जापान की रहस्यमयी मंगा कलाकार और भविष्यवक्ता रियो तात्सुकी, जिन्हें अब लोग "जापानी बाबा वेंगा" के नाम से जानते हैं, एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध किताब "The Future I Saw" में कुछ ऐसी घटनाओं की भविष्यवाणी की थी, जो वर्षों बाद सच साबित हुईं—जैसे कि 2011 की जापान सुनामी, वैश्विक महामारी की लहर, एशिया में भूकंप और अग्निकांड जैसी घटनाएं। अब उनकी जुलाई 2025 को लेकर की गई भविष्यवाणी ने वैश्विक चिंता बढ़ा दी है।
जुलाई 2025 की भयावह चेतावनी
रियो तात्सुकी की पुस्तक के अनुसार, जुलाई 2025 में जापान के दक्षिणी समुद्र में अचानक समुद्र उबलने लगेगा और इसके बाद पानी के नीचे स्थित ज्वालामुखी फटने से एक भयंकर सुनामी उठेगी। इस सुनामी का प्रभाव जापान के दक्षिणी द्वीपों, ताइवान के तटीय क्षेत्रों और इंडोनेशिया के कुछ हिस्सों पर पड़ेगा। तात्सुकी का दावा है कि यह सुनामी 2011 की फुकुशिमा त्रासदी से भी ज्यादा विनाशकारी हो सकती है। अगर समय रहते तैयारियां नहीं की गईं तो हजारों लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है।
'The Future I Saw' – एक रहस्यमय किताब
1999 में प्रकाशित रियो तात्सुकी की किताब "The Future I Saw" को पहले एक काल्पनिक रचना माना गया था। लेकिन जब 2011 की विनाशकारी सुनामी की तारीख इस किताब में की गई भविष्यवाणी से मेल खा गई, तो इसे गंभीरता से लिया जाने लगा। इस किताब में: प्राकृतिक आपदाओं की तारीख और स्वरूप का उल्लेख है। कई मानवीय व प्राकृतिक घटनाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। चेतावनियां चित्रों और कला के माध्यम से दर्शाई गई हैं, न कि वैज्ञानिक भाषा में।
पर्यटन उद्योग पर भी पड़ा असर
जुलाई 2025 को लेकर की गई भविष्यवाणी का असर पर्यटन उद्योग पर भी दिखाई देने लगा है। जापान यात्रा करने वाले पर्यटकों में डर बैठ गया है, जिससे कई ट्रैवल एजेंसियों की बुकिंग में 50% तक की गिरावट दर्ज की गई है। यहां तक कि ईस्टर हॉलिडे के दौरान भी जापान जाने वाले यात्रियों की संख्या में भारी कमी आई है। पर्यटकों का मानना है कि चूंकि रियो तात्सुकी की पिछली भविष्यवाणियां सच हुई हैं, तो इस बार सतर्क रहना जरूरी है।
वैज्ञानिकों की राय
हालांकि वैज्ञानिक समुदाय भविष्यवाणियों को तर्कसंगत नहीं मानता, फिर भी जापान और ताइवान के आसपास भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधियों की निगरानी कर रहे संस्थानों ने धरती के अंदर हलचल की पुष्टि की है। इससे यह संकेत जरूर मिलता है कि इन क्षेत्रों में कोई बड़ा प्राकृतिक बदलाव संभव है।
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