सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई। वह अपने पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ की जगह यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जिन्होंने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक इस्तीफा दे दिया था। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में जगदीप धनखड़ में मौजूद थे। राधाकृष्णन इस पद पर आसीन होने वाले तमिलनाडु के तीसरे नेता होंगे।
उपराष्ट्रपति चुनाव में जीतसीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराया। उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने पर उनकी मां जानकी अम्माल ने उनका नाम राधाकृष्णन रखे जाने से जुड़ी एक कहानी भी साझा की।
मां का किस्सा: 'राष्ट्रपति का नाम रखा, सपना पूरा हुआ'जानकी अम्माल ने कहा, ‘‘जब मेरा बेटा पैदा हुआ था तो राष्ट्रपति राधाकृष्णन थे। वह शिक्षक थे और मैं भी शिक्षक थी। उनके सम्मान में मैंने अपने बेटे का नाम राधाकृष्णन रखा। तब मेरे पति ने मजाक में कहा था कि तुम अपने बेटे को यह नाम इसलिए दे रही हो क्योंकि तुम उसे एक दिन राष्ट्रपति बनते देखना चाहती हो? आज 62 साल बाद वह बात सच साबित हो गई।’’
राज्यसभा सभापति के रूप में सबसे बड़ी चुनौतीउपराष्ट्रपति के तौर पर उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्यसभा के सभापति की भूमिका होगी, जहां सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं होगा। हाल के वर्षों में विपक्ष ने आसन की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।
आरएसएस और जनसंघ से जुड़ावराधाकृष्णन किशोरावस्था में ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़ गए थे। उन्होंने 1990 के दशक के अंत में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा चुनाव जीते। समर्थक उन्हें ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहते रहे हैं।
राजनीतिक सफर और चुनौतियांउन्होंने 1998 और 1999 में कोयंबटूर सीट से जीत दर्ज की। हालांकि इसके बाद उन्हें लगातार तीन बार हार का सामना करना पड़ा। तमिलनाडु के राजनीतिक दलों में उन्हें सम्मान प्राप्त है और इसी वजह से बीजेपी ने उन्हें कई राज्यों का राज्यपाल बनाया।
राज्यपाल के रूप में कार्यकालराधाकृष्णन ने 31 जुलाई, 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल पद की शपथ ली। इससे पहले वे झारखंड के राज्यपाल रहे और तेलंगाना और पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला।
शुरुआती जीवन और शिक्षा20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में जन्मे राधाकृष्णन ने व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की पढ़ाई की। 16 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़े और 1974 में जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी में शामिल हुए।
बीजेपी में अहम जिम्मेदारियां1996 में वे बीजेपी की तमिलनाडु इकाई के सचिव बने। 1998 और 1999 में लोकसभा के लिए चुने गए। 2004 से 2007 के बीच वे बीजेपी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष भी रहे और इस दौरान 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ निकाली।
खेलों में भी सक्रियकॉलेज के दिनों में वे टेबल टेनिस चैंपियन और लंबी दूरी के धावक रहे हैं।
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