पिछले दो वर्षों में सबसे लंबी गिरावट मानी जा रही है। शुक्रवार को बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल मार्केट कैप 400 लाख करोड़ रुपये से नीचे चला गया, जो जून 2024 के बाद पहली बार हुआ है। इस गिरावट ने निवेशकों को गंभीर चिंता में डाल दिया है।
शेयर बाजार के आंकड़े
बीएसई सेंसेक्स: 199.76 अंक की गिरावट के साथ 75,939.21 पर बंद हुआ।
एनएसई निफ्टी: 102 अंक की कमी के साथ 23,929 पर बंद हुआ।
निफ्टी 50 में से 39 स्टॉक्स लाल निशान में बंद हुए।
यह पिछले हफ्ते की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है।
गिरावट का प्रभाव
इस गिरावट के कारण बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों की कुल मार्केट वैल्यू लगभग 26 लाख करोड़ रुपये कम हो गई है। इसके अलावा, 2024 के पहले दो महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 1.12 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए हैं।
वैश्विक बाजारों की तुलना
भारत: इस वर्ष अब तक मार्केट कैपिटलाइजेशन में 18.33% की कमी आई है।
जिम्बाब्वे: 18.3% की गिरावट।
आइसलैंड: 18% की गिरावट।
अमेरिका: 3% की वृद्धि।
चीन और जापान: 2.2% की वृद्धि।
हांगकांग, कनाडा, यूके, और फ्रांस में क्रमशः 1.2%, 7.2%, 7.1% और 9.9% की वृद्धि देखी गई है।
अमेरिकी नीतियों का प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएस इंपोर्ट्स पर टैक्स लगाने वाले देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की योजना बनाई है। हालांकि, इसे अप्रैल तक टाल दिया गया है, लेकिन इसका असर वैश्विक बाजारों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है, जिससे भारतीय बाजार भी प्रभावित हो रहा है।
भविष्य की संभावनाएँ
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपने निवेश को निकालना जारी रखते हैं और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बनी रहती है, तो बाजार में और गिरावट संभव है। हालांकि, भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और आगामी लोकसभा चुनावों के कारण दीर्घकालिक निवेशकों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
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