पटना, 17 अप्रैल . बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर ‘महागठबंधन’ की गुरुवार को पहली औपचारिक बैठक हुई. इसमें समन्वय समिति के गठन का सर्वसम्मति से फैसला जरूर किया गया, लेकिन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर निर्णय नहीं हो सका. इसे लेकर जदयू और भाजपा नेताओं ने तंज कसा है.
महागठबंधन के घटक दलों की संयुक्त प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री के चेहरे के बारे में पत्रकारों के प्रश्नों का किसी नेता ने कोई जवाब नहीं दिया. कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारु ने कहा कि ‘इंडिया’ ब्लॉक में नेतृत्व को लेकर कोई संदेह नहीं है, जबकि एनडीए में संदेह है. उन्होंने कहा, “इस सवाल को वहां पूछें जहां कन्फ्यूजन है.”
इधर, तेजस्वी यादव ने कहा कि अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. सभी मुद्दों पर सहमति है, कहीं कोई विरोध नहीं है. ‘महागठबंधन’ एक है. जो भी निर्णय होगा, बता दिया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि राजद के अध्यक्ष लालू यादव कई सार्वजनिक मंचों से लोगों से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की अपील कर चुके हैं.
जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, ” ‘दिल्ली दरबार’ में हाजिरी लगाकर लौटे तेजस्वी यादव आज पटना में महागठबंधन की बैठक में बड़े अभिभूत दिखे. पर न नेता चुना गया, न राजद विधायक रीतलाल यादव की गिरफ्तारी पर कोई प्रस्ताव ही आया. बैठक में नेतृत्व भी अधर में, नैतिकता भी नदारद रही. दरअसल, इस गठबंधन में गांठ ही गांठ है.”
भाजपा के प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा कि महागठबंधन के लोगों के बीच सीएम फेस को लेकर दंगल शुरू हो चुका है. इस दंगल में किसी के पैर टूटेंगे, तो किसी के कपड़े फटेंगे. बिहार के लोगों के लिए महागठबंधन की ‘मीटिंग-सीटिंग’ कॉमेडी सर्कस से ज्यादा कुछ नहीं है क्योंकि पहले तो कोई किसी को सीएम फेस मानने के लिए तैयार नहीं होगा, और होगा भी तो सिर्फ ऊपर से. मन में कोई और केमेस्ट्री चल रही होगी.
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एमएनपी/एकेजे
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