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मायावती ने सपा पर लगाया दलित वोटों के लिए तनाव और हिंसा भड़काने का आरोप

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लखनऊ, 17 अप्रैल . बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर दलित वोटों के लिए तनाव और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया. उन्होंने सपा की बयानबाजी और कार्यक्रमों को संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति करार दिया. मायावती ने दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों से सपा के बहकावे में न आने की अपील की है.

बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया. उन्होंने कहा, “विदित है कि अन्य पार्टियों की तरह आए दिन सपा द्वारा भी पार्टी के खासकर दलित लोगों को आगे करके तनाव व हिंसा का माहौल पैदा करने वाले इनके अति विवादित बयानबाजी, आरोप-प्रत्यारोप व कार्यक्रम आदि का जो दौर चल रहा है, यह इनकी घोर संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति ही प्रतीत होती है. क्योंकि सपा भी दलितों के वोटों के स्वार्थ की खातिर यहां किसी भी हद तक जा सकती है.”

मायावती ने कहा, “अतः दलितों के साथ-साथ अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज आदि को भी इनके किसी भी उग्र बहकावे में नहीं आकर इन्हें इस पार्टी के राजनीतिक हथकंडों का शिकार होने से जरूर बचना चाहिए. साथ ही, ऐसी पार्टियों से जुड़े अवसरवादी दलितों को दूसरों के इतिहास पर टीका-टिप्पणी करने की बजाय यदि वे अपने समाज के संतों, गुरुओं व महापुरुषों की अच्छाइयों एवं उनके संघर्ष के बारे में बताएं तो यह उचित होगा, जिनके कारण ये लोग किसी लायक बने हैं.”

इससे पहले बुधवार को मायावती ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों के साथ अहम बैठक की थी. इस बैठक में दोनों राज्यों में पार्टी संगठन की समीक्षा की गई थी.

बैठक में बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि डबल इंजन की भाजपा सरकार सर्वसमाज के करोड़ों गरीब बहुजनों के समुचित हित, कल्याण एवं विकास के हिसाब से कार्य न करके, सपा सरकार की तरह ही, केवल कुछ क्षेत्र व समूह विशेष के लोगों के लिए ही समर्पित है और वैसा ही दिखना भी चाहती है, जिससे यूपी का बहु-अपेक्षित व अति-प्रतीक्षित विकास प्रभावित हो रहा है.

जबकि, बसपा की सभी चारों सरकारों में सर्वसमाज को न्याय दिलाने और विकास में उचित भागीदार बनाने के साथ-साथ कानून द्वारा कानून का राज सख्ती से स्थापित करके खासकर करोड़ों दलितों, पिछड़ों, महिलाओं, किसानों और बेरोजगारों आदि अन्य उपेक्षितों के हितों की रक्षा, सुरक्षा व उन्हें न्याय दिलाने पर विशेष बल दिया गया था, जिससे यहां हर तरफ अमन चैन का माहौल था. इसलिए यूपी और उत्तराखंड भाजपा सरकार को भी धर्म को कर्म के बजाय कर्म को धर्म मानकर कार्य करने का सही संवैधानिक दायित्व निभाना जरूरी है, जिसमें ही जन व देशहित पूरी तरह से निहित है.

एफजेड/

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