रांची, 20 मई . भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड सरकार की ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की 21 मई को होने वाली बैठक का बहिष्कार कर दिया है.
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार शाम को कहा कि इस बैठक में भाजपा का कोई सदस्य भाग नहीं लेगा. हेमंत सोरेन की सरकार आदिवासियों के खिलाफ काम कर रही है. उनके मुख्यमंत्रित्व काल में आदिवासी समाज लगातार उत्पीड़न का शिकार हो रहा है.
दरअसल, भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत झारखंड सहित देश के 10 राज्यों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है. इन राज्यों में एक ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल का गठन किया जाता है, जो अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित मामलों पर सरकार को सलाह देती है.
इस संवैधानिक निकाय का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि इसे आदिवासियों की ‘मिनी असेंबली’ के रूप में जाना जाता है. मुख्यमंत्री इस काउंसिल के पदेन अध्यक्ष होते हैं. वर्तमान में इस काउंसिल में 20 सदस्य हैं, जिसमें नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी और भाजपा के वरिष्ठ विधायक चंपई सोरेन भी शामिल हैं.
मरांडी ने कहा कि पिछले साढ़े पांच वर्षों के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठियों ने आदिवासियों के हक-अधिकार का लगातार अतिक्रमण किया है. खनन माफिया जल-जंगल-जमीन का दोहन कर आदिवासियों के अधिकारों पर लगातार हमले कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने कभी इसका संज्ञान नहीं लिया.
उन्होंने हेमंत सोरेन की सरकार पर आदिवासियों को बदतर हाल में पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब तो हालात ये हैं कि आदिवासी महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने वाले को मुख्यमंत्री की ओर से मुआवजा दिया जा रहा है. जब सरकार ही आदिवासियों के उत्पीड़न को प्रोत्साहित और पुरस्कृत कर रही है, तो ऐसी स्थिति में टीएसी की बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा, आदिवासी समाज की अस्मिता और उनके अस्तित्व की रक्षा के लिए संकल्पित है. सड़क से लेकर सदन तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा.
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एसएनसी/एबीएम
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