New Delhi, 22 अक्टूबर . भारतीय संस्कृति में दीपक जलाना केवल धार्मिक कर्मकांड का हिस्सा नहीं, बल्कि ऊर्जा, विज्ञान और स्वास्थ्य से जुड़ा है. खासतौर पर जब देशी गाय के शुद्ध घी से दीपक जलाया जाता है, तो यह न केवल ईश्वर की आराधना का माध्यम बनता है, बल्कि आसपास के वातावरण को भी शुद्ध करता है और मन को गहराई से शांत करता है.
आयुर्वेद के अनुसार, घी का दीपक केवल पूजा-पाठ की शोभा नहीं, बल्कि हमारे जीवन में स्वास्थ्य, सकारात्मकता और अध्यात्म की रोशनी फैलाने वाला एक सशक्त माध्यम है. यह शरीर, मन और आत्मा तीनों के लिए लाभकारी होता है.
सबसे पहला और सीधा लाभ नकारात्मक ऊर्जा का नाश है. सुबह-शाम घर में दीपक जलाने से सिर्फ रोशनी ही नहीं फैलती, बल्कि वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है. खास बात यह है कि जहां तेल का दीपक बुझने के आधे घंटे तक अपना प्रभाव छोड़ता है, वहीं घी का दीपक बुझने के बाद चार घंटे तक सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है.
दूसरा बड़ा लाभ शुभ शक्तियों को आकर्षित करना है. सनातन परंपरा मानती है कि जहां रोजाना दीप जलाया जाता है, वहां कभी अंधकार, दरिद्रता और नकारात्मकता नहीं टिकती. घी का दीपक जलता हुआ एक ऐसा चुंबक बन जाता है जो दिव्य शक्तियों को अपनी ओर खींचता है, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है.
तीसरा महत्वपूर्ण पहलू है वातावरण की शुद्धता. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो जब घी से दीपक जलता है, तो उसका धुआं हानिकारक कीटाणुओं और सूक्ष्म कणों का नाश करता है. यह धुआं हवा को सात्विक और रोगाणु-मुक्त बनाने में मदद करता है.
चौथा लाभ है बीमारियों से सुरक्षा. आयुर्वेद कहता है कि घी में चर्म रोगों को दूर करने की शक्ति होती है. दीपक में लौंग मिलाकर जलाने से यह प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है. इससे श्वास संबंधी बीमारियों, एलर्जी और तनाव जैसी समस्याओं में राहत मिलती है.
–
पीआईएम/एबीएम
You may also like
Bihar Elections 2025: इंडिया ब्लॉक में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान, अशोक गहलोत मिले लालू और तेजस्वी से
मप्र में आज भाईदूज पर जेल के बंदियों से बहनों की कराई जाएगी प्रत्यक्ष मुलाकात
मप्रः मुख्यमंत्री निवास में आज भाईदूज कार्यक्रम, लाड़ली बहनों को मिलेगी सौगात
भगवान श्रीकृष्ण की भविष्यवाणियाँ: कलयुग में होने वाली 5 महत्वपूर्ण घटनाएँ
सड़क पर पड़े वस्तुओं से बचने के ज्योतिषीय कारण