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दुनिया के ये 10 देश जो पैगंबर, ईश्वर को नहीं मानते, इनमें एक भारत का पड़ोसी, नास्तिक हो चुकी बहुसंख्यक आबादी

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वॉशिंगटन: दुनियाभर के धार्मिक समुदायों में बदलती डेमोग्राफी को लेकर चिंता तेज हो गई है, क्योंकि नास्तिक और धर्मनिरपेक्ष लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। दुनिया की एक बड़ी आबादी में नास्तिकता का चलन तेज हो रहा है, जहां किसी देवता, भगवान या पैगंबर में विश्वास नहीं है। पारंपरिक धार्मिक जुड़ाव कम हो रहे हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की हालिया रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसमें कहा गया है कि एक दशक के अंदर दुनिया में तीन और देशों में नास्तिक आबादी बहुसंख्यक हो गई है। अब दुनिया में 10 देश ऐसे हैं, जहां पर बहुसंख्यक लोग किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं।



नास्तिक वे लोग हैं जो देवताओं, ईश्वर या पैगंबरों के अस्तित्व में विश्वास नहीं करते। यह अपने आप में कोई संप्रदाय या धर्म नहीं है, बल्कि ईश्वर को लेकर एक नजरिया है। नास्तिक इस दावे को नहीं मानते कि देवताओं का अस्तित्व है। नास्तिकता अलग-अलग प्रकार से हो सकती है। यह निष्क्रिय व्यक्तिगत विचार या धार्मिक सिद्धांतों के कठोर खंडन तक हो सकती है। फिलहाल हम उन देशों के बारे में जानते है, जहां पर बहुसंख्यक आबादी धर्म से दूर है। इनमें सबसे प्रमुख भारत का पड़ोसी है।



चीन

चीन नास्तिक आबादी वाले सबसे बड़े देशों में से एक है। यहां पर 91 प्रतिशत आबादी किसी धार्मिक विश्वास को नहीं मानती है। चीनी समाज में कन्फ्यूशियस, ताओवाद और बौद्ध धर्म की पारंपरिक मान्यताएं हैं। इनकी विचारधारा के मूल में किसी व्यक्तिगत देवता का विश्वास नहीं है। इसके अलावा 1949 से चीन पर कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है, जो नास्तिकता का समर्थन करती है।



जापान

पूर्व एशियाई देश में नास्तिक और किसी धर्म के न मानने वाले लोगों की दर सबसे अधिक है। हालांकि, जापान में धार्मिक परंपराएं हैं, जिनमें शिंटोवाद और बौद्ध धर्म प्रमुख है, लेकिन ये किसी व्यक्तिगत ईश्वर में विश्वास के बजाय कर्मकांडों और सामुदायिक प्रथाओं पर जोर देती हैं। जापान में 86 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो किसी धर्म को नहीं मानते।



स्वीडन

इस यूरोपीय देश में बड़ी नास्तिक आबादी रहती है। अधिकांश लोग खुद गैर-नास्तिक के रूप में चिह्नित करते हैं। स्वीडन में किसी धर्म के न मानने वालों की संख्या 78 प्रतिशत है। स्वीडन अपने शुरुआती समय से ही एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में जाना जाता है। यहां धर्म काफी हद तक निजी है।



चेक गणराज्य

चेक गणराज्य को दुनिया में सबसे अधिक नास्तिक आबादी वाले देशों में से एक माना जाता है। देश में लभगग 75 फीसदी लोग गैर-धार्मिक है। इनमें बड़ा हिस्सा खुद को नास्तिक बताता है। चेक गणराज्य साम्यवादी शासन के अधीन रहा था, जिस दौरान धर्म का दमन किया गया।



ब्रिटेन

लिस्ट में ब्रिटेन का नाम आश्चर्यजनक रूप से शामिल है। कभी ईसाई देश के रूप में पहचान रखने वाले ब्रिटेन में इस समय 72% आबादी किसी धर्म को नहीं मानती है। ऐतिहासिक रूप से ईसाईयत ने ब्रिटेन में केंद्रीय भूमिका अदा की है, लेकिन हाल के दशकों में धर्मनिरपेक्षता ब्रिटिश लोगों में महत्वपूर्ण कारक बनकर सामने आई है।



एस्टोनिया

एस्टोनिया यूरोप के सबसे ज्यादा धर्मनिरपेक्ष देशों में शामिल है, जहां अधिकांश आबादी खुद को गैर-धार्मिक के रूप में चिह्नित करती है। देश में 72 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं। सोवियत शासन के दौरान धर्म को यहां काफी दबाया गया।



बेल्जियम

हाल के दशकों में बेल्जियम में धार्मिक संबंद्धता में लगातार कमी आई है। धीरे-धीरे यह धर्मनिरपेक्षता ने नास्तिकता की ओर बढ़ रहा है। ऐतिहासिक रूप से कैथोलिक देश होने के बावजूद, आधुनिकीकरण और समाज में बदलाव की बढ़ती गति के साथ धार्मिक प्रभाव कम हो गया है। देश की 72 प्रतिशत आबादी गैर-धार्मिक है।



ऑस्ट्रेलिया

हाल के दशकों में ऑस्ट्रेलिया में नास्तिकता में और धर्मनिरपेक्षता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। हाल के समय में युवाओं में धार्मिक रुचि में कमी आई है। चर्च में उपस्थिति में कमी और खुद को गैर-धार्मिक बताने वाले लोगों की बढ़ती संख्या शहरी परिवेश में विशेष रूप से आम है। देश की 70 फीसदी आबादी नास्तिक है।



नॉर्वे

स्कैंडिनेवियाई क्षेत्र के सबसे धर्मनिरपेक्ष देशों में से एक है, जहां की बहुसंख्यक आबादी खुद गैर-धार्मिक या नास्तिक बताती है। हाल के दशकों में नार्वे में लोगों के जीवन पर धर्म का प्रभाव कम होता गया है। यहां 70 फीसदी लोग किसी धर्म को नहीं मानते हैं।



डेनमार्क

दुनिया के सबसे ज्यादा धर्मनिरपेक्ष देशों में से एक है। देश की 68 फीसदी खुद को किसी भी धर्म से नहीं जोड़ती है। हालांकि, ऐतिहासिक रूप से देश लूथेरियन चर्च से जुड़ा रहा है, लेकिन हाल के दशकों में धर्म का प्रभाव जीवन पर कम होता गया है। देश में शिक्षा के बढ़े स्तर ने धार्मिक परंपराओं के प्रति रुझान कम किया है।



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