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पटियाला: सनौरी अड्डा कार्रवाई पर बढ़ा विवाद, एससी कमीशन ने डिप्टी कमिश्नर से मांगी रिपोर्ट

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पटियाला, 11 अक्टूबर . पंजाब के पटियाला में बीते दिनों सनौरी अड्डे पर हुई कार्रवाई ने पूरे पंजाब में हलचल मचा दी है. नगर निगम और पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा चलाए गए अवैध कब्जा हटाओ अभियान के दौरान कथित तौर पर एससी समुदाय के घरों पर तोड़फोड़ की गई. इस पूरे मामले में अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने संज्ञान लिया है.

आयोग की ओर से इस मामले में डिप्टी कमिश्नर पटियाला को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.

जानकारी के अनुसार, कुछ दिन पहले नगर निगम और पीडब्ल्यूडी विभाग ने सनौरी अड्डा इलाके में अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई की थी. इस दौरान बड़ी संख्या में Police बल तैनात किया गया. स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घर और झोपड़ियां गिरा दीं, जबकि कई परिवार वहां सालों से निवास कर रहे थे. स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया था कि Police ने कार्रवाई के दौरान डराया-धमकाया और गाली-गलौज की, जिससे इलाके में माहौल तनावपूर्ण हो गया.

घटना के बाद एससी समुदाय के लोगों ने आयोग को लिखित शिकायत भेजी, जिसमें कहा गया कि कार्रवाई के दौरान Police ने कुछ लोगों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया और उन पर दबाव बनाया गया कि वे अपने घर खाली करें.

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि तोड़फोड़ के दौरान महिलाओं और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार हुआ और कई परिवार बेघर हो गए.

शिकायत की गंभीरता को देखते हुए, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने 11 अक्टूबर 2025 को डिप्टी कमिश्नर पटियाला को नोटिस जारी किया है. आयोग ने डीसी को आदेश दिया है कि वह 15 दिनों के अंदर संपूर्ण जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करें और बताएँ कि कार्रवाई के दौरान कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया था या नहीं.

आयोग ने चेतावनी दी है कि यदि तय समयसीमा के भीतर रिपोर्ट नहीं दी गई, तो यह मामला सिविल कोर्ट में भेजा जा सकता है.

यह मामला अब Political रंग लेता जा रहा है. स्थानीय सामाजिक संगठनों और एससी समुदाय के नेताओं ने प्रशासन के खिलाफ निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि गरीब परिवारों के घरों पर अत्याचार हुआ है, और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.

इस मामले पर डिप्टी कमिश्नर कार्यालय की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. हालांकि, आयोग के नोटिस के बाद जिला प्रशासन पर जांच का दबाव साफ महसूस किया जा रहा है.

पीएसके

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