नई दिल्ली: ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध पूरी तरह खत्म करने के लिए भारत और चीन की सेना के बीच कोर कमांडर स्तर की मीटिंग हुई। इसमें पिछले साल देपसांग और डेमचॉक में शुरू हुई पेट्रोलिंग पर भी बात की गई और कहा गया कि डिप्लोमेटिक और पॉलिटिकल लीडरशिप के स्तर पर जो सहमति बनी है और जमीन पर मिलिट्री को लागू करना है। बफर जोन में पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर कोई चर्चा की गई या नहीं इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं दी गई लेकिन भारत की तरफ से ये कोशिश जरूर है कि बफर जोन में पेट्रोलिंग शुरू करने की तरफ कदम बढ़ाए जाने चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 23वीं बैठक 25 अक्टूबर को चुशुल-मॉल्डो बॉर्डर मीटिंग पॉइंट पर हुई । यह चर्चा दोस्ताना और सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। दोनों पक्षों ने पिछले साल अक्टूबर में हुई 22वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक के बाद हुई प्रगति को स्वीकार किया और यह भी माना कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनी हुई है। दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि सीमा पर किसी भी मुद्दे को सुलझाने और स्थिरता बनाए रखने के लिए मौजूदा मैकेनिजम का इस्तेमाल जारी रखा जाएगा।
देपसांग और डेमचॉक में सहमति के हिसाब से पेट्रोलिंग
देपसांग और डेमचॉक में गतिरोध खत्म करने को लेकर सहमति पिछले साल 21 अक्टूबर को बनी थी। जिसके बाद उन सभी पॉइंट्स पर भारत और चीन दोनों तरफ से पेट्रोलिंग शुरू की गई जहां अप्रैल 2020 से पहले पेट्रोलिंग होती रही है। इसमें देपसांग के पांच पॉइंट और डेमचॉक के दो पेट्रोलिंग पॉइंट शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक सहमति के हिसाब से इन दोनों जगह पेट्रोलिंग चल रही है और अपने हिसाब से पेट्रोलिंग की फ्रिक्वेंसी रखी गई है।
पेट्रोलिंग पर जाने से पहले एक दूसरे को इसकी जानकारी दे दी जाती है ताकि कोई विवाद ना हो। सूत्रों के कहना है कि जब से पेट्रोलिंग शुरू हुई तब से उसमें कोई दिक्कत नहीं आई है। कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में इस पर भी बात हुई और वहां की स्थिति को लेकर संतोष जताया। साथ ही कहा गया कि एक साल में जिस तरह से सबकुछ शांति से हो रहा है उसे आगे भी जारी रखा जाएगा।
बफर जोन पर होगा फोकस
ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई इस पहली कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में ईस्टर्न लद्दाख के बफर जोन को लेकर क्या बात हुई, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्टता नहीं है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि भारत का ये मानना है कि बफर जोन पर पेट्रोलिंग शुरू की जानी चाहिए। ईस्टर्न लद्दाख में पेंगोंग एरिया, गलवान के पीपी-14 , गोगरा और हॉट स्प्रिंग एरिया में जब डिसइंगेजमेंट किया गया था तब यहां पेट्रोलिंग शुरू नहीं की गई थी। यहां बफर जोन बना दिए गए थे। यानी यहां न तो चीन के सैनिक पेट्रोलिंग कर सकते हैं न ही भारत के सैनिक।
अभी यहां वही स्थिति बरकरार है। एलएसी पर गतिरोध पूरी तरह खत्म करने और अप्रैल 2020 के पहले वाली स्थिति बहाल करने के लिए यहां पेट्रोलिंग शुरू करने पर आगे की मीटिंग्स पर फोकस रह सकता है। जिसके साथ ही डिएस्केलेशन पर भी बातचीत होगी। डिएस्केलेशन यानी जो बड़े हथियार और सैन्य साजो सामान हैं जैसे- टैंक, आर्टिलरी गन उसे पीछे करना।
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 23वीं बैठक 25 अक्टूबर को चुशुल-मॉल्डो बॉर्डर मीटिंग पॉइंट पर हुई । यह चर्चा दोस्ताना और सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। दोनों पक्षों ने पिछले साल अक्टूबर में हुई 22वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक के बाद हुई प्रगति को स्वीकार किया और यह भी माना कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनी हुई है। दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि सीमा पर किसी भी मुद्दे को सुलझाने और स्थिरता बनाए रखने के लिए मौजूदा मैकेनिजम का इस्तेमाल जारी रखा जाएगा।
देपसांग और डेमचॉक में सहमति के हिसाब से पेट्रोलिंग
देपसांग और डेमचॉक में गतिरोध खत्म करने को लेकर सहमति पिछले साल 21 अक्टूबर को बनी थी। जिसके बाद उन सभी पॉइंट्स पर भारत और चीन दोनों तरफ से पेट्रोलिंग शुरू की गई जहां अप्रैल 2020 से पहले पेट्रोलिंग होती रही है। इसमें देपसांग के पांच पॉइंट और डेमचॉक के दो पेट्रोलिंग पॉइंट शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक सहमति के हिसाब से इन दोनों जगह पेट्रोलिंग चल रही है और अपने हिसाब से पेट्रोलिंग की फ्रिक्वेंसी रखी गई है।
पेट्रोलिंग पर जाने से पहले एक दूसरे को इसकी जानकारी दे दी जाती है ताकि कोई विवाद ना हो। सूत्रों के कहना है कि जब से पेट्रोलिंग शुरू हुई तब से उसमें कोई दिक्कत नहीं आई है। कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में इस पर भी बात हुई और वहां की स्थिति को लेकर संतोष जताया। साथ ही कहा गया कि एक साल में जिस तरह से सबकुछ शांति से हो रहा है उसे आगे भी जारी रखा जाएगा।
बफर जोन पर होगा फोकस
ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई इस पहली कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में ईस्टर्न लद्दाख के बफर जोन को लेकर क्या बात हुई, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्टता नहीं है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि भारत का ये मानना है कि बफर जोन पर पेट्रोलिंग शुरू की जानी चाहिए। ईस्टर्न लद्दाख में पेंगोंग एरिया, गलवान के पीपी-14 , गोगरा और हॉट स्प्रिंग एरिया में जब डिसइंगेजमेंट किया गया था तब यहां पेट्रोलिंग शुरू नहीं की गई थी। यहां बफर जोन बना दिए गए थे। यानी यहां न तो चीन के सैनिक पेट्रोलिंग कर सकते हैं न ही भारत के सैनिक।
अभी यहां वही स्थिति बरकरार है। एलएसी पर गतिरोध पूरी तरह खत्म करने और अप्रैल 2020 के पहले वाली स्थिति बहाल करने के लिए यहां पेट्रोलिंग शुरू करने पर आगे की मीटिंग्स पर फोकस रह सकता है। जिसके साथ ही डिएस्केलेशन पर भी बातचीत होगी। डिएस्केलेशन यानी जो बड़े हथियार और सैन्य साजो सामान हैं जैसे- टैंक, आर्टिलरी गन उसे पीछे करना।
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