पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना है। इस बार वोट डालने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा रही। पहली बार 67.13 प्रतिशत वोटिंग हुई। दूसरा रिकॉर्ड यह बना कि एक भी बूथ पर दोबारा वोटिंग (पुनर्मतदान) नहीं हुआ। यह बिहार के इतिहास में पहली बार हुआ है।
चुनाव आयोग ने बुधवार को बताया कि पिछले लोकसभा चुनावों में भी दोबारा वोटिंग हुई थी। 2014 में 96 बार, 2019 में 3 बार और 2024 में 2 बार पुनर्मतदान कराना पड़ा था। इसी तरह बिहार विधानसभा चुनावों में भी पहले दोबारा वोटिंग हुई है। साल 2015 में 2 बार और 2020 में 3 बार दोबारा वोटिंग हुई थी।
महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर वोट डालेचुनाव आयोग के मुताबिक, यह बड़ी उपलब्धि 'बिहार फर्स्ट' नाम की पहलों की वजह से संभव हुई है। ये 17 खास सुधार मार्च 2025 से लागू किए गए थे। इनका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि चुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र और सभी के लिए हों। इस बार महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर वोट डाले। राज्य में 71.78 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने वोट दिया, जबकि पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत 62.98 रहा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी ने वेबकास्टिंग के जरिए सभी 90,740 मतदान केंद्रों पर नजर रखी। चुनाव आयोग ने एक प्रेस नोट में बताया कि उन्होंने पूरे मतदान प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी की। ईसीआईनेट (ECINet) नाम की डिजिटल तकनीक ने रियल-टाइम में निगरानी, मतदाताओं की मदद और समय पर जानकारी देने में मदद की। यह तकनीक दो चरणों में हुए मतदान के दौरान बहुत उपयोगी साबित हुई।
कोई गड़बड़ी नहीं, तो पुनर्मतदान भी नहींचुनाव आयोग ने यह भी बताया कि सभी 122 विधानसभा सीटों पर मतदान से जुड़े कागजात की जांच शांतिपूर्ण ढंग से हुई। इस जांच में रिटर्निंग ऑफिसर, जनरल ऑब्ज़र्वर और 460 से ज़्यादा उम्मीदवार या उनके एजेंट मौजूद थे। जांच में कोई गड़बड़ी, धांधली या अनियमितता नहीं पाई गई। इसलिए, कहीं भी दोबारा वोटिंग की सिफ़ारिश नहीं की गई। यह बिहार के चुनावी इतिहास में एक अनोखी बात है।
इस बार के चुनावों में कई बड़े सुधार किए गए। इनमें से एक था स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) 2025। इस प्रक्रिया से मतदाताओं की सूची को अपडेट किया गया। अब कुल 7.45 करोड़ मतदाता वोट देने के योग्य हैं। चुनाव आयोग ने कहा, "एसआईआर को बिना किसी अपील के पूरा किया गया, ताकि बिहार की मतदाता सूची एकदम ताजा और सही हो। इस काम के बाद दो चरणों में हुए चुनावों में 7,45,26,858 मतदाता वोट डालने के लिए योग्य थे।"
चुनाव आयोग ने किए सुधारइसके अलावा कई अन्य जरूरी कदम उठाए गए। बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को दिल्ली के आईआईआईडीएम में ट्रेनिंग दी गई। चुनाव कर्मचारियों का मानदेय दोगुना कर दिया गया। मतदान केंद्रों के बाहर मोबाइल और पैसे जमा कराने के लिए सुविधा शुरू की गई। साथ ही पारदर्शिता बढ़ाने के लिए 100 प्रतिशत वेबकास्टिंग की गई।
चुनाव आयोग ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के डिजाइन में भी सुधार किया। वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) की गिनती के नियमों को भी पक्का किया गया। ECINet के तहत एक ऐसा ऐप भी लाया गया, जिससे मतदाताओं को रियल-टाइम में जानकारी मिलती रहे।
चुनाव आयोग ने बुधवार को बताया कि पिछले लोकसभा चुनावों में भी दोबारा वोटिंग हुई थी। 2014 में 96 बार, 2019 में 3 बार और 2024 में 2 बार पुनर्मतदान कराना पड़ा था। इसी तरह बिहार विधानसभा चुनावों में भी पहले दोबारा वोटिंग हुई है। साल 2015 में 2 बार और 2020 में 3 बार दोबारा वोटिंग हुई थी।
महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर वोट डालेचुनाव आयोग के मुताबिक, यह बड़ी उपलब्धि 'बिहार फर्स्ट' नाम की पहलों की वजह से संभव हुई है। ये 17 खास सुधार मार्च 2025 से लागू किए गए थे। इनका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि चुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र और सभी के लिए हों। इस बार महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर वोट डाले। राज्य में 71.78 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने वोट दिया, जबकि पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत 62.98 रहा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी ने वेबकास्टिंग के जरिए सभी 90,740 मतदान केंद्रों पर नजर रखी। चुनाव आयोग ने एक प्रेस नोट में बताया कि उन्होंने पूरे मतदान प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी की। ईसीआईनेट (ECINet) नाम की डिजिटल तकनीक ने रियल-टाइम में निगरानी, मतदाताओं की मदद और समय पर जानकारी देने में मदद की। यह तकनीक दो चरणों में हुए मतदान के दौरान बहुत उपयोगी साबित हुई।
कोई गड़बड़ी नहीं, तो पुनर्मतदान भी नहींचुनाव आयोग ने यह भी बताया कि सभी 122 विधानसभा सीटों पर मतदान से जुड़े कागजात की जांच शांतिपूर्ण ढंग से हुई। इस जांच में रिटर्निंग ऑफिसर, जनरल ऑब्ज़र्वर और 460 से ज़्यादा उम्मीदवार या उनके एजेंट मौजूद थे। जांच में कोई गड़बड़ी, धांधली या अनियमितता नहीं पाई गई। इसलिए, कहीं भी दोबारा वोटिंग की सिफ़ारिश नहीं की गई। यह बिहार के चुनावी इतिहास में एक अनोखी बात है।
इस बार के चुनावों में कई बड़े सुधार किए गए। इनमें से एक था स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) 2025। इस प्रक्रिया से मतदाताओं की सूची को अपडेट किया गया। अब कुल 7.45 करोड़ मतदाता वोट देने के योग्य हैं। चुनाव आयोग ने कहा, "एसआईआर को बिना किसी अपील के पूरा किया गया, ताकि बिहार की मतदाता सूची एकदम ताजा और सही हो। इस काम के बाद दो चरणों में हुए चुनावों में 7,45,26,858 मतदाता वोट डालने के लिए योग्य थे।"
चुनाव आयोग ने किए सुधारइसके अलावा कई अन्य जरूरी कदम उठाए गए। बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को दिल्ली के आईआईआईडीएम में ट्रेनिंग दी गई। चुनाव कर्मचारियों का मानदेय दोगुना कर दिया गया। मतदान केंद्रों के बाहर मोबाइल और पैसे जमा कराने के लिए सुविधा शुरू की गई। साथ ही पारदर्शिता बढ़ाने के लिए 100 प्रतिशत वेबकास्टिंग की गई।
चुनाव आयोग ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के डिजाइन में भी सुधार किया। वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) की गिनती के नियमों को भी पक्का किया गया। ECINet के तहत एक ऐसा ऐप भी लाया गया, जिससे मतदाताओं को रियल-टाइम में जानकारी मिलती रहे।
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