नई दिल्ली: राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए समय सीमा तय करने वाले मामले पर सुनवाई के दौरान एक मजेदार वाकया सामने आया। इस दौरान गंभीर चर्चा के बीच कुछ हंसने-हंसाने वाली बातचीत भी हुईं। सुनवाई के दौरान जब मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर की पीठ ने चर्चा के लिए विराम लिया तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पूरे जोश में नजर आए। उन्होंने कहा कि काश मैंने होंठ पढ़ने की कोई क्लास ली होती। क्योंकि जब हम बहस कर रहे होते हैं और जज आपस में कुछ चर्चा करते हैं, जिससे हम आशंकित हो जाते हैं।
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम उस विषय पर चर्चा नहीं कर रहे थे, जिस पर पिछले तीन सप्ताहों के दौरान बहस हुई थी। ये मसला बॉम्बे हाई कोर्ट में हमारे एक सहकर्मी की तरह नहीं है, जो लंबी बहस के दौरान रेखाचित्र बनाते थे। वह मामलों पर फैसला देने के अलावा चित्रकारी और बढ़ईगीरी वगैरह करते थे।
बीच में छोड़ रहे थ कई पैराग्राफमेहता अपने जवाब के एक पैराग्राफ से दूसरे पैराग्राफ पर जा रहे थे और अपनी दलीलें खत्म करने की समय सीमा को पूरा करने के लिए स्पष्टीकरण के साथ तेजी से पढ़ते हुए बीच में कई पैराग्राफ छोड़ रहे थे। इस पर सीजेआई ने कहा मैं 2019 में सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बना। छह साल बाद भी मैं दिल्ली के वकीलों के साथ तालमेल नहीं रख पा रहा हूं, जो पहला वाक्य पढ़ते हैं और फिर किसी अन्य वाक्य पर जाने से पहले दसवां वाक्य पढ़ते हैं।
बिना पढ़े पढ़ने की आदत न अपनाएंसीजेआई ने कहा कि जस्टिस नरसिम्हा को छोड़कर पीठ में हम 4 लोगों को सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की स्पीड से मेल खाना मुश्किल लगता है। कभी-कभी हम भ्रमित महसूस करते हैं। हम पूरे लिखित प्रस्तुतीकरण को पढ़ेंगे, जो अनुलग्नकों सहित 5,000 से ज्यादा पृष्ठों का है। न्यायमूर्ति नरसिम्हा, जो जस्टिस बनने से पहले सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी के वकीलों के लिए एक संदेश है, जिन्हें बिना पढ़े पढ़ने की इस आदत को नहीं अपनाना चाहिए।
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम उस विषय पर चर्चा नहीं कर रहे थे, जिस पर पिछले तीन सप्ताहों के दौरान बहस हुई थी। ये मसला बॉम्बे हाई कोर्ट में हमारे एक सहकर्मी की तरह नहीं है, जो लंबी बहस के दौरान रेखाचित्र बनाते थे। वह मामलों पर फैसला देने के अलावा चित्रकारी और बढ़ईगीरी वगैरह करते थे।
बीच में छोड़ रहे थ कई पैराग्राफमेहता अपने जवाब के एक पैराग्राफ से दूसरे पैराग्राफ पर जा रहे थे और अपनी दलीलें खत्म करने की समय सीमा को पूरा करने के लिए स्पष्टीकरण के साथ तेजी से पढ़ते हुए बीच में कई पैराग्राफ छोड़ रहे थे। इस पर सीजेआई ने कहा मैं 2019 में सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बना। छह साल बाद भी मैं दिल्ली के वकीलों के साथ तालमेल नहीं रख पा रहा हूं, जो पहला वाक्य पढ़ते हैं और फिर किसी अन्य वाक्य पर जाने से पहले दसवां वाक्य पढ़ते हैं।
बिना पढ़े पढ़ने की आदत न अपनाएंसीजेआई ने कहा कि जस्टिस नरसिम्हा को छोड़कर पीठ में हम 4 लोगों को सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की स्पीड से मेल खाना मुश्किल लगता है। कभी-कभी हम भ्रमित महसूस करते हैं। हम पूरे लिखित प्रस्तुतीकरण को पढ़ेंगे, जो अनुलग्नकों सहित 5,000 से ज्यादा पृष्ठों का है। न्यायमूर्ति नरसिम्हा, जो जस्टिस बनने से पहले सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी के वकीलों के लिए एक संदेश है, जिन्हें बिना पढ़े पढ़ने की इस आदत को नहीं अपनाना चाहिए।
You may also like
हरियाणवी एक्ट्रेस अंजलि राघव का ट्रोलिंग पर सवाल: कथावाचक बोले- कुत्तों को जवाब देने की जरूरत नहीं!
मजेदार जोक्स: तुम मुझसे कितना प्यार करते हो?
IND vs PAK Match Prediction, Asia Cup 2025: भारत बनाम पाकिस्तान! यहां देखें संभावित XI, पिच रिपोर्ट और लाइव स्ट्रीमिंग से जुड़ी सभी जानकारी
पति की जीभ काटकर` खाई और खून भी पिया फिर भाग गई पत्नी… पुलिस से बोला- उसमें कोई तो शक्ति जरूर है
एशिया कप : फैंस को उम्मीद, पाकिस्तान के खिलाफ जीत का परचम लहराएगा भारत