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रिज इलाका दिल्ली के लंग्स की तरह काम करती है... सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (11 नवंबर) को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया जिसका उद्देश्य दिल्ली की एक प्रमुख इको सिस्टम ‘दिल्ली रिज़’ की रक्षा करना है। अदालत ने कहा दिल्ली रिज राष्ट्रीय राजधानी के ‘ फेफड़ों’ की तरह काम करती है।

न्यायालय ने यह टिप्पणी की कि पिछले तीन दशकों में रिज की प्राकृतिक स्थिति को बहाल करने के लिए बहुत कम प्रगति हुई है। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय - MoEF & CC) को निर्देश दिया कि वह दिल्ली रिज़ मैनेजमेंट बोर्ड (DRMB) को वैधानिक दर्जा (statutory status) प्रदान करे ताकि अधिक जवाबदेही, पारदर्शिता और प्रभावी शासन सुनिश्चित किया जा सके। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. चंद्रन की पीठ ने यह कहते हुए गहरी असंतुष्टि व्यक्त की कि 1995 में न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद से रिज क्षेत्र के संरक्षण में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई है।

अदालत ने कहा कि हमारा मत है कि उचित वैधानिक संरक्षण के बिना रिज़ की अखंडता (integrity) को संरक्षित करना संभव नहीं है। हमें यह भी लगता है कि दिल्ली सरकार (GNCTD) ने रिज की सुरक्षा के लिए पर्याप्त तत्परता नहीं दिखाई। अदालत ने कह ाकि कुल 7,784 हेक्टेयर के पहचाने गए रिज क्षेत्र में से केवल 103.48 हेक्टेयर (1.33%) क्षेत्र को ही भारतीय वन अधिनियम के अंतर्गत आरक्षित वन (Reserved Forest) घोषित किया गया है। शेष क्षेत्र अभी भी अनधिकृत कब्ज़ों और निर्माणों के लिए असुरक्षित है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि रिज़ की सही पहचान और संरक्षण नहीं किया गया, तो पूरी पारिस्थितिकी की अखंडता प्रभावित होगी। रिज दिल्ली के ‘हरे फेफड़ों’ की तरह काम करती है, विशेष रूप से वर्तमान प्रदूषण की स्थिति में। इसलिए, DRMB को सक्रिय रूप से दिल्ली रिज़ की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कार्य करना चाहिए।”

इसके साथ ही, न्यायालय ने दिल्ली रिज़ मैनेजमेंट बोर्ड (DRMB) के पुनर्गठन (reconstitution) के निर्देश दिए।

  • बोर्ड दिल्ली रिज और मॉर्फोलॉजिकल रिज (Morphological Ridge) से संबंधित सभी मामलों के लिए सिंगल-विंडो प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा।
  • बोर्ड को रिज़ को उसके मूल स्वरूप में बनाए रखना होगा, इसके लिए सभी अतिक्रमण हटाने और सुधारात्मक कदम उठाने होंगे।
  • रिज और मॉर्फोलॉजिकल रिज़ दोनों में सभी अनधिकृत कब्ज़े हटाए जाएं।
  • मॉर्फोलॉजिकल रिज की पहचान प्रक्रिया को 8 फरवरी, 2023 के आदेश (T.N. Godavarman केस) के अनुसार पूरा किया जाए और उसकी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की जाए।
  • बोर्ड को हर छह महीने में न्यायालय को स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
  • बोर्ड को पारदर्शिता और निष्पक्षता से कार्य करना होगा
  • दिल्ली क्षेत्र की सभी सरकारी एजेंसियाँ बोर्ड के कार्यों में पूर्ण सहयोग करें।
स्थायी समिति (Standing Committee) का गठनसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि DRMB के आकार और स्वरूप को देखते हुए उसका दैनिक संचालन (day-to-day functioning) संभव नहीं है, इसलिए बोर्ड के भीतर एक स्थायी समिति गठित की जाए।
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