किसी भी इंसान लगता है कि सामने वाला चिल्ला रहा है या फिर ऊंची आवाज में बात कर रहा है तो वह अपमान कर रहा है. ऐस जरूरी नहीं है कि ऊंची आवाज में बात करना अपमान है. चुपचाप रहकर भी लोग दूसरों का अपमान करते हैं. अधिकतर लोगों को लगता है अपमान तब होता है जब कोई ऊंची आवाज में बात करता है या फिर चिल्लाता है. लेकिन ऐसा सच नहीं है कई बार इंसान बिना चिल्लाए भी अपमान करता है. आइए जानते हैं चुपचाप किस तरह से अपमान करता है.
डिजिटल मल्टीटास्किंग करना
आपसे बातचीत के दौरान मोबाइल पर चैट करना या फिर सोशल मीडिया देखना भी संकेत देता है कि वह आपके लिए जरूरी नहीं है. यह बर्ताव आपको नॉर्मल लग सकता है लेकिन यह अपमान होता है.
दूसरों को इंतजार कराना
किसी से मिलने पर तय समय पर जाना चाहिए. किसी भी इंसान को लंबे समय तक इंतजार नहीं करना चाहिए. किसी का समय बर्बाद करना भी अपमानजनक है. दूसरे के समय का सम्मान करना चाहिए.
किसी की अवहेलना
आज के समय में अधिकतर लोग पहले खुब बात करते हैं फिर अचानक नजरअंदाज कर देते हैं. बिना बताए मैसेज और कॉल का जवाब ना देना भी सामने वाले का अपमान है. किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए ईमानदार होना जरूरी है.
बेमन तारीफ करना
कभी-कभी लोग तारीफ के नाम पर आलोचना करते हैं जो कि अपमान बन जाता है. जैसे इतने कम दिनों में प्रमोशन वाह हैरानी वाल बात.. यह सुनने भी भले ही तारीफ लगती है लेकिन यह तारीफ नहीं बल्कि अपमान है.
भावनाओं को ना समझना
हर इंसान की भावनाएं बहुत ही अलग-अलग होती है. किसी के भी दुख या डर को यह बोलकर टाल देना कि अरे इसमें टेंशन की क्या बात है. दरअसल यह सामने वाले इंसान की भावनाओं को नकारना है. इस व्यहार से सामने वाला अपमानित महसूस हो सकता है.
दूसरों को बात काटना
किसी को बोलते समय बीच में टोकना या उनकी राय को नजरअंदाज करना भी अपमान करना होता है. इससे ना केवल सामने वाले को बुरा लगता है बल्कि इंसान की इमेज घमंडी और इंसेंसिटिव भी होती है.
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