नई दिल्ली: अमेरिकी कृषि मंत्री ब्रुक रोलिंस के दावे की हवा उड़ गई है। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने उनकी गलतफहमी दूर कर दी है। रोलिंस ने दावा किया था कि अमेरिका दुनिया को खिलाता है। सिब्बल ने इस पर पलटवार किया। उन्होंने उन देशों की पूरी लिस्ट पोस्ट कर दी जो टॉप कृषि उत्पादक हैं। इनमें अमेरिका के अलावा चीन, भारत, ब्राजील और रूस सहित कई देश शामिल हैं। चीन लिस्ट में टॉप पर है। उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया को खाना खिलाने वाले देशों में से एक है। सिब्बल ने रोलिंस के पोस्ट का हवाला देते हुए कहा, 'अमेरिका दुनिया को खाना खिलाता है! किस नासमझ ने अमेरिकी कृषि मंत्री को ऐसी जानकारी दी?'
पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने अमेरिकी कृषि मंत्री ब्रुक रोलिंस के इस दावे को गलत बताया है कि अमेरिका दुनिया को खाना खिलाता है। सिब्बल के अनुसार, अमेरिका दुनिया को खाना खिलाने वाले देशों में से एक है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दुनिया के टॉप कृषि उत्पादक देशों की लिस्ट भी जारी की। इसमें चीन, अमेरिका, ब्राजील, भारत, रूस, फ्रांस, मैक्सिको, जापान, जर्मनी और तुर्की जैसे देश शामिल हैं।
कृषि मंत्री पर ले ली चुटकी
सिब्बल ने रोलिंस के पोस्ट का हवाला देते हुए कहा कि किस नासमझ ने अमेरिकी कृषि मंत्री को ऐसी जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया के सबसे बड़े कृषि निर्यातक देशों में यूरोपीय संघ, अमेरिका, ब्राजील, चीन, कनाडा, इंडोनेशिया, थाईलैंड, भारत, मैक्सिको और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। सिब्बल ने जोर देकर कहा कि गलत जानकारी से गलत सोच और दुनिया के प्रति गलत नजरिया पैदा होता है।
कैसे शुरू हुआ विवाद?विवाद तब शुरू हुआ जब अमेरिकी कृषि सचिव ब्रुक रोलिंस ने कहा कि अमेरिकी सोयाबीन किसान सौदेबाजी की वस्तु नहीं हैं। चीन की ओर से अमेरिकी सोयाबीन की खरीद को व्यापार वार्ता में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के बाद उनका बयान आया। चीन दुनिया का सबसे बड़ा सोयाबीन खरीदार है। वह अमेरिकी किसानों के लिए महत्वपूर्ण बाजार है। चीन ने अमेरिका की ओर से लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण सोयाबीन पर 23% टैरिफ लगा दिया था। इसके चलते चीनी खरीदारों ने अमेरिकी शरद ऋतु की फसल की खरीद से काफी हद तक परहेज किया। इसके बजाय दक्षिण अमेरिकी देशों से सोयाबीन का आयात बढ़ा दिया। हालांकि, हाल ही में चीन और अमेरिका के बीच हुई बातचीत में बीजिंग ने वर्तमान मौसम में जनवरी तक 1.2 करोड़ टन अमेरिकी सोयाबीन खरीदने पर सहमति जताई।
रोलिंस ने इस बात पर जोर दिया कि चीन को अमेरिकी किसानों का इस्तेमाल व्यापार या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी भी गतिरोध में मोहरे के तौर पर करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, 'बहुत लंबे समय से विदेशी शक्तियों ने वाशिंगटन पर भरोसा किया है कि वह आंखें मूंद लेगा। जबकि वे हमारे उत्पादकों, हमारे बाजारों और हमारी आजीविका के साथ खेल खेलते हैं। वे दिन अब लद गए। हमारे किसान दुनिया को खिलाते हैं - और वे डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेता के हकदार हैं जो उनके बढ़ने, बेचने और अपनी शर्तों पर समृद्ध होने की स्वतंत्रता के लिए लड़ेंगे। अमेरिका कभी भी बीजिंग या किसी और के हेरफेर के आगे नहीं झुकेगा।'
ट्रंप ने बताया चीन की ताकत का राज
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मामले पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि चीन ने अमेरिका पर टैरिफ कम करने के बदले में रेयर अर्थ बेचने और अमेरिकी कृषि उत्पादों को फिर से खरीदना शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है। एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा कि यह एक अस्थायी नुकसान था। उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन के खिलाफ बहुत अच्छा कर रहा था। लेकिन, अचानक बीजिंग ने लड़ने का फैसला किया। अपनी सारी शक्ति अमेरिका के खिलाफ इस्तेमाल की। ट्रंप के अनुसार, चीन की सबसे बड़ी ताकत रेयर अर्थ हैं। इन्हें चीन ने 25-30 वर्षों से जमा किया है। जबकि अन्य देशों ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने इस शक्ति का इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ किया। जवाब में अमेरिका ने हवाई जहाज के पुर्जों जैसी चीजों का इस्तेमाल किया, जो एक बड़ी बात है। अमेरिका ने चीन को बोइंग हवाई जहाजों के लिए पुर्जे देने से इनकार कर दिया।
ट्रंप ने स्वीकार किया कि दोनों देश शायद थोड़े तर्कहीन तरीके से काम कर रहे थे। लेकिन, अंत में टैरिफ सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ। उन्होंने कहा कि उन्होंने चीन से कहा, 'देखो, अगर तुम नहीं खुलते हो तो हम जो करेंगे वह है जो आप पहले से भुगतान कर रहे हैं, उसके ऊपर 100% टैरिफ लगाएंगे।'
पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने अमेरिकी कृषि मंत्री ब्रुक रोलिंस के इस दावे को गलत बताया है कि अमेरिका दुनिया को खाना खिलाता है। सिब्बल के अनुसार, अमेरिका दुनिया को खाना खिलाने वाले देशों में से एक है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दुनिया के टॉप कृषि उत्पादक देशों की लिस्ट भी जारी की। इसमें चीन, अमेरिका, ब्राजील, भारत, रूस, फ्रांस, मैक्सिको, जापान, जर्मनी और तुर्की जैसे देश शामिल हैं।
कृषि मंत्री पर ले ली चुटकी
सिब्बल ने रोलिंस के पोस्ट का हवाला देते हुए कहा कि किस नासमझ ने अमेरिकी कृषि मंत्री को ऐसी जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया के सबसे बड़े कृषि निर्यातक देशों में यूरोपीय संघ, अमेरिका, ब्राजील, चीन, कनाडा, इंडोनेशिया, थाईलैंड, भारत, मैक्सिको और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। सिब्बल ने जोर देकर कहा कि गलत जानकारी से गलत सोच और दुनिया के प्रति गलत नजरिया पैदा होता है।
America feeds the world!
