मुंबई, 20 अप्रैल . महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आशीष शेलार ने शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत के बयानों और मराठी भाषा के मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी. मीडिया से बातचीत में शेलार ने कहा कि संजय राउत अपने मन की बात अक्सर दूसरों के नाम पर कहते हैं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “राउत को शायद पीलिया है, इसलिए वे सबको पीला देखते हैं.”
शेलार ने यह भी स्पष्ट किया कि राजनीतिक मुद्दों पर उनकी पार्टी सही समय पर जवाब देगी और अभी ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं देना चाहती. शेलार ने जैन समाज के सम्मान और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को लिखे गए पत्र के बारे में भी बात की.
उन्होंने कहा कि इस पत्र की जानकारी उन्हें नहीं है और वह इस पर कोई आधिकारिक बयान देने के हकदार नहीं हैं. शेलार ने आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी सच्चाई सामने आनी चाहिए.
मराठी भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर शेलार ने कहा कि भाजपा और मोदी सरकार ने हमेशा मराठी भाषा का सम्मान किया है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने मराठी को अभिजात्य भाषा का दर्जा दिलाने और महाराष्ट्र में मराठी को अनिवार्य शिक्षा का हिस्सा बनाने का काम किया है.
इसके साथ ही, उन्होंने हिंदी भाषा की अहमियत पर भी जोर दिया. शेलार ने कहा कि हिंदी एक संपर्क भाषा है, जो महाराष्ट्र के युवाओं को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं और नौकरियों में मदद करती है.
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर हिंदी से मराठी युवाओं को फायदा हो सकता है, तो इसका विरोध क्यों किया जा रहा है?
शेलार ने मुंबई महानगरपालिका के स्कूलों का उदाहरण देते हुए कहा कि हिंदी और मराठी स्कूल पहले से ही साथ-साथ चल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि भाषा को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए. शेलार ने यह भी आरोप लगाया कि जब विपक्षी दल सत्ता में थे, तब उन्होंने मराठी भाषा के लिए कुछ नहीं किया और अब केवल राजनीति के लिए बयानबाजी कर रहे हैं.
राजनीतिक एकता के सवाल पर शेलार ने कहा कि अगर कोई पार्टी या नेता साथ आना चाहता है, तो यह उनका फैसला है.
उन्होंने कहा, “परिवार एक साथ रहता है तो अच्छा है, लेकिन हम अभी इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं करेंगे.”
शेलार ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी सभी मुद्दों पर नजर रख रही है और सही समय पर जवाब देगी.
इसके साथ ही, शेलार ने मराठी संस्कृति और परंपरा को देशभर में फैलाने में हिंदी की भूमिका को सराहा. उन्होंने कहा कि भाषा का विरोध करने के बजाय, इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए.
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एसएचके/
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