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कोयंबटूर निगम की सेव एनर्जी मुहिम, 122 जगहों पर लगाई गई मोशन सेंसर सोलर स्ट्रीट लाइट

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चेन्नई, 14 अगस्त . बिजली की खपत कम करने और पर्यावरण अनुकूल शहरी प्रकाश व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए, कोयंबटूर सिटी कॉर्पोरेशन ने पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित मोशन सेंसर स्ट्रीट लाइटें लगाना शुरू कर दिया है.

सौर पैनलों से सुसज्जित इन लाइटों का उद्देश्य कार्बन और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करते हुए बिजली बोर्ड पर निर्भरता कम करना है.

एक पायलट परियोजना के तहत, पांच स्थानों पर 122 मोशन सेंसर स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं, और अतिरिक्त 100 यूनिट के लिए स्थानों की पहचान करने की योजना चल रही है.

अधिकारियों का मानना है कि इस पहल का विस्तार करने से नए बिजली कनेक्शनों की आवश्यकता में उल्लेखनीय कमी आ सकती है, जिसमें महंगी जमा राशि, लाइन शुल्क और मासिक बिल शामिल होते हैं.

निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नियमित स्ट्रीट लाइटें लगाना अक्सर एक बोझिल और महंगी प्रक्रिया होती है, जबकि सौर ऊर्जा से चलने वाले मोशन सेंसर मॉडल में केवल एकमुश्त निवेश की आवश्यकता होती है.

निगम ने ऑटो-डिमिंग तकनीक को चुना है, जहां लाइटें 50 प्रतिशत चमक पर काम करती हैं और पोल के चार मीटर के दायरे में गति का पता चलने पर पूरी चमक पर स्विच हो जाती हैं. बाजार में उपलब्ध अन्य मॉडलों में पूर्ण ब्लैकआउट वेरिएंट या केवल गति से सक्रिय होने वाले मॉडल शामिल हैं.

इस प्रणाली में गति या शाम से सुबह तक सेंसर का उपयोग करके स्वचालित रूप से चालू-बंद होने की सुविधा है. डिमिंग क्षमता न केवल ऊर्जा बचाती है बल्कि बैटरी की लाइफ भी बढ़ाती है. प्रत्येक यूनिट दो साल की वारंटी के साथ बेहद टिकाऊ है, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि सौर पैनलों को हर दो महीने में साफ करना पड़ता है और बैटरी को उपयोग के आधार पर हर तीन से पांच साल में बदलना पड़ता है.

निगम आयुक्त एम. शिवगुरु प्रभाकरन ने स्वीकार किया कि पैनलों पर धूल जमा होना एक चुनौती बनी हुई है.

वर्तमान में, इन लाइटों के लिए कोई केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली नहीं है. भविष्य की योजनाओं में नए जोड़े गए नगरपालिका क्षेत्रों में 42 ओवरहेड वाटर टैंक स्थानों पर मोशन सेंसर स्ट्रीट लाइट लगाना शामिल है.

केरल के निर्माता का दावा है कि उनके मॉडल 10 मीटर दूर तक, यहां तक कि जानवरों की भी गति का पता लगा सकते हैं, जिससे वे विभिन्न वातावरणों के लिए उपयुक्त हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि व्यावसायिक प्रतिष्ठान, अपार्टमेंट परिसर और शैक्षणिक संस्थान लागत और ऊर्जा दक्षता के लिए सेंसर-आधारित स्ट्रीट लाइटिंग को तेजी से अपना रहे हैं.

यदि पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा, तो निगम को उम्मीद है कि यह तकनीक शहर की सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगी, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता और परिचालन बचत दोनों में योगदान मिलेगा.

केआर/

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