ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी, सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बेलन नदी के किनारे बसा मुखा जल प्रपात और लखनिया गुफाओं में छिपा 4,000 साल पुराना प्रागैतिहासिक रहस्य पुरातत्वविदों के लिए एक सनसनीखेज खोज बन गया है। करीब 80 फीट ऊंचे इस झरने के पास मिली गुफा चित्रकारियां प्रारंभिक मानव की कहानी बयां करती हैं, जिनमें शिकार, नृत्य और आदिवासी जीवन की जीवंत छवियां उकेरी गई हैं। रॉबर्ट्सगंज से 45 किलोमीटर और घोरावल से 12 किलोमीटर दूर यह स्थल प्रकृति और इतिहास का अनूठा संगम है, जो हर सैलानी को मंत्रमुग्ध कर देता है।
मुखा जलप्रपात का मनोरम दृश्य, खासकर मानसून में ऐसा जादू बिखेरता है, मानो प्रकृति ने अपना सर्वश्रेष्ठ कैनवास सजाया हो। इसके आसपास विंध्य और कैमूर पर्वतमाला में बसी 16 प्राचीन गुफाएं, जिनमें लखनिया गुफा सबसे खास है।
2000 ईसा पूर्व की कला को सहेजे हुए है। ये चित्र शिकारी जीवन, सामुदायिक उत्सवों और प्राचीन संस्कृति की कहानी कहते हैं। पास ही बेलन नदी पर करिया ताल और देवी मंदिर इस स्थल को आध्यात्मिक और प्राकृतिक आकर्षण का केंद्र बनाते हैं, जिसे ‘इंडिया का स्विट्जरलैंड’ और ‘गुप्त काशी’ जैसे नामों से नवाजा गया है।
पर्यटन विभाग इन धरोहरों को संरक्षित करने के लिए युद्धस्तर पर जुटा है, ताकि बढ़ते पर्यटकों की भीड़ से इस प्राचीन खजाने को नुकसान न पहुंचे। ट्रैकिंग, वाइल्डलाइफ सफारी और सांस्कृतिक अन्वेषण के शौकीनों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं।
पुरातत्वविदों का कहना है कि ये चित्र ना केवल सोनभद्र को ऐतिहासिक नक्शे पर चमकाते हैं, बल्कि विश्व स्तर पर प्रागैतिहासिक अध्ययन को नई ऊंचाइयां दे सकते हैं। सोनभद्र का यह रहस्यमयी संसार हर इतिहास प्रेमी और प्रकृति प्रेमी को बुला रहा है।

मुखा जलप्रपात का मनोरम दृश्य, खासकर मानसून में ऐसा जादू बिखेरता है, मानो प्रकृति ने अपना सर्वश्रेष्ठ कैनवास सजाया हो। इसके आसपास विंध्य और कैमूर पर्वतमाला में बसी 16 प्राचीन गुफाएं, जिनमें लखनिया गुफा सबसे खास है।

2000 ईसा पूर्व की कला को सहेजे हुए है। ये चित्र शिकारी जीवन, सामुदायिक उत्सवों और प्राचीन संस्कृति की कहानी कहते हैं। पास ही बेलन नदी पर करिया ताल और देवी मंदिर इस स्थल को आध्यात्मिक और प्राकृतिक आकर्षण का केंद्र बनाते हैं, जिसे ‘इंडिया का स्विट्जरलैंड’ और ‘गुप्त काशी’ जैसे नामों से नवाजा गया है।
पर्यटन विभाग इन धरोहरों को संरक्षित करने के लिए युद्धस्तर पर जुटा है, ताकि बढ़ते पर्यटकों की भीड़ से इस प्राचीन खजाने को नुकसान न पहुंचे। ट्रैकिंग, वाइल्डलाइफ सफारी और सांस्कृतिक अन्वेषण के शौकीनों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं।

पुरातत्वविदों का कहना है कि ये चित्र ना केवल सोनभद्र को ऐतिहासिक नक्शे पर चमकाते हैं, बल्कि विश्व स्तर पर प्रागैतिहासिक अध्ययन को नई ऊंचाइयां दे सकते हैं। सोनभद्र का यह रहस्यमयी संसार हर इतिहास प्रेमी और प्रकृति प्रेमी को बुला रहा है।
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