नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO एक बार फिर से इतिहास रचने जा रहा है। दरअसल, देश के इतिहास में पहली बार 2 नवंबर को अब तक की सबसे भारी सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी चल रही है। 4400 किलोग्राम वजन वाले इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग का मकसद भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत को बढ़ाना है। समुद्र में दुश्मनों की साजिश नाकाम करने में यह सैटेलाइट काफी अहम भूमिका निभाएगा। समुद्र में चीन की दादागिरी पर नकेल कसने का काम करेगा।
इसे लेकर इसरो ने कई अहम जानकारी दी है। दरअसल, CMS 03 सैटेलाइट की लॉन्चिंग एलवीएम 3 रॉकेट के जरिए किया जाएगा। यह वही LVM-3 रॉकेट है जिसके द्वारा चंद्रयान -3 मिशन को लॉन्च किया था, जिसमें भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बना था। इसरो ने आगे कहा कि लॉन्च वाहन को पूरी तरह से इकट्ठा किया गया है और अंतरिक्ष यान के साथ एकीकृत किया गया है और अंतिम प्री-लॉन्च ऑपरेशन के लिए 26 अक्टूबर को लॉन्च पैड पर ले जाया गया था।
सीएमएस-03 सैटेलाइट की खासियत
दरअसल, पहले साइक्लोन के चलते 2 नवंबर वाली डेट भी टलने वाली थी। लेकिन अब साइक्लोन की दिशा बदल गई है, जिसके बाद 2 नवंबर को इसकी लॉन्चिंग कर दी जाएगी। सीएमएस-03 के लॉन्च के बाद, भारतीय नौसेना और मजबूत होगी। इस सैटेलाइट के माध्यम से किसी भी तरह के बाहरी खतरे से निपटने में मदद मिलेगी।
इसे लेकर इसरो ने कई अहम जानकारी दी है। दरअसल, CMS 03 सैटेलाइट की लॉन्चिंग एलवीएम 3 रॉकेट के जरिए किया जाएगा। यह वही LVM-3 रॉकेट है जिसके द्वारा चंद्रयान -3 मिशन को लॉन्च किया था, जिसमें भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बना था। इसरो ने आगे कहा कि लॉन्च वाहन को पूरी तरह से इकट्ठा किया गया है और अंतरिक्ष यान के साथ एकीकृत किया गया है और अंतिम प्री-लॉन्च ऑपरेशन के लिए 26 अक्टूबर को लॉन्च पैड पर ले जाया गया था।
सीएमएस-03 सैटेलाइट की खासियत
- अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के अनुसार, सीएमएस-03 एक मल्टी-बैंड संचार उपग्रह है।
- इसे भारतीय भूभाग सहित विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- चीन-पाकिस्तान जैसे देश की समुद्री गतिविधियों पर पैनी नजर रखने का काम करेगा
- भारतीय धरती से जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में लॉन्च होने वाला यह अब तक का सबसे भारी कम्यूनिकेशन सैटेलाइट होगा।
- CMS-03 सैटेलाइट को GSAT-7R के नाम से भी जाना जाता है।
- इस सैटेलाइट को आंध्र प्रदेश के श्री हरीकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC) से प्रक्षेपित किया जाएगा।
दरअसल, पहले साइक्लोन के चलते 2 नवंबर वाली डेट भी टलने वाली थी। लेकिन अब साइक्लोन की दिशा बदल गई है, जिसके बाद 2 नवंबर को इसकी लॉन्चिंग कर दी जाएगी। सीएमएस-03 के लॉन्च के बाद, भारतीय नौसेना और मजबूत होगी। इस सैटेलाइट के माध्यम से किसी भी तरह के बाहरी खतरे से निपटने में मदद मिलेगी।
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