यह घटना 8 अक्टूबर 2001 को बांग्लादेश में हुई थी। अनिल चंद्र अपने परिवार के साथ सिराजगंज में रहते थे, जिसमें उनकी दो बेटियाँ, पूर्णिमा और एक 6 वर्षीय छोटी बेटी शामिल थीं। उनके पास जीवन यापन के लिए पर्याप्त भूमि थी।
हालांकि, उनकी एक गलती थी - एक हिंदू परिवार के रूप में बांग्लादेश में रहना। यह बात कुछ उन्मादी तत्वों को बर्दाश्त नहीं हुई।
इस दिन, अब्दुल अली और उनके साथियों ने अनिल चंद्र के घर पर हमला किया, उन्हें पीटा और अपमानित किया।
जब ये लोग अनिल चंद्र की 14 वर्षीय बेटी पर हमला कर रहे थे, तब उसकी माँ ने बेबसी में कहा, "अब्दुल अली, एक-एक करके करो, नहीं तो वो मर जाएगी।"
इसके बाद, उन्होंने अनिल चंद्र की छोटी बेटी के साथ भी दुष्कर्म किया और पड़ोसियों को धमकी दी कि वे मदद न करें।
यह घटना बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने अपनी किताब "लज्जा" में भी लिखी है, जिसके कारण उन्हें देश छोड़ना पड़ा।
यह घटना इस्लामिक देशों में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले अत्याचारों का एक उदाहरण है। बांग्लादेश में हिंदुओं की जनसंख्या में भारी कमी आई है।
भारत में कुछ लोग, जैसे हामिद अंसारी, कहते हैं कि उन्हें डर लगता है, जबकि उनकी जनसंख्या में वृद्धि हुई है।
यदि आप भी इस विषय पर विचार करते हैं, तो बांग्लादेश या पाकिस्तान की किसी पूर्णिमा की घटना को इंटरनेट पर खोजें। इससे आपका दृष्टिकोण बदल सकता है।
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