चर्चित अभिनेत्री कंगना रनौत को सुप्रीम कोर्ट से उस वक्त झटका लगा जब कोर्ट ने उनके खिलाफ लंबित मानहानि मामले को रद्द करने की याचिका पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि “आप (कंगना) किसी के बारे में इस तरह की बातें नहीं कह सकतीं और फिर अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकती हैं।” इसके बाद अभिनेत्री ने खुद ही याचिका वापस ले ली।
यह मामला गीतकार और लेखक जावेद अख्तर द्वारा दर्ज की गई आपराधिक मानहानि शिकायत से जुड़ा हुआ है। जावेद अख्तर ने 2020 में कंगना के खिलाफ अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत में शिकायत दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कंगना ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान उन्हें झूठे तरीके से “गैंग से जोड़कर” बदनाम करने की कोशिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट में जब यह याचिका सुनवाई के लिए आई, तो न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने बेहद साफ शब्दों में कहा कि कोई भी व्यक्ति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी की प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुँचा सकता। कोर्ट ने कहा, “आप सार्वजनिक मंचों का इस्तेमाल कर किसी की साख खराब करें, फिर जब आप पर कार्रवाई हो, तो कहें कि मामला खत्म कर दो — ऐसा नहीं होगा।”
यह टिप्पणी आने के बाद कंगना के वकील ने अदालत को सूचित किया कि वे याचिका वापस लेना चाहते हैं, जिस पर अदालत ने अनुमति दे दी। कोर्ट की यह टिप्पणी न केवल इस मामले में, बल्कि सोशल मीडिया और टेलीविज़न जैसे मंचों पर सेलेब्रिटीज द्वारा दिए जाने वाले बयानों की सीमाओं पर भी एक अहम उदाहरण बन सकती है।
जावेद अख्तर की ओर से दर्ज की गई शिकायत में यह भी कहा गया था कि कंगना के झूठे बयान से उनकी सामाजिक छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा है, जिससे उन्हें व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों स्तरों पर क्षति हुई है। मजिस्ट्रेट अदालत में इस मामले की सुनवाई पहले से जारी है, और अब याचिका वापस लिए जाने के बाद मामला मुंबई की अदालत में ही आगे बढ़ेगा।
कंगना रनौत इससे पहले भी न्यायपालिका और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई मामलों को लेकर सुर्खियों में रह चुकी हैं। वह अक्सर अपनी बेबाक राय के लिए जानी जाती हैं, लेकिन कई बार उनके बयानों पर विवाद भी खड़ा होता रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए एक बार फिर यह बहस तेज हो गई है कि क्या सेलेब्रिटीज़ को अपनी लोकप्रियता के बल पर कुछ भी कहने की छूट होनी चाहिए, या फिर उन्हें भी उसी कानूनी मर्यादाओं के दायरे में रखा जाए जो एक आम नागरिक के लिए हैं।
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