डिजिटल युग में ऑफिस वर्क हो या वर्क फ्रॉम होम, अधिकतर लोग दिन का लंबा हिस्सा लैपटॉप या कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बिता रहे हैं। इस आदत का असर जहां आंखों की रोशनी पर पड़ रहा है, वहीं धीरे-धीरे गर्दन और रीढ़ की हड्डी की समस्याएं भी सामने आ रही हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो लंबे समय तक झुककर बैठने, गलत पोस्चर और स्क्रीन टाइम की अधिकता से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, आई स्ट्रेन और माइग्रेन जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। यदि समय रहते सतर्कता नहीं बरती गई, तो यह समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं।
सबसे ज्यादा प्रभावित: आंखें और गर्दन
आंखों की सेहत पर असर
लगातार स्क्रीन देखने से आंखों में जलन, सूखापन और धुंधलापन हो सकता है।
इसे डिजिटल आई स्ट्रेन या कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम कहा जाता है।
आंखों की रोशनी कमजोर होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
गर्दन और रीढ़ की समस्या
झुककर बैठने से गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है।
इससे सर्वाइकल पेन, सिरदर्द और कंधों में जकड़न हो सकती है।
लंबे समय में यह रीढ़ की बनावट को प्रभावित कर सकता है।
विशेषज्ञों की राय
फिजियोथेरेपिस्ट बताते हैं:
“लैपटॉप का अत्यधिक उपयोग आज की ज़रूरत तो है, लेकिन इसका असर हमारी बॉडी पोस्चर और मांसपेशियों पर साफ देखा जा सकता है। समय-समय पर ब्रेक और सही बैठने की मुद्रा इस समस्या को काफी हद तक रोक सकती है।”
क्या करें बचाव के लिए?
1. 20-20-20 नियम अपनाएं
हर 20 मिनट पर 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें। इससे आंखों को राहत मिलती है।
2. लैपटॉप की ऊंचाई ठीक रखें
लैपटॉप की स्क्रीन आंखों के समांतर होनी चाहिए, ताकि गर्दन न झुके।
3. एर्गोनॉमिक चेयर और डेस्क का प्रयोग करें
पीठ को सपोर्ट देने वाली कुर्सी और उचित ऊंचाई वाली मेज गर्दन पर दबाव नहीं डालती।
4. हर घंटे थोड़ा चलें-फिरें
लगातार बैठने से मांसपेशियां जकड़ जाती हैं। हर घंटे 5 मिनट टहलना जरूरी है।
5. आंखों के लिए ब्लू लाइट फिल्टर का इस्तेमाल करें
ब्लू लाइट आंखों पर अधिक दबाव डालती है। स्क्रीन फिल्टर या चश्मा उपयोगी हो सकता है।
लक्षण जो नजरअंदाज न करें
आंखों में जलन या बार-बार पलक झपकाना
गर्दन या कंधे में अकड़न
सिरदर्द या चक्कर
आंखों से पानी आना
झुक कर बैठने की आदत
अगर ये लक्षण लगातार बने रहें, तो नेत्र रोग विशेषज्ञ या ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
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