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बीजेपी के 'ट्रबलशूटर' अमित शाह ने एक ही दौरे से कैसे NDA को दे दी राहत भरी खबर, जान लें पूरा मामला

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पटना: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की 'संकटमोचक' के तौर पर बनी छवि ने बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को शर्मिंदगी से बचा लिया। दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे से नाराज़ चल रहे बीजेपी नेताओं को मनाने में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति कारगर साबित हुई है। पार्टी के कई असंतुष्ट नेताओं ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था या ऐसा करने की तैयारी में थे, लेकिन अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। इससे बीजेपी को बड़ी राहत मिली है।


पटना साहिब से शिशिर कुमार ने वापस लिया नामांकन

पटना की मेयर सीता साहू के बेटे शिशिर कुमार ने बीजेपी की ओर से रत्नेश कुशवाहा को टिकट देने के बाद पटना साहिब सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया था। लेकिन अमित शाह से बातचीत के बाद उन्होंने नाम वापस ले लिया और पार्टी के निर्णय का सम्मान करने की बात कही।

गोपालगंज में BJP MLA ने बेटे का नामांकन रुकवाया

गोपालगंज से बीजेपी विधायक कुसुम देवी के बेटे अनिकेत कुमार ने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया था। लेकिन अमित शाह से हुई मुलाकात के बाद कुसुम देवी ने बेटे को चुनाव मैदान से हटने के लिए राज़ी किया और पार्टी प्रत्याशी का समर्थन करने की घोषणा की।

बक्सर और भागलपुर के बागी भी हुए शांतबक्सर में टिकट न मिलने से नाराज़ अमरेंद्र पांडेय ने बीजेपी उम्मीदवार को 'अर्बन नक्सल' कहते हुए निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया था। मगर बाद में उन्होंने अपनी 'भावनात्मक नजदीकी' और 'पार्टी नेतृत्व के प्रति सम्मान' का हवाला देते हुए नामांकन वापस ले लिया।

भागलपुर में बीजेपी की राज्य मीडिया पैनलिस्ट प्रीति शेखर भी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की तैयारी में थीं, लेकिन अमित शाह और अन्य वरिष्ठ नेताओं से बातचीत के बाद उन्होंने भी पीछे हटने का फैसला किया।

पूर्व मंत्री भी माने
पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा और रामसूरत राय को भी अमित शाह ने समझा-बुझाकर निर्दलीय रूप से मैदान में उतरने से रोक दिया। अमित शाह के हस्तक्षेप से बीजेपी को बिहार में संभावित अंदरूनी नुकसान से राहत मिली है।
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