— Kanwal Sibal (@KanwalSibal) November 3, 2025
Which ignoramus gives the US Agriculture secretary this kind of information.
The top agricultural producing countries are : 1. China
2. United States
3. Brazil
4. India
5. Russia
6. France 7.Mexico.8Japan
9. Germany10. Turkey
The top agricultural… https://t.co/ukmtL7j1yL
कैसे शुरू हुआ विवाद?विवाद तब शुरू हुआ जब अमेरिकी कृषि सचिव ब्रुक रोलिंस ने कहा कि अमेरिकी सोयाबीन किसान सौदेबाजी की वस्तु नहीं हैं। चीन की ओर से अमेरिकी सोयाबीन की खरीद को व्यापार वार्ता में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के बाद उनका बयान आया। चीन दुनिया का सबसे बड़ा सोयाबीन खरीदार है। वह अमेरिकी किसानों के लिए महत्वपूर्ण बाजार है। चीन ने अमेरिका की ओर से लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण सोयाबीन पर 23% टैरिफ लगा दिया था। इसके चलते चीनी खरीदारों ने अमेरिकी शरद ऋतु की फसल की खरीद से काफी हद तक परहेज किया। इसके बजाय दक्षिण अमेरिकी देशों से सोयाबीन का आयात बढ़ा दिया। हालांकि, हाल ही में चीन और अमेरिका के बीच हुई बातचीत में बीजिंग ने वर्तमान मौसम में जनवरी तक 1.2 करोड़ टन अमेरिकी सोयाबीन खरीदने पर सहमति जताई।
रोलिंस ने इस बात पर जोर दिया कि चीन को अमेरिकी किसानों का इस्तेमाल व्यापार या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी भी गतिरोध में मोहरे के तौर पर करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, 'बहुत लंबे समय से विदेशी शक्तियों ने वाशिंगटन पर भरोसा किया है कि वह आंखें मूंद लेगा। जबकि वे हमारे उत्पादकों, हमारे बाजारों और हमारी आजीविका के साथ खेल खेलते हैं। वे दिन अब लद गए। हमारे किसान दुनिया को खिलाते हैं - और वे डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेता के हकदार हैं जो उनके बढ़ने, बेचने और अपनी शर्तों पर समृद्ध होने की स्वतंत्रता के लिए लड़ेंगे। अमेरिका कभी भी बीजिंग या किसी और के हेरफेर के आगे नहीं झुकेगा।'
ट्रंप ने बताया चीन की ताकत का राज
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मामले पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि चीन ने अमेरिका पर टैरिफ कम करने के बदले में रेयर अर्थ बेचने और अमेरिकी कृषि उत्पादों को फिर से खरीदना शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है। एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा कि यह एक अस्थायी नुकसान था। उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन के खिलाफ बहुत अच्छा कर रहा था। लेकिन, अचानक बीजिंग ने लड़ने का फैसला किया। अपनी सारी शक्ति अमेरिका के खिलाफ इस्तेमाल की। ट्रंप के अनुसार, चीन की सबसे बड़ी ताकत रेयर अर्थ हैं। इन्हें चीन ने 25-30 वर्षों से जमा किया है। जबकि अन्य देशों ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने इस शक्ति का इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ किया। जवाब में अमेरिका ने हवाई जहाज के पुर्जों जैसी चीजों का इस्तेमाल किया, जो एक बड़ी बात है। अमेरिका ने चीन को बोइंग हवाई जहाजों के लिए पुर्जे देने से इनकार कर दिया।
ट्रंप ने स्वीकार किया कि दोनों देश शायद थोड़े तर्कहीन तरीके से काम कर रहे थे। लेकिन, अंत में टैरिफ सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ। उन्होंने कहा कि उन्होंने चीन से कहा, 'देखो, अगर तुम नहीं खुलते हो तो हम जो करेंगे वह है जो आप पहले से भुगतान कर रहे हैं, उसके ऊपर 100% टैरिफ लगाएंगे।'
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