ग्रेविओला जिसे हिंदी में रामफल कहते है, ज्यादातर अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिणपूर्व एशिया के बरसाती जंगलों में पाया जाता है। कुछ साल पहले जब इसके बारे में नए रिसर्च किये गए तो पता चला की इसके रस में कई ऐसे तत्व होते है जो कैंसर का इलाज करने में काम आ सकता है। यह तत्व यकृत और स्तन कैंसर के कीटाणुओं को मारने की क्षमता रखतें है। यह शरीफे की तरह दिखने वाला फल भारत के कई इलाकों में भी मिलता है जैसे हैदराबाद जो तेलंगाना की राजधानी है। यहाँ की भाषा “तेलुगु” में भी इसे रामफल ही कहतें हैं। क्या रामफल सचमुच कैंसर को मारने की क्षमता रखता है। चलिये देखते है की इस खट्टे फल की क्या क्या खास बातें है और ये कैसे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
ग्रेविओला या रामफल मिलता कहाँ है ?रामफल का पेड़ एक सदाबहार पेड़ है जो क्यूबा, मध्य अमेरिका, मैक्सिको, कोलंबिया, ब्राजील, पेरू, वेनेजुएला और अन्य अमेज़न के वर्षावन क्षेत्रों में पाया जाता है. यह फल लाखों कैंसर के रोगियों के लोगों के साथ-साथ उनके डॉक्टरों के लिए आशा की एक किरण के रूप में आता है। इसका वैज्ञानिक नाम एनोना मुरिकाता है, और इस फल को कैंसर के प्राकृतिक इलाज के रूप में पूरे समुदाय के लिए एक भगवान का उपहार माना जा सकता है। वैसे कई परिक्षण किए गए हैं लेकिन इसे कैंसर के लिए एक सिद्ध उपचार के रूप में घोषित करने से पहले बहुत और परिक्षण करने की जरूरत है. अभी तक के रिसर्च से ये माना जा रहा है के ये फल कैंसर के इलाज़ में काफी कारगर हो सकता है। ग्रेविओला , पत्ते, पाउडर, कैप्सूल के रूप में और यहां तक कि तरल रूपों में विभिन्न रूपों में उपलब्ध है।
रामफल या ग्रेविओला (Graviola) के अन्य प्रचलित नामस्पेन के लोग इस फल को गुआनबाणा फल कहते हैं. पुर्तगाल में इसे ग्रेविओला ही कहा जाता हैं. ब्राजील के लोग इसे गुआनावाना, डूरियन बंगला, करोसोलिएर, गंदा, गुयाबानो, टोगे बांरेसि, नंगका ब्लॉन्डा, सिर्सक तथा नंगका लोंडा के नामों से बुलाते हैं. केरल में यह कांटों के साथ शरीफा और मुल्लथा के नाम से जाना जाता है. भारत के अन्य क्षेत्रों में यह शूल, रामफल तथा हनुमान फल के नाम से जाना जाता है. यह फल बहुत बड़े साइज़ का होता है. यह स्वाद में खट्टा फल होता है. इस फल को कच्चा ही खाया जाता है. इस फल के गूदे और रस का शर्बत तैयार किया जाता है. इस फल के कैंसर से लड़ने वाले गुण सराहनीय हैं. रिसर्च के अनुसार यह कीमोथेरेपी से कई हजारो गुना अधिक प्रभावी सिद्ध हो सकता है.
रामफल या ग्रेविओला (Graviola) के स्वास्थ्य लाभ तथा गुण
इससे भी बड़ी बात ये है कि यह एक प्राकृतिक फलों का रस है, इसलिए किसी भी तरह का साइड इफ़ेक्ट नहीं होता।
वैसे ग्रेविओला कई तरह के इलाज में उपयोग किया जाता है, यह मुखयतः अपने कैंसर विरोधी प्रभाव के लिए बहुत लोकप्रिय हो गया है।
पेट के कीड़े और परजीवी इस फल से स्वाभाविक रूप से मारे जाते है।
इसमें कोई शक नहीं कि ग्रेविओला कैंसर की रोकथाम का काम करता है।
ग्रेविओला उच्च रक्तचाप के प्रबंधन और उपचार में भी प्रयोग किया जाता है।
अपने एंटीबायोटिक या माइक्रोबियल विरोधी गुणों के कारण ग्रेविओला फंगल संक्रमण से लड़ने में अद्भुत काम करता है।
तनाव, अवसाद और तंत्रिका संबंधी विकार से पीड़ित लोगों को इस फल लेने के बाद सकारात्मक परिणाम दिखाई दिए है।
ग्रेविओला पेड़ कहीं भी आसानी से उगाया जा सकता है जैसे हैदराबाद और कई दूसरे जगहों पर।
रामफल या ग्रेविओला (Graviola) के आयुर्वेदिक तथा औषधीय गुण
इसकी पत्तियां कैंसर कोशिकाओं को मारने में समान रूप से प्रभावी हैं ।
यह कैंसर की कोशिकाओं को मारता है और एक प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में प्रभावी है ।
जो इस फल का उपयोग करता है, उसका समग्र दृष्टिकोण में सुधार आता हैं ।
यह पेड़ और इसके हिस्से कई घातक संक्रमण के खिलाफ काम करतें है ।
केमो चिकित्सा के विपरीत इससे वजन घटना, बालों का झडना और मतली जैसे में कोई साइड इफेक्ट नहीं है ।
चाहे उपचार कितने दिन भी चले , आप हमेशा मजबूत और स्वस्थ महसूस करते हैं ।
ग्रेविओला का रस एक प्रतिरक्षा प्रणाली बूस्टर और रक्षक का काम करता है।
ग्रेविओला (Graviola) के पेड़ के रस पीने के लाभ
इसका रस पेट के कैंसर, स्तन कैंसर, प्रोस्ट्रेट कैंसर, अग्नाशय के कैंसर और फेफड़ों के कैंसर कोशिकाओं को मारता है कैंसर कोशिकाओं को मारने के क्रम में यह स्वस्थ कोशिकाओं को कोई नुकसान नहीं करता है।
ग्रेविओला (Graviola) के और भी औषधीय उपयोग किये जाते है
ग्रेविओला पेड़ की छाल, जड़ और यहां तक कि फल के बीज विभिन्न स्वास्थ्य के मुद्दों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया है, जैसे :
खराब लिवर
दिल के रोग
दमा
गठिया और जोड़ों से संबंधित बीमारियों
दोस्तों हम दुआ करते है कि भगवान हम सब को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करे. फिर भी अगर किसी को इस तरह की कोई प्रॉब्लम या बिमारी है तो इस फल को अपने डाक्टर की सलाह से अपनाकर जरुर देखें. क्योंकि एक प्राकृतिक साधन होने के कारण इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है. दोस्तों इस पोस्ट को पढ़ें और शेयर जरुर करें. शायद किसी जरूरतमंद के काम आ जाए.
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