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B.Ed कोर्स हुआ खत्म, अब टीचर बनने के लिए ये 1 साल का नया कोर्स जरूरी

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Bihar Education News:शिक्षा के मैदान में अब बड़ा धमाका होने जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद और शिक्षा मंत्रालय ने मिलकर शिक्षक प्रशिक्षण की सूरत बदलने की तैयारी पूरी कर ली है।

2025 से नए नियम लागू होंगे, जिनका असर हर उस छात्र पर पड़ेगा जो बीएड या डीएलएड करके शिक्षक बनने का ख्वाब देख रहा है।अब एक साथ बीएड और डीएलएड दोनों करना नामुमकिन होगा। नई व्यवस्था कहती है कि छात्र एक वक्त में सिर्फ एक ही कोर्स करेंगे, जिससे उनकी पढ़ाई गहन और केंद्रित रहेगी। यानी अब ‘एक तीर से दो निशाने’ की चाल बंद होगी।

सबसे बड़ा और क्रांतिकारी कदम है छह महीने की अनिवार्य इंटर्नशिप। यह इंटर्नशिप केवल मान्यता प्राप्त स्कूलों में होगी, ताकि भावी शिक्षक कक्षा की असली चुनौतियों से गुजर सकें। किताबों तक सीमित रहने का दौर खत्म, अब वास्तविक कक्षा का अनुभव ही असली पहचान बनेगा।राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने साफ कर दिया है कि सिर्फ मान्यता प्राप्त संस्थानों की डिग्री ही मान्य होगी। फर्जी और गैर-मान्यता प्राप्त कॉलेजों की डिग्रियां अब कूड़ेदान में जाएंगी। इसका मतलब है दाखिले से पहले संस्थान की मान्यता की जांच जरूरी होगी।

ऑनलाइन डिग्री का खेल भी खत्म! बीएड और डीएलएड को पूरी तरह ऑनलाइन करने की इजाजत नहीं होगी। थ्योरी मॉड्यूल भले ही ऑनलाइन मिलें, लेकिन इंटर्नशिप, प्रैक्टिकल और ट्रेनिंग क्लासें सिर्फ ऑफलाइन होंगी। असली मकसद है कि शिक्षक किताबी नहीं, बल्कि व्यवहारिक ज्ञान से लैस हों।एक और बड़ा बदलाव है 1 वर्षीय नया बीएड कोर्स। यह कोर्स उन्हीं छात्रों के लिए होगा जिन्होंने चार वर्षीय स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री पूरी कर ली है। 2026-27 से शुरू होने वाले इस कोर्स की अवधि दो सेमेस्टर होगी। सामान्य वर्ग के लिए 50% और EWS वर्ग के लिए 45% न्यूनतम अंक जरूरी होंगे। राहत की बात यह है कि इस कोर्स में उम्र की कोई सीमा नहीं रखी गई है।

इन सुधारों का सबसे बड़ा फायदा छात्रों और समाज दोनों को मिलेगा। शिक्षक अब केवल सैद्धांतिक ज्ञान लेकर कक्षा में प्रवेश नहीं करेंगे, बल्कि उनके पास बच्चों को समझने और आधुनिक तकनीकों से पढ़ाने का असली अनुभव भी होगा। नतीजतन, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और बच्चे ज्यादा प्रभावी तरीके से सीख पाएंगे।शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद का मानना है कि सिर्फ किताबें नहीं, कक्षा का असली अनुभव ही बनाता है असली गुरु। यही वजह है कि अब प्रशिक्षण में इंटर्नशिप और प्रैक्टिकल को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।

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