कई लोग दूसरों के मामलों में दखल देने की आदत रखते हैं। जब आप कुछ करते हैं, तो वे अपनी राय देने या आपका मजाक उड़ाने में पीछे नहीं रहते। लेकिन एक पुरानी कहावत है, 'लोगों का काम है कहना।' आपको हमेशा अपने मन की सुननी चाहिए। सभी की बातें सुनें, लेकिन वही करें जो आपको सही लगे। अन्यथा, आप जीवन में कभी भी खुश नहीं रह पाएंगे। आइए, इस विचार को एक कहानी के माध्यम से समझते हैं।
जब बूढ़ा आदमी गधे और लोगों की बातों में उलझा
एक समय की बात है, एक बूढ़ा व्यक्ति अपने बेटे के साथ गधा लेकर बाजार जा रहा था। रास्ते में एक व्यक्ति ने कहा, 'इस गधे का क्या फायदा है जब इस पर कोई बोझ नहीं है? आप में से कोई एक इस पर बैठ क्यों नहीं जाता?' यह सुनकर बूढ़े ने अपने बेटे को गधे पर बैठा दिया।
कुछ आगे बढ़ने पर एक और व्यक्ति ने कहा, 'क्या जमाना आ गया है! कामचोर लड़का गधे पर बैठा है और बूढ़ा पिता उसके पीछे चल रहा है।' यह सुनकर बूढ़े ने बेटे को गधे से उतारकर खुद उस पर बैठ गया। कुछ दूर चलने के बाद, कुछ महिलाओं ने कहा, 'देखो, बूढ़ा आराम से बैठा है और बच्चे को पैदल दौड़ा रहा है। उसे बच्चे को भी गधे पर बैठाना चाहिए।' यह सुनकर बूढ़े ने बेटे को फिर से गधे पर बैठा लिया।
अब एक और व्यक्ति ने कहा, 'क्या निर्दयी लोग हैं! एक साथ दो लोग गधे पर बैठ गए। इन्हें दया नहीं आई।' यह सुनकर बूढ़े को गुस्सा आया। उसने सोचा, 'समझ नहीं आता, क्या करूं? अगर गधे पर कोई नहीं बैठता तो लोग घूरते हैं। अगर कोई बैठता है तो लोग बुरा कहते हैं। और अगर हम दोनों बैठ जाएं तो निर्दयी कहेंगे।' अंततः, बूढ़े और बेटे ने बाकी का रास्ता बिना गधे पर कोई बोझ डाले तय किया।
कहानी से सीख
दुनिया में हर प्रकार के लोग होते हैं। वे आपको छोटी-छोटी बातों पर टोकेंगे और सलाह देंगे कि क्या करना चाहिए। लेकिन आपको वही करना चाहिए जो आपके मन को सही लगे। लोगों की बातों में आकर कोई निर्णय न लें, वरना पछताते रहेंगे। सभी की सुनें, लेकिन अपने मन की करें।
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