नई दिल्ली: घर बनाना अब सस्ता हो सकता है। घरेलू स्टील की कीमतें पांच साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। बिगमिंट (BigMint) के आंकड़ों के मुताबिक स्टील का भाव 47,000 से 48,000 रुपये प्रति टन के बीच चल रहा है। इस गिरावट के पीछे कई वजहें हैं। विदेशों से स्टील का आयात बढ़ना, निर्यात की मांग कमजोर होना और वैश्विक बाजार में स्टील की अधिकता, ये सब मिलकर कीमतों को नीचे ला रहे हैं।
हॉट रोल्ड कॉइल (HRC) का भाव करीब 47,150 रुपये प्रति टन है। वहीं थोक बाजार में रीबार (TMT) 46,500 से 47,000 रुपये प्रति टन के भाव पर बिक रहा है। स्टील की कीमतें ऐसी ही स्तर पर आखिरी बार साल 2020 में देखी गई थीं। तब कोविड-19 महामारी के कारण कारोबार धीमा पड़ गया था और HRC का भाव 46,000 रुपये और रीबार का भाव 45,000 रुपये प्रति टन था।
चीन बना बड़ा कारणचीन जैसे देश भारी मात्रा में स्टील का निर्यात कर रहे हैं, जिससे भारत के स्टील निर्यात में भारी गिरावट आई है। वहीं, सरकार के उपायों के बावजूद विदेशों से स्टील का आयात लगातार बढ़ रहा है। स्टील मंत्रालय ने 27 अक्टूबर को नई दिल्ली में एक 'ओपन हाउस' मीटिंग बुलाई है। इसमें उद्योग से जुड़े लोगों के साथ स्टील आयात के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
आरबीआई ने जताई चिंताभारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी स्टील के आयात में बढ़ोतरी पर चिंता जताई है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से विदेशों से सस्ते दामों पर स्टील आने के कारण हुई है। आरबीआई ने घरेलू स्टील उत्पादन को बढ़ावा देने और उसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए नीतिगत समर्थन की मांग की है।
सितंबर 2025 में भारत ने 0.79 मिलियन टन (MT) तैयार स्टील का आयात किया। यह अगस्त 2025 के 0.69 MT के मुकाबले ज्यादा है। भारत लगातार छठे महीने स्टील का शुद्ध आयातक (net importer) बना हुआ है। सितंबर 2024 की तुलना में चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैंड और ताइवान जैसे देशों से स्टील का आयात कम हुआ है। वहीं, कोरिया, रूस और इंडोनेशिया से आयात बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2026 की पहली छमाही में भी भारत स्टील का शुद्ध आयातक रहा। इस दौरान आयात, निर्यात से 0.47 MT अधिक रहा। हालांकि, निर्यात में 40% की बढ़ोतरी हुई और यह 4.43 MT तक पहुंच गया।
कच्चे माल की लागत में नहीं आई कमीतैयार स्टील की कीमतें भले ही गिरी हों, लेकिन कच्चे माल की लागत उतनी कम नहीं हुई है। लौह अयस्क 4,800 से 5,000 रुपये प्रति टन पर स्थिर है, जो एक साल का निचला स्तर है। वहीं कोकिंग कोल करीब 205 USD प्रति टन CFR (लागत, बीमा और माल ढुलाई) पर बिक रहा है, जो एक महीने का निचला स्तर है। बिगमिंट के अनुसार, अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में स्टील निर्माताओं के मुनाफे पर दबाव बने रहने की संभावना है। इसकी वजह कच्चे माल की ऊंची लागत और कमजोर बिक्री मूल्य हैं।
कीमतें कम होने की उम्मीदफिलहाल, स्टील की कीमतें कम रहने की उम्मीद है। इसका कारण है कि बाजार में स्टील का स्टॉक ज्यादा है, मांग कमजोर है और मौसम का भी असर है। हालांकि, अगर कीमतें और गिरीं तो आने वाले महीनों में उत्पादन में कटौती हो सकती है।
हॉट रोल्ड कॉइल (HRC) का भाव करीब 47,150 रुपये प्रति टन है। वहीं थोक बाजार में रीबार (TMT) 46,500 से 47,000 रुपये प्रति टन के भाव पर बिक रहा है। स्टील की कीमतें ऐसी ही स्तर पर आखिरी बार साल 2020 में देखी गई थीं। तब कोविड-19 महामारी के कारण कारोबार धीमा पड़ गया था और HRC का भाव 46,000 रुपये और रीबार का भाव 45,000 रुपये प्रति टन था।
चीन बना बड़ा कारणचीन जैसे देश भारी मात्रा में स्टील का निर्यात कर रहे हैं, जिससे भारत के स्टील निर्यात में भारी गिरावट आई है। वहीं, सरकार के उपायों के बावजूद विदेशों से स्टील का आयात लगातार बढ़ रहा है। स्टील मंत्रालय ने 27 अक्टूबर को नई दिल्ली में एक 'ओपन हाउस' मीटिंग बुलाई है। इसमें उद्योग से जुड़े लोगों के साथ स्टील आयात के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
आरबीआई ने जताई चिंताभारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी स्टील के आयात में बढ़ोतरी पर चिंता जताई है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से विदेशों से सस्ते दामों पर स्टील आने के कारण हुई है। आरबीआई ने घरेलू स्टील उत्पादन को बढ़ावा देने और उसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए नीतिगत समर्थन की मांग की है।
सितंबर 2025 में भारत ने 0.79 मिलियन टन (MT) तैयार स्टील का आयात किया। यह अगस्त 2025 के 0.69 MT के मुकाबले ज्यादा है। भारत लगातार छठे महीने स्टील का शुद्ध आयातक (net importer) बना हुआ है। सितंबर 2024 की तुलना में चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैंड और ताइवान जैसे देशों से स्टील का आयात कम हुआ है। वहीं, कोरिया, रूस और इंडोनेशिया से आयात बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2026 की पहली छमाही में भी भारत स्टील का शुद्ध आयातक रहा। इस दौरान आयात, निर्यात से 0.47 MT अधिक रहा। हालांकि, निर्यात में 40% की बढ़ोतरी हुई और यह 4.43 MT तक पहुंच गया।
कच्चे माल की लागत में नहीं आई कमीतैयार स्टील की कीमतें भले ही गिरी हों, लेकिन कच्चे माल की लागत उतनी कम नहीं हुई है। लौह अयस्क 4,800 से 5,000 रुपये प्रति टन पर स्थिर है, जो एक साल का निचला स्तर है। वहीं कोकिंग कोल करीब 205 USD प्रति टन CFR (लागत, बीमा और माल ढुलाई) पर बिक रहा है, जो एक महीने का निचला स्तर है। बिगमिंट के अनुसार, अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में स्टील निर्माताओं के मुनाफे पर दबाव बने रहने की संभावना है। इसकी वजह कच्चे माल की ऊंची लागत और कमजोर बिक्री मूल्य हैं।
कीमतें कम होने की उम्मीदफिलहाल, स्टील की कीमतें कम रहने की उम्मीद है। इसका कारण है कि बाजार में स्टील का स्टॉक ज्यादा है, मांग कमजोर है और मौसम का भी असर है। हालांकि, अगर कीमतें और गिरीं तो आने वाले महीनों में उत्पादन में कटौती हो सकती है।
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