मेरठ: उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरठ जनपद के परीक्षितगढ़ स्थित श्रृंगी ऋषि आश्रम के समेकित पर्यटन विकास के लिए दो करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की है। यह स्थल महाभारत सर्किट के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है। माना जाता है कि यही वह स्थान है, जहां से कलियुग की शुरुआत हुई थी और महाभारत काल की कई घटनाएं यहीं से जुड़ी हैं। राज्य के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि श्रृंगी ऋषि आश्रम का सांस्कृतिक वैभव अत्यंत समृद्ध है। राज्य सरकार का उद्देश्य इस पौराणिक स्थल को आधुनिक पर्यटन सुविधाओं से जोड़ना है, ताकि यह महाभारत सर्किट का प्रमुख आकर्षण बन सके।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि आश्रम परिसर में ऋषि श्रृंगी और ऋषि शमीक की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जिनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं पर्यटकों में गहरी जिज्ञासा उत्पन्न करती हैं। यहां स्थित यज्ञशाला और पदचिह्नों के निशान आगंतुकों को इतिहास से जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के विकास के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। द्वापर युगीन इस भूमि को पर्यटन की दृष्टि से सुसज्जित कर क्षेत्र की पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया जाएगा।
मेरठ है बड़ा केंद्रमंत्री ने बताया कि मेरठ में श्रृंगी ऋषि आश्रम के अतिरिक्त नौचंदी परिसर स्थित मां चंडी देवी मंदिर, बाबा औघड़नाथ मंदिर, गोपेश्वर मंदिर, कात्यायनी देवी मंदिर और हस्तिनापुर जैसे ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल हैं। यहां हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि मेरठ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक एवं ऐतिहासिक केंद्र है।
मंत्री ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर के समीप होने के कारण यहां पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2024 में मेरठ में 37.78 लाख पर्यटक आए थे, जबकि वर्ष 2025 के जनवरी से जून तक 10.60 लाख पर्यटक यहां पहुंचे।
पर्यटन को देंगे बढ़ावापर्यटन मंत्री ने कहा कि बढ़ते पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है और रोजगार के नए अवसर भी सृजित हुए हैं। राज्य सरकार की योजना है कि आने वाले वर्षों में महाभारत सर्किट को एक विश्वस्तरीय धार्मिक-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। इससे और बेहतर ऑप्शन मिलने का अनुमान है।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि आश्रम परिसर में ऋषि श्रृंगी और ऋषि शमीक की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जिनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं पर्यटकों में गहरी जिज्ञासा उत्पन्न करती हैं। यहां स्थित यज्ञशाला और पदचिह्नों के निशान आगंतुकों को इतिहास से जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के विकास के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। द्वापर युगीन इस भूमि को पर्यटन की दृष्टि से सुसज्जित कर क्षेत्र की पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया जाएगा।
मेरठ है बड़ा केंद्रमंत्री ने बताया कि मेरठ में श्रृंगी ऋषि आश्रम के अतिरिक्त नौचंदी परिसर स्थित मां चंडी देवी मंदिर, बाबा औघड़नाथ मंदिर, गोपेश्वर मंदिर, कात्यायनी देवी मंदिर और हस्तिनापुर जैसे ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल हैं। यहां हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि मेरठ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक एवं ऐतिहासिक केंद्र है।
मंत्री ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर के समीप होने के कारण यहां पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2024 में मेरठ में 37.78 लाख पर्यटक आए थे, जबकि वर्ष 2025 के जनवरी से जून तक 10.60 लाख पर्यटक यहां पहुंचे।
पर्यटन को देंगे बढ़ावापर्यटन मंत्री ने कहा कि बढ़ते पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है और रोजगार के नए अवसर भी सृजित हुए हैं। राज्य सरकार की योजना है कि आने वाले वर्षों में महाभारत सर्किट को एक विश्वस्तरीय धार्मिक-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। इससे और बेहतर ऑप्शन मिलने का अनुमान है।
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