लाइव हिंदी खबर :- हमास के वरिष्ठ नेता खलील अल-हय्या ने कहा है कि फिलिस्तीनी संगठन को एक अधिकृत राष्ट्र के रूप में देखा जाना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत प्रतिरोध करने का अधिकार उस लोगों को प्राप्त है जो अपने अस्तित्व और भूमि की रक्षा कर रहे हैं। अल-हय्या ने स्पष्ट किया कि हमास केवल तभी अपने हथियार वापस रखेगा जब एक स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना हो जाए और उसके अधिकारों की अंतरराष्ट्रीय तौर पर गारंटी मिल जाए।
अल-हय्या ने अपने बयान में यह भी कहा कि फिलिस्तीनियों का संघर्ष सिर्फ प्रतिशोध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण और मानवाधिकारों की मांग से प्रेरित है। उन्होंने यह दोहराया कि किसी भी ठोस राजनीतिक समाधान के बिना हथियारों का त्याग असंभव है, क्योंकि वे उसे अपनी सुरक्षा और कानूनी अधिकार की शर्त मानते हैं।
उनके इस तेवर ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं, क्योंकि फिलिस्तीन मुद्दे पर शांति वार्ताएँ और मध्यस्थ प्रयास लगातार जारी हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर मध्यस्थ देशों और संयुक्त राष्ट्र, की निगाह अब इस ओर टिकेगी कि क्या कोई ऐसा रास्ता निकले जिससे फिलिस्तीनियों को राजनीतिक अधिकार दिए जाएँ और हिंसा घटे।
विशेषज्ञों का मानना है कि हथियारों की वापसी जैसे मुद्दे पर सहमति के लिए स्पष्ट अंतरिम मानदंड, अंतरराष्ट्रीय गारंटी और भरोसेमंद निगरानी व्यवस्था की आवश्यकता होगी। फिलहाल अल-हय्या के बयान से स्थिति संवेदनशील बनी हुई है और आने वाले दिनों में कूटनीतिक सक्रियता तथा प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।
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