नई दिल्ली: बांग्लादेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले चुनावों को लेकर सुगबुगाहट अभी से शुरू हो गई है। पूर्व पीएम शेख हसीना ने चुनाव बहिष्कार के संकेत दिए हैं तो पूर्व पीएम खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने 237 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं। इस बीच एक राजनीतिक रैली में हिंसा भी देखने को मिली है ।
बांग्लादेश में बीते साल शेख हसीना की सरकार से विदाई और मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार आने के बाद से भारत भी कहीं ना कहीं वहां की उथल पुथल से प्रभावित हुआ है। शेख हसीना को भारत सरकार ने आनन फ़ानन में राजनीतिक शरण का नाम लिए बग़ैर आश्रय दिया, जो युनूस सरकार और भारत सरकार के बीच खटास की एक वजह बना। हालांकि नेबरहुड फर्स्ट को मानते हुए विदेश मंत्रालय ये कहता रहा है कि भारत अपेक्षा करता है कि वहां निष्पक्ष और सही चुनाव हों
क्यों भारत रखेगा नजर? शेख हसीना की सत्ता के लंबे दौर से पहले 2001 के बाद के पांच साल वहां ख़ालिदा जिया सत्ता में थी। उस वक्त उनका रुख़ भारत को लेकर बहुत सहज नहीं रहा था। सत्ता में रहने के दौरान कथित तौर पर उनकी सरकार की भारत विरोधी अप्रोच विवादों में रही। पूर्वोत्तर में अलगाववादी तत्वों की चुनौती बांग्लादेश स्थित उल्फा जैसे संगठनों से ऑपरेट होती थी। अवामी लीग की भारत के साथ सहज नजदीकी को भी संदेह की नज़र से देखा जाता था। अब ऐन चुनावों से पहली बीएनपी की सक्रियता भारत के लिए बहुत मायने रखती है। ऐसे में बांग्लादेश के संभावित चुनावों पर भारत नज़र बनाए रखेगा।
नेपाल में लेफ्ट का नया गठबंधननेपाल में हाल फिलहाल में जिस तरह नौ वाम दलों ने एक मंच पर इकट्ठा हो कर चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टी का गठन किया है। उसने वहां की कम्यूनिस्ट राजनीति को दो धाराओं में बांट दिया है। बीते दिनों जेन जी के तख्तापलट के बाद से वहां सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार है। नेपाल में
हाल फ़िलहाल की घटनाओं ने वहां की अंदरूनी राजनीति को खुद में आमूल चूक बदलाव के लिए मजबूर किया है।
इस नए मंच में शामिल हुए दलों का कहना है कि पुष्प कमल दहल के समन्वय के तले इस मंच के जरिए वामपंथी एकता को मज़बूत करने का प्रयास किया जा रहा है। नेपाल और भारत के पुराने पीपल टू पीपल समीकरण और एतिहासिक रिश्ते रहे हैं। कम्यूनिस्ट सरकारों के साथ खट्टे मीठे अनुभव भी रहे हैं। भारत से सटे देश में जेन जी के आंदोलन को भारत ने भी ध्यान से देखा। ऐसे में मार्च में होने वाले चुनावों से पहले की सारी गतिविधियों पर यहां भी नजर बनी हुई है ।
बांग्लादेश में बीते साल शेख हसीना की सरकार से विदाई और मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार आने के बाद से भारत भी कहीं ना कहीं वहां की उथल पुथल से प्रभावित हुआ है। शेख हसीना को भारत सरकार ने आनन फ़ानन में राजनीतिक शरण का नाम लिए बग़ैर आश्रय दिया, जो युनूस सरकार और भारत सरकार के बीच खटास की एक वजह बना। हालांकि नेबरहुड फर्स्ट को मानते हुए विदेश मंत्रालय ये कहता रहा है कि भारत अपेक्षा करता है कि वहां निष्पक्ष और सही चुनाव हों
क्यों भारत रखेगा नजर? शेख हसीना की सत्ता के लंबे दौर से पहले 2001 के बाद के पांच साल वहां ख़ालिदा जिया सत्ता में थी। उस वक्त उनका रुख़ भारत को लेकर बहुत सहज नहीं रहा था। सत्ता में रहने के दौरान कथित तौर पर उनकी सरकार की भारत विरोधी अप्रोच विवादों में रही। पूर्वोत्तर में अलगाववादी तत्वों की चुनौती बांग्लादेश स्थित उल्फा जैसे संगठनों से ऑपरेट होती थी। अवामी लीग की भारत के साथ सहज नजदीकी को भी संदेह की नज़र से देखा जाता था। अब ऐन चुनावों से पहली बीएनपी की सक्रियता भारत के लिए बहुत मायने रखती है। ऐसे में बांग्लादेश के संभावित चुनावों पर भारत नज़र बनाए रखेगा।
नेपाल में लेफ्ट का नया गठबंधननेपाल में हाल फिलहाल में जिस तरह नौ वाम दलों ने एक मंच पर इकट्ठा हो कर चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टी का गठन किया है। उसने वहां की कम्यूनिस्ट राजनीति को दो धाराओं में बांट दिया है। बीते दिनों जेन जी के तख्तापलट के बाद से वहां सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार है। नेपाल में
हाल फ़िलहाल की घटनाओं ने वहां की अंदरूनी राजनीति को खुद में आमूल चूक बदलाव के लिए मजबूर किया है।
इस नए मंच में शामिल हुए दलों का कहना है कि पुष्प कमल दहल के समन्वय के तले इस मंच के जरिए वामपंथी एकता को मज़बूत करने का प्रयास किया जा रहा है। नेपाल और भारत के पुराने पीपल टू पीपल समीकरण और एतिहासिक रिश्ते रहे हैं। कम्यूनिस्ट सरकारों के साथ खट्टे मीठे अनुभव भी रहे हैं। भारत से सटे देश में जेन जी के आंदोलन को भारत ने भी ध्यान से देखा। ऐसे में मार्च में होने वाले चुनावों से पहले की सारी गतिविधियों पर यहां भी नजर बनी हुई है ।
You may also like

वॉशिंग मशीनˈ में कपड़े धोने से पहले नहीं देखीं जेबें। अंदर छुपी चीज़ ने किया ज़ोरदार धमाका दहशत में घरवाले﹒

हार्ट मेंˈ ब्लॉकेज होने पर जरूर दिखते हैं ये लक्षण न करें नजरअंदाज﹒

चाहे कितनीˈ भी पुरानी खुजली क्यों ना हो, सिर्फ 1 घंटे में सफाया इस चमत्कारी घरेलु उपाय से, जरूर अपनाएँ और शेयर करे﹒

धमतरी : नगर निगम धमतरी की एमआईसी बैठक में जनहित के विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा

धमतरी : बच्चों को अब तक पुस्तक नहीं, मंत्री व कलेक्टर का वेतन रोकने की बात कहने वाले शिक्षक निलंबित




