New Delhi, 22 सितंबर . भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के दोबारा पटरी पर लौटने के बीच GST में सुधार के साथ महंगाई के 2004 के बाद अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचने की संभावना बनी हुई है. एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच सितंबर में ब्याज दर में कटौती आरबीआई के लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है, इस कदम के साथ आरबीआई एक दूरदर्शी केंद्रीय बैंक के रूप में भी उभर सकता है.
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक होने वाली है. पिछली बैठक में ब्याज दरों में बड़ी कटौती के बाद आरबीआई ने अगस्त की बैठक में रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखा था.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. सौम्य कांति घोष के अनुसार, “हमारा मानना है कि सीपीआई महंगाई का निचला स्तर अभी तक नहीं पहुंचा है और GST रेशनलाइजेशन के कारण यह और 65-75 बेसिस पॉइंट गिर सकता है.”
घोष ने कहा, “वित्त वर्ष 27 में भी महंगाई कम रहेगी और GST रेट में कटौती के बिना यह सितंबर और अक्टूबर में 2 प्रतिशत से नीचे रहेगी. वित्त वर्ष 27 के सीपीआई आंकड़े अब 4 प्रतिशत या उससे कम हैं और GST सुधार के साथ, अक्टूबर में सीपीआई 1.1 प्रतिशत के करीब हो सकता है, जो 2004 के बाद सबसे कम है.”
2019 का अनुभव भी बताता है कि दरों में सुधार से कुछ ही महीनों में कुल महंगाई में लगभग 35 बेसिस पॉइंट की गिरावट आई.
रिपोर्ट के अनुसार, “इसके अलावा, नई सीपीआई सीरीज के साथ, हमें सीपीआई में 20-30 बेसिस पॉइंट की और गिरावट की उम्मीद है. ये सभी कारक (GST, बेस में बदलाव) बताते हैं कि वित्त वर्ष 26 और वित्त वर्ष 27 के दौरान सीपीआई महंगाई, महंगाई लक्ष्य (4+2 प्रतिशत) के निचले स्तर के आसपास रहेगी.”
घोष के अनुसार, सितंबर में ब्याज दर में कटौती करने का एक अलग तर्क और औचित्य है.
घोष ने जोर देते हुए कहा, “लेकिन इसके लिए आरबीआई को सावधानीपूर्वक जानकारी देनी होगी, क्योंकि जून के बाद ब्याज दर में कटौती के लिए मानदंड वास्तव में अधिक है. लेकिन सितंबर में ब्याज दरें नहीं घटाने से टाइप 2 की गलती दोहराने का कोई मतलब नहीं है. महंगाई वित्त वर्ष 27 में भी कम रहेगी और GST रेट में कटौती के बिना, यह सितंबर और अक्टूबर में 2 प्रतिशत से नीचे रहेगी.”
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एसकेटी/
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