गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है, जिसमें अर्जुन की छाल एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह छाल स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है और डायबिटीज जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करती है। आयुर्वेद में इसे औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है, और इसे काढ़े या पाउडर के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसके नियमित सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
अर्जुन का पेड़ एक सदाबहार प्रजाति है, जिसकी ऊंचाई 60 से 80 फीट तक होती है। इसकी पत्तियाँ अमरूद की पत्तियों के समान होती हैं और यह हिमालय की तराई और शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में नदियों के किनारे पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम टर्मिनेलिया अर्जुना है।
डायबिटीज के लिए अर्जुन की छाल का महत्व
डायबिटीज के रोगियों के लिए अर्जुन की छाल अत्यंत लाभकारी है। इसमें विशेष एंजाइम्स और एंटीडायबिटिक गुण होते हैं, जो किडनी और लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाकर रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसके नियमित सेवन से कुछ ही दिनों में परिणाम दिखने लगते हैं। इसके लिए, अर्जुन की छाल को देसी जामुन के साथ मिलाकर पाउडर बनाना होता है, जिसे सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।
दिल की सेहत के लिए अर्जुन की छाल
दिल से संबंधित बीमारियों के लिए भी अर्जुन की छाल फायदेमंद है। इसमें ट्राइटरपेनॉइड्स नामक रसायन पाया जाता है, जो दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करता है और हार्ट अटैक से बचाने में मदद करता है। यह उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी सहायक है।
कैंसर के खतरे को कम करने में अर्जुन की छाल
अर्जुन की छाल कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक है। यह कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मदद करती है। यदि इसे गर्म दूध के साथ लिया जाए, तो यह ब्रेस्ट कैंसर से बचाने में मदद कर सकती है। इसमें मौजूद कैसुरिनिन नामक रसायन कैंसर कोशिकाओं को समाप्त करने में सक्षम है।
पाचन शक्ति में सुधार
अर्जुन की छाल का पानी पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। यह गैस्ट्रिक अल्सर और एसिडिटी के लक्षणों को कम करने में भी मदद करती है।
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