नई दिल्ली: चीन ने अपनी ताकत दिखाई है। भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियां एक छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कंपोनेंट की सप्लाई में देरी का सामना कर रही हैं। चीन ने इसे फंसा रखा है। यह समस्या है रेयर अर्थ मैग्नेट्स की। भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर में रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई चेन में समस्या सामने आई है। चीन के नए निर्यात नियमों के कारण शिपमेंट में देरी हो रही है। इससे निर्माताओं ने चेतावनी दी है कि अगर सप्लाई जल्द बहाल नहीं हुई तो वाहन उत्पादन में महत्वपूर्ण व्यवधान हो सकता है। अप्रैल से शुरू हुई इस समस्या का कारण चीन की ओर से लगाए गए सख्त निर्यात नियंत्रण हैं। इसके चलते भारतीय कंपनियों को निर्यात मंजूरी मिलने में देरी हो रही है। वर्तमान में भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माताओं के पास रेयर अर्थ मैग्नेट्स का स्टॉक जून की शुरुआत तक ही चल पाएगा। समस्या के समाधान के लिए सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) का एक प्रतिनिधिमंडल चीनी अधिकारियों से मिलने के लिए चीन जाने की तैयारी कर रहा है। भारत सरकार भी राजनयिक माध्यमों से इस मामले में सहायता कर रही है।
इस समस्या के केंद्र में नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) चुंबक हैं। ये दुर्लभ चुंबक इलेक्ट्रिक और पारंपरिक दोनों वाहनों के लिए जरूरी हैं। इनका इस्तेमाल मोटर्स और स्टीयरिंग से लेकर ब्रेक, वाइपर और ऑडियो उपकरण तक के सिस्टम में होता है। इन चुंबकों के बिना एक छोटी सी कमी भी असेंबली लाइनों को धीमा कर सकती है।
90% से ज्यादा रेयर अर्थ मैग्नेट्स प्रोसेस करता है चीन
अप्रैल में चीन ने सख्त निर्यात नियंत्रण लागू किए। चीन दुनिया के 90% से ज्यादा रेयर अर्थ मैग्नेट्स को प्रोसेस करता है। नए नियमों के तहत निर्यातकों को शिपिंग से पहले सरकारी लाइसेंस और खरीदारों से विस्तृत अंतिम-उपयोग प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। इसे प्रक्रियात्मक अपडेट के रूप में पेश किया गया है। लेकिन, इसका परिणाम मंजूरी में धीमी रफ्तार है।
इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार, इसके चलते भारत आने वाले कई कंसाइनमेंट चीनी बंदरगाहों पर फंसे हुए हैं। इनमें कोई गतिविधि नहीं दिख रही है। कुछ यूरोपीय कंपनियों के उलट भारतीय फर्मों को अभी तक एक्सपोर्ट अप्रूवल नहीं मिला है। इससे इस बारे में चिंता बढ़ रही है कि उत्पादन पर कब दबाव महसूस होना शुरू हो सकता है।
चीन जाने को तैयार है प्रतिनिधमंडल
उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान इन्वेंट्री का स्तर जून तक खत्म हो सकता है। इस समस्या के समाधान के लिए सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) का एक प्रतिनिधिमंडल चीन जाने की तैयारी कर रहा है। उनका उद्देश्य चीनी अधिकारियों से मिलना और त्वरित मंजूरी प्राप्त करना है।
ईटी की रिपोर्ट में दावा किया गया है, भारत के वाणिज्य और विदेश मंत्रालय राजनयिक चैनलों के जरिये आउटरीच का सक्रिय रूप से समर्थन कर रहे हैं। भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 460 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स का आयात किया। लगभग सभी चीन से आयात किए गए थे। इस वर्ष 700 टन आयात करने की योजना थी। आज पैमाने पर कोई व्यवहार्य विकल्प मौजूद नहीं है, जो भारतीय उत्पादन लाइनों को उजागर करता है। दीर्घकालिक निर्भरता को कम करने के लिए भारत घरेलू उत्पादन के लिए योजनाओं को आगे बढ़ा रहा है।
इस समस्या के केंद्र में नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) चुंबक हैं। ये दुर्लभ चुंबक इलेक्ट्रिक और पारंपरिक दोनों वाहनों के लिए जरूरी हैं। इनका इस्तेमाल मोटर्स और स्टीयरिंग से लेकर ब्रेक, वाइपर और ऑडियो उपकरण तक के सिस्टम में होता है। इन चुंबकों के बिना एक छोटी सी कमी भी असेंबली लाइनों को धीमा कर सकती है।
90% से ज्यादा रेयर अर्थ मैग्नेट्स प्रोसेस करता है चीन
अप्रैल में चीन ने सख्त निर्यात नियंत्रण लागू किए। चीन दुनिया के 90% से ज्यादा रेयर अर्थ मैग्नेट्स को प्रोसेस करता है। नए नियमों के तहत निर्यातकों को शिपिंग से पहले सरकारी लाइसेंस और खरीदारों से विस्तृत अंतिम-उपयोग प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। इसे प्रक्रियात्मक अपडेट के रूप में पेश किया गया है। लेकिन, इसका परिणाम मंजूरी में धीमी रफ्तार है।
इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार, इसके चलते भारत आने वाले कई कंसाइनमेंट चीनी बंदरगाहों पर फंसे हुए हैं। इनमें कोई गतिविधि नहीं दिख रही है। कुछ यूरोपीय कंपनियों के उलट भारतीय फर्मों को अभी तक एक्सपोर्ट अप्रूवल नहीं मिला है। इससे इस बारे में चिंता बढ़ रही है कि उत्पादन पर कब दबाव महसूस होना शुरू हो सकता है।
चीन जाने को तैयार है प्रतिनिधमंडल
उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान इन्वेंट्री का स्तर जून तक खत्म हो सकता है। इस समस्या के समाधान के लिए सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) का एक प्रतिनिधिमंडल चीन जाने की तैयारी कर रहा है। उनका उद्देश्य चीनी अधिकारियों से मिलना और त्वरित मंजूरी प्राप्त करना है।
ईटी की रिपोर्ट में दावा किया गया है, भारत के वाणिज्य और विदेश मंत्रालय राजनयिक चैनलों के जरिये आउटरीच का सक्रिय रूप से समर्थन कर रहे हैं। भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 460 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स का आयात किया। लगभग सभी चीन से आयात किए गए थे। इस वर्ष 700 टन आयात करने की योजना थी। आज पैमाने पर कोई व्यवहार्य विकल्प मौजूद नहीं है, जो भारतीय उत्पादन लाइनों को उजागर करता है। दीर्घकालिक निर्भरता को कम करने के लिए भारत घरेलू उत्पादन के लिए योजनाओं को आगे बढ़ा रहा है।
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