शेखपुरा, 4 मई . बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस साल 18 अप्रैल को राज्य भर में महिला संवाद कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य महिलाओं के सशक्तीकरण को बढ़ावा देना और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी ग्रामीण महिलाओं तक पहुंचाना है. शेखपुरा जिले के छह में से चार प्रखंडों अरियरी, बरबीघा, चेवाड़ा और सदर प्रखंड में एलईडी स्क्रीन युक्त संवाद रथ गांव-गांव जाकर महिलाओं को सरकार की योजनाओं से अवगत करा रहे हैं. यह पहल न केवल महिलाओं को जागरूक कर रही है, बल्कि उनकी आकांक्षाओं को समझने और उन्हें मुख्यधारा में लाने का भी प्रयास कर रही है.
शेखपुरा जिले में यह कार्यक्रम प्रतिदिन दो पालियों में सुबह 9 बजे से 11 बजे और शाम 4 बजे से 6 बजे तक आयोजित किया जा रहा है. प्रत्येक पंचायत के जीविका ग्राम संगठनों में कम से कम 250 महिलाएं एकत्रित होकर इस कार्यक्रम में भाग ले रही हैं. संवाद रथ के माध्यम से वीडियो फिल्मों के जरिए सरकार की योजनाओं की जानकारी दी जा रही है. इसके साथ ही, मुख्यमंत्री के संदेश पत्र और योजनाओं से संबंधित लीफलेट भी वितरित किए जा रहे हैं. यह कार्यक्रम जीविका समूहों के माध्यम से महिलाओं को न केवल योजनाओं की जानकारी दे रहा है, बल्कि उनके अनुभव और सुझावों को भी सुन रहा है.
सदर प्रखंड के कटारी पंचायत के मुरारपुर गांव में नर्मदा जीविका महिला ग्राम संगठन में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में जिला परियोजना प्रबंधक ने भाग लिया. इस दौरान उन्होंने महिलाओं से सरकारी योजनाओं से मिले लाभ और उनकी अपेक्षाओं पर चर्चा की. महिलाओं ने उत्साहपूर्वक अपने अनुभव साझा किए और बताया कि इन योजनाओं से उनके जीवन में कैसे बदलाव आया है.
शेखपुरा के जिलाधिकारी आरिफ अहसन ने इस कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरे बिहार में महिला संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इसका उद्देश्य पिछले 20 वर्षों में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए शुरू की गई योजनाओं की जानकारी देना और लाभान्वित महिलाओं के अनुभव सुनना है. हम ग्राम संगठन स्तर पर महिलाओं से उनकी आकांक्षाओं और सुझावों को सुन रहे हैं, ताकि इनके आधार पर भविष्य में और बेहतर योजनाएं बनाई जा सकें. यह कार्यक्रम समाज में महिलाओं को आगे बढ़ाने और पूरे समाज को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.”
कार्यक्रम में शामिल महिलाओं ने जीविका मिशन के तहत मिले अवसरों और योजनाओं के प्रभाव को साझा किया. रानी कुमारी ने बताया, “पहले मैं बेरोजगार थी और मेरे बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे. जीविका से जुड़ने के बाद मुझे रोजगार मिला और अब मैं अपने बच्चों को स्कूल भेज पा रही हूं. सरकार की छात्रवृत्ति योजना और मिड-डे मील जैसी सुविधाओं ने बच्चों की पढ़ाई को आसान बनाया है. इसने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि सामाजिक रूप से भी उन्हें आत्मविश्वास मिला.”
रानी ने यह भी बताया कि सरकार की योजनाएं, जैसे 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए छात्रवृत्ति और साइकिल योजना ने उनकी बेटी की शिक्षा को आसान बनाया है. अब बच्चों को ड्रेस और किताबों के लिए पैसा मिलता है, जिससे हम बिना तनाव के उनकी पढ़ाई करवा पाते हैं. स्कूलों में भोजन की व्यवस्था ने भी बच्चों के पोषण का ध्यान रखा है.
एक अन्य महिला ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “समूह से जुड़ने के बाद हमें आर्थिक सहायता मिली. जरूरत पड़ने पर लोन आसानी से मिल जाता है, जिससे हम घर बना पाए और छोटे-मोटे रोजगार शुरू कर पाए. पहले हमें इधर-उधर भटकना पड़ता था, लेकिन अब समूह ने हमें आत्मनिर्भर बनाया. उन्होंने बताया कि उनके पति के न होने के कारण पहले उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, लेकिन जीविका और सरकार की योजनाओं, जैसे विधवा पेंशन और साइकिल योजना, ने उनकी जिंदगी को आसान बनाया.
महिला संवाद कार्यक्रम केवल योजनाओं की जानकारी देने तक सीमित नहीं है. यह महिलाओं को एक मंच प्रदान कर रहा है, जहां वे अपनी बात रख सकती हैं और नीति-निर्माण में योगदान दे सकती हैं. शेखपुरा में चल रहे इस कार्यक्रम में अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी और महिलाओं का उत्साह इसकी सफलता का प्रमाण है. जीविका समूहों के माध्यम से महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, बल्कि सामाजिक रूप से भी अपनी पहचान बना रही हैं.
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एकेएस/एकेजे
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