नई दिल्ली, 15 अप्रैल . भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारियों का सागर परिक्रमा अभियान अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है. लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए करीब 40 हजार किलोमीटर की बेहद जटिल सागर परिक्रमा की यात्रा पर हैं. दोनों महिला अधिकारी आईएनएसवी तारिणी पर सवार हैं.
दोनों मंगलवार को सागर परिक्रमा के अंतिम चरण के लिए साउथ अफ्रीका के केप टाउन से रवाना हुईं. अभियान के तहत कुछ दिन पहले महिला अधिकारी दक्षिण अफ्रीका पहुंची थीं. वे यहां केप टाउन में अपने निर्धारित ठहराव पर थीं.
लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए से दक्षिण अफ्रीका में भारत के उच्चायुक्त प्रभात कुमार, वेस्टर्न केप के उपाध्यक्ष रेगन एलन, पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर जोंटी रोड्स, गोल्डन ग्लोब रेस 2022-23 की विजेता और प्रसिद्ध एकल समुद्र यात्री कर्स्टन न्यूसेफर ने मुलाकात की.
सागर परिक्रमा का यह समुद्री मार्ग अपनी तेज अत्यधिक हवाओं, ऊंची लहरों और अप्रत्याशित मौसम के लिए जाना जाता है. यहां अलग-अलग क्षेत्र की विभिन्न परिस्थितियां अनुभवी नाविकों की भी कड़ी परीक्षा लेती हैं. कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां समुद्री यात्रा नाविकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है. इन सभी चुनौतियों को पार करके दोनों महिला अधिकारियों के मई के अंत तक गोवा पहुंचने की उम्मीद है.
यह भारत के समुद्री इतिहास में एक और गौरवशाली अध्याय का समापन होगा. सागर परिक्रमा-II महिला सशक्तीकरण, समुद्री उत्कृष्टता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बनकर उभर रही है. इन महिला अधिकारियों ने सागर परिक्रमा अभियान के अंतिम चरण के लिए मंगलवार को केप टाउन के रॉयल केप यॉट क्लब से आगे की यात्रा शुरू की है. अब वे गोवा की ओर बढ़ रही हैं.
यह परिक्रमा भारत में समुद्री नौकायन को बढ़ावा देने, वर्दीधारी भारतीय महिलाओं की शक्ति और धैर्य का प्रदर्शन करने तथा भारत की स्वदेशी नौका निर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित करने का एक ऐतिहासिक प्रयास है. इस प्रवास के दौरान ‘तारिणी’ एक कूटनीतिक और सामाजिक संवाद का केंद्र बनी रही. जहाज पर कई सम्माननीय अतिथियों का स्वागत किया गया.
नौसेना के मुताबिक, इस यात्रा ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच समुद्री सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देने का भी अवसर प्रदान किया. इसके अतिरिक्त, आईएनएसवी तारिणी की क्रू ने कई संवादात्मक कार्यक्रमों में भाग लिया, जिनका उद्देश्य लैंगिक समानता, महिला सशक्तीकरण और भारत की स्वदेशी नौका निर्माण क्षमताओं का प्रचार करना था.
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जीसीबी/एबीएम
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