रांची, 9 अक्टूबर . Jharkhand हाईकोर्ट ने राज्य में बालू घाटों और लघु खनन क्षेत्रों के आवंटन पर लगाई गई रोक हटाने का राज्य Government का आग्रह अस्वीकार कर दिया है. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की बेंच ने Thursday को इस संबंध में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए एक बार फिर स्पष्ट किया कि राज्य Government जब तक पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया एक्ट), 1996 को अधिसूचित नहीं करती, तब तक कोर्ट इसकी अनुमति नहीं देगा.
राज्य Government की ओर से एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि नियमावली लागू करने के लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया था, उस पर 17 विभागों से मंतव्य मांगा गया था. इनमें से पांच विभागों का मंतव्य अब तक नहीं मिल पाया है. सभी विभागों का मंतव्य मिलने के बाद इसे कैबिनेट में भेजा जाएगा. फिर कैबिनेट की मंजूरी के बाद पेसा नियमावली लागू कर दी जाएगी.
महाधिवक्ता ने इसके लिए कोर्ट से समय देने का आग्रह किया. इस पर पीठ ने बालू घाटों और लघु खनन क्षेत्रों के आवंटन पर रोक के अपने अंतरिम आदेश को बरकरार रखते हुए सुनवाई की अगली तारीख 30 अक्टूबर निर्धारित की है. सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश पर पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव मनोज कुमार भी उपस्थित रहे.
9 सितंबर को इस मामले में Jharkhand हाईकोर्ट ने आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य में पेसा कानून लागू होने तक बालू घाट सहित सभी प्रकार के लघु खनिजों के लीज आवंटन पर रोक लगा दी थी.
कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि राज्य Government 73वें संविधान संशोधन की मंशा को कमजोर कर रही है. अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार स्थानीय निकायों को मिलने चाहिए, लेकिन Government नियमावली लागू करने में लगातार टालमटोल कर रही है.
हाईकोर्ट ने जुलाई, 2024 में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद Jharkhand Government को दो माह के अंदर राज्य में पेसा नियमावली अधिसूचित करने का आदेश दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि संविधान के 73वें संशोधन के उद्देश्यों के अनुरूप तथा पेसा कानून के प्रावधान के अनुसार पेसा नियमावली बना कर लागू किया जाए. इस आदेश का अनुपालन अब तक न होने पर आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने अवमानना याचिका दायर की है.
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एसएनसी/एसके/वीसी
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