साल 2025 की तीसरी तिमाही भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए बेहद खास रही. ये तिमाही सिर्फ बिक्री के आंकड़ों के लिए नहीं, बल्कि रणनीतिक सौदों और निवेशों के लिए जानी जाएगी. Grant Thornton Bharat Q3 2025 Automotive Dealtracker रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में ऑटो सेक्टर में कुल 30 बड़े सौदे हुए, जिनकी कुल कीमत करीब 4.6 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹38,000 करोड़) रही. ये पिछले एक साल की सबसे मजबूत तिमाही साबित हुई.
भारत का सबसे बड़ा ऑटोमोटिव आउटबाउंडइस तिमाही का सबसे बड़ा आकर्षण रहा, द्वारा इवेको S.P.A. का 3.8 अरब डॉलर में अधिग्रहण, जो अब तक का भारत का सबसे बड़ा ऑटोमोटिव आउटबाउंड सौदा है. इस एक सौदे ने कुल डील वैल्यू का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा अपने नाम किया और भारत की वैश्विक महत्वाकांक्षा को एक नया आकार दिया. हालांकि, अगर इस बड़े डील को छोड़ दिया जाए, तो बाकी सौदों की कुल वैल्यू 36 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. ये दिखाता है कि भारतीय ऑटो उद्योग का भविष्य सिर्फ बड़े अधिग्रहणों पर नहीं, बल्कि नई तकनीक, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और ग्लोबल नेटवर्क पर निर्भर है.
भारत का बढ़ता वैश्विक प्रभावभारतीय कंपनियां अब सिर्फ ऑटो पार्ट्स सप्लायर नहीं रहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर मोबिलिटी सॉल्यूशन प्रोवाइडर बन रही हैं. समवर्धना मथरसन इंटरनेशनल ने एशिया और यूरोप में तीन विदेशी कंपनियां खरीदीं, जिससे उसकी वैश्विक पकड़ और मजबूत हुई.
ईवी और स्टार्टअप में निवेश का बढ़ता भरोसाप्राइवेट निवेशकों का झुकाव अब भारत के ईवी और मोबिलिटी स्टार्टअप्स की ओर तेजी से बढ़ा है. इस तिमाही में 23 प्राइवेट इक्विटी डील्स हुईं, जिनकी वैल्यू लगभग 531 मिलियन डॉलर रही. इनमें सबसे बड़ी डील Prosus और WestBridge Capital की Rapido में 271 मिलियन डॉलर की निवेश रही. Grant Thornton Bharat के ऑटो इंडस्ट्री लीडर साकेत मेहरा के मुताबिक, ये तिमाही एक रणनीतिक पुनर्गठन का दौर है. सरकार की GST 2.0 और टैरिफ सुधार नीतियां ऑटो सेक्टर की संरचना को नई दिशा दे रही हैं. ये नतीजा इस बात का संकेत है कि भारत का ऑटो उद्योग न केवल घरेलू स्तर पर, बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है. ये तिमाही भारत की ऑटोमोबाइल वृद्धि यात्रा में एक अहम मोड़ साबित हुई है.
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