RBI ने अक्टूबर में लगाई बैंकिंग रिफॉर्म्स की झड़ी, जानिए इनके फायदेआरबीआई ने अधिग्रहण की फाइनेंसिंग से जुड़े नियमों का ऐलान मॉनेटरी पॉलिसी के साथ किया। पहले बैंकों को अधिग्रहण के लिए पैसे देने की इजाजत नहीं थी। 2008 में टाटा मोटर्स को JLR के अधिग्रहण के लिए मॉरीशस से पैसे जुटाने पड़े थे.
आरबीआई ने अक्टूबर के पहले हफ्ते में बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर से जुड़े कई नियमों में बदलाव का ऐलान किया। सबसे पहले उसने 1 अक्टूबर को मॉनेटरी पॉलिसी पेश करने के दौरान कुछ ऐलान किए। उसके बाद कंपनियों को विदेश से कर्ज जुटाने के नियमों में बदलाव के प्रस्ताव का ऐलान किया। आखिर में 7 अक्टूबर को रेगुलेटर ने अलग-अलग कैटेगरी के लोन के लिए कैपिटल अलग रखने के नियमों का ड्राफ्ट पेश किया।
अधिग्रहण के लिए भी बैंक देंगे कर्ज
आरबीआई ने अधिग्रहण की फाइनेंसिंग से जुड़े नियमों का ऐलान मॉनेटरी पॉलिसी के साथ किया। पहले बैंकों को अधिग्रहण के लिए पैसे देने की इजाजत नहीं थी। 2008 में टाटा मोटर्स को JLR के अधिग्रहण के लिए मॉरीशस से पैसे जुटाने पड़े थे। तब यह दलील दी जाती थी कि बैंकों के लोन देने की क्षमता का इस्तेमाल भारत में कंपनियों की क्षमता विस्तार के लिए होना चाहिए। अब देश में बैंक अधिग्रहण के लिए कर्ज दे सकेंगे।
डिपॉजिट इंश्योरेंस के नियम में बदलाव
बैंकिंग रेगुलेटर का दूसरा बड़ा फैसला रिस्क-आधारित डिपॉजिट इंश्योरेंस से जुड़ा है। इससे बड़े बैंकों के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस पर आने वाली कॉस्ट कम होगी। लेकिन, छोटे प्राइवेट बैंकों के लिए कॉस्ट बढ़ सकती है। पिछले पांच सालों में आरबीआई को LVB, Yes Bank, RBL और यहां तक कि इंडसइड में लगी आग बुझाने को आगे आना पड़ा है। आरबीआई ने किसी बैंक को डूबने नहीं दिया। इसलिए ज्यादा इंश्योरेंस की वजह से छोटे बैंकों पर बोझ बढ़ सकता है। ऐसे में आरबीआई को इन बैंकों की मदद के लिए आगे आना होगा।
एक बिजनेस ग्रुप के लिए बैंक लोन की सीमा हटी
किसी बिजनेस ग्रुप को कुल बैंकिंग सेक्टर लोन की सीमा हटा दी गई है। यह स्वागतयोग्य कदम है। कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट को बढ़ावा देने के लिए यह सीमा तय की गई थी। साथ ही आरबीआई बैंकिंग सेक्टर के लिए रिस्क भी घटाना चाहता था। किसी बिजनेस ग्रुप को कुल बैंक लोन 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो जाने पर ज्यादा रिस्क वेट जरूरी हो जाता था। हालांकि, कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट को बढ़ावा देने का मकसद अच्छा था। आरबीआई के कुछ पूर्व एग्जिक्यूटिव्स का मानना है कि 10,000 करोड़ की सीमा बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपये की जा सकती थी।
डेट इंस्ट्रूमेंट्स पर लोन की लिमिट खत्म
केंद्रीय बैंक ने डेट इंस्ट्रूमेंट्स पर लोन के लिए लिमिट खत्म कर दी है। यह स्वागतयोग्य कदम है। आरबीआई ने एनबीएफसी की तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर लोन पर रिस्क-वेट घटा दिया है। यह ठीक नहीं है। भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर एक रिस्की बिजनेस है। ऐसे में रिस्क वेट घटाना हैरान करता है। भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर की प्राइवेट फंडिंग नहीं होती है। ज्यादातर सरकारी फाइनेंर्स इसकी फंडिंग करते हैं।
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