खंडवा: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में धार्मिक आस्था और संस्कार के नए अध्याय का एक नया उदाहरण देखने को मिला है। दो युवकों ने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म को अपनाया और अपने नए जीवन की शुरुआत की। समीर ने सनातन धर्म अपनाकर अपना नाम शंकर रखा है। वहीं रेहान ने भी धर्म परिवर्तन कर रोहन बन गया है।
दोनों युवकों ने अपनी आस्था और बचपन से जुड़े धार्मिक संस्कारों के चलते यह फैसला लिया है। दोनों युवकों को खंडवा के महादेव मंदिर लाया गया, जहां गाय का गोबर उनके शरीर पर लपेटकर गंगा जल से स्नान करवाया गया। इसके बाद मुंडन संस्कार करवाया गया। फिर आकर्षक वस्त्र पहनाकर आचार्य और पंडितों ने पूजन संस्कार करवाया।
समीर की घर वापसी, शंकर भगवान के प्रति बचपन से आस्था
समीर, जो अब शंकर बन चुका है, बचपन से ही भगवान शंकर के प्रति गहरी आस्था रखता था। उसे हमेशा सावन के महीने में कांवड़ यात्रा करने और बाबा विश्वनाथ को जल चढ़ाने की इच्छा थी। समीर ने बताया कि उसके मन में वर्षों से यह भाव था कि वह एक दिन शिवभक्त बनकर अपनी श्रद्धा को पूरा करेगा। यही कारण है कि सावन के पवित्र महीने में उसने धर्म परिवर्तन कर ‘घर वापसी’ की और अपने नए जीवन की शुरुआत भगवान शिव की आराधना से की।
शंकर (पूर्व में समीर) ने कहा, “मुझे बचपन से ही मंदिरों का माहौल अच्छा लगता था। जब भी सावन आता, मैं देखता कि लोग कांवड़ लेकर बाबा भोलेनाथ के दरबार में जाते हैं। मन में हमेशा इच्छा थी कि मैं भी ऐसा करूं। अब मैंने सनातन धर्म अपनाकर अपने मन की सच्ची भावना को पूरा कर लिया है।”
बजरंगबली के भक्त रहे रेहान ने लिया नया नाम ‘रोहन’
रेहान ने भी इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपनाया और अपना नया नाम रोहन रखा। उसने बताया कि वह बचपन से ही बजरंगबली के प्रति गहरी श्रद्धा रखता था। वह मंगलवार और शनिवार को नियमित रूप से हनुमान मंदिर में आरती में शामिल होता था। रोहन ने कहा, “मैं बजरंगबली का मौन सेवक रहा हूं। उनके किस्से-कहानियां सुनकर बड़ा हुआ हूं। हर मंगलवार और शनिवार को मंदिर में जाकर आरती में बैठता था। धीरे-धीरे मेरे मन में यह भावना जागी कि मुझे भी सनातन धर्म अपनाकर खुलकर अपने आराध्य की भक्ति करनी चाहिए। अब जब मैंने धर्म परिवर्तन कर लिया है, तो यह मेरे लिए आध्यात्मिक संतोष का विषय है।”
जनवरी से अब तक 15 से अधिक धर्म परिवर्तन के मामले
खंडवा में यह पहली घटना नहीं है। महादेवगढ़ संचालक अशोक पालीवाल ने बताया की, जनवरी 2025 से अब तक जिले में 15 से ज्यादा युवाओं ने इस्लाम धर्म त्यागकर सनातन धर्म में घर वापसी की है। इन मामलों में ज्यादातर युवाओं ने धार्मिक आस्था और बचपन से मिले संस्कारों को धर्म परिवर्तन का कारण बताया है।
दोनों युवकों ने अपनी आस्था और बचपन से जुड़े धार्मिक संस्कारों के चलते यह फैसला लिया है। दोनों युवकों को खंडवा के महादेव मंदिर लाया गया, जहां गाय का गोबर उनके शरीर पर लपेटकर गंगा जल से स्नान करवाया गया। इसके बाद मुंडन संस्कार करवाया गया। फिर आकर्षक वस्त्र पहनाकर आचार्य और पंडितों ने पूजन संस्कार करवाया।
समीर की घर वापसी, शंकर भगवान के प्रति बचपन से आस्था
समीर, जो अब शंकर बन चुका है, बचपन से ही भगवान शंकर के प्रति गहरी आस्था रखता था। उसे हमेशा सावन के महीने में कांवड़ यात्रा करने और बाबा विश्वनाथ को जल चढ़ाने की इच्छा थी। समीर ने बताया कि उसके मन में वर्षों से यह भाव था कि वह एक दिन शिवभक्त बनकर अपनी श्रद्धा को पूरा करेगा। यही कारण है कि सावन के पवित्र महीने में उसने धर्म परिवर्तन कर ‘घर वापसी’ की और अपने नए जीवन की शुरुआत भगवान शिव की आराधना से की।
शंकर (पूर्व में समीर) ने कहा, “मुझे बचपन से ही मंदिरों का माहौल अच्छा लगता था। जब भी सावन आता, मैं देखता कि लोग कांवड़ लेकर बाबा भोलेनाथ के दरबार में जाते हैं। मन में हमेशा इच्छा थी कि मैं भी ऐसा करूं। अब मैंने सनातन धर्म अपनाकर अपने मन की सच्ची भावना को पूरा कर लिया है।”
बजरंगबली के भक्त रहे रेहान ने लिया नया नाम ‘रोहन’
रेहान ने भी इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपनाया और अपना नया नाम रोहन रखा। उसने बताया कि वह बचपन से ही बजरंगबली के प्रति गहरी श्रद्धा रखता था। वह मंगलवार और शनिवार को नियमित रूप से हनुमान मंदिर में आरती में शामिल होता था। रोहन ने कहा, “मैं बजरंगबली का मौन सेवक रहा हूं। उनके किस्से-कहानियां सुनकर बड़ा हुआ हूं। हर मंगलवार और शनिवार को मंदिर में जाकर आरती में बैठता था। धीरे-धीरे मेरे मन में यह भावना जागी कि मुझे भी सनातन धर्म अपनाकर खुलकर अपने आराध्य की भक्ति करनी चाहिए। अब जब मैंने धर्म परिवर्तन कर लिया है, तो यह मेरे लिए आध्यात्मिक संतोष का विषय है।”
जनवरी से अब तक 15 से अधिक धर्म परिवर्तन के मामले
खंडवा में यह पहली घटना नहीं है। महादेवगढ़ संचालक अशोक पालीवाल ने बताया की, जनवरी 2025 से अब तक जिले में 15 से ज्यादा युवाओं ने इस्लाम धर्म त्यागकर सनातन धर्म में घर वापसी की है। इन मामलों में ज्यादातर युवाओं ने धार्मिक आस्था और बचपन से मिले संस्कारों को धर्म परिवर्तन का कारण बताया है।
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