बेंगलुरु: भारत में कंप्यूटर विज्ञान शिक्षा के 'पितामह' प्रोफेसर वैद्येश्वरन राजारमन अब इन दुनिया में नहीं रहे। उन्होंने टाटानगर स्थित अपने घर पर आखिरी सांसें लीं। प्रोफेसर राजारमन की वह शख्स थे, जिन्होंने देश में तकनीकी क्रांति की नींव रखी थी। प्रोफेसर का जन्म 1933 में हुआ था। उनके जीवन के 6 दशक का जीवन कंप्यूटर साइंस एजूकेशन को समर्पित रहे। प्रो राजारमन 92 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहा। प्रो राजारमण का कद कितना बड़ा था। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी स्टूडेंट की लिस्ट में इंफोसिस फाउंडर नारायण मूर्ति जैसी हस्तियों के नाम शामिल हैं। प्रोफेसर राजारमण के छह दशक के करियर में कई बड़ी उपलब्धियां उनके नाम पद दर्ज हुई। 1965 में IIT कानपुर कंप्यूटर साइंस में भारत का पहला फॉर्मल एकेडमिक प्रोग्राम शुरु होने का श्रेय उन्हीं के नाम है।
नारायण मूर्ति मानते थे गार्जियन
वैद्येश्वरन राजारमन के छात्रों में इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और TCS के पहले CEO फकीर चंद कोहली का नाम शामिल है। नारायण मूर्ति उनको हर एक छात्र के लिए गार्जियन के तौर पर मानते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नारायण मूर्ति ने कहा कि वह हर एक छात्र को सही मार्ग दिखाकर उसका मार्गदर्शन करते थे। नारायण मूर्ति ने कहा कि मैं साठ के दशक के अंत में आईआईटी कानपुर में उनका छात्र था। वह एक विद्वान और सज्जन व्यक्ति थे। वह और उनकी बहुत ही दयालु पत्नी, धर्मा, आईआईटीके के ईई विभाग के प्रत्येक छात्र के लिए अभिभावक की तरह थे। वह हमेशा किसी भी मार्गदर्शन के लिए उपलब्ध रहते थे।
हमेशा याद किए जाएंगे राजारमन
1982 से 1994 तक IISc में सुपरकंप्यूटर शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (SERC) के अध्यक्ष के रूप में, प्रोफ़ेसर राजारमन ने भारत की सुपरकंप्यूटिंग और समानांतर कंप्यूटिंग क्षमताओं का निर्माण किया और अनुसंधान संस्थानों को उन्नत कम्प्यूटेशनल संसाधनों से सशक्त बनाया। उनके विजन ने विज्ञान और वाणिज्य स्नातकों के लिए मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (MCA) कार्यक्रम की स्थापना की, जिससे उभरते आईटी उद्योग में महत्वपूर्ण मानव संसाधन आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। 1987 में, प्रधानमंत्री की विज्ञान सलाहकार परिषद द्वारा गठित एक समिति की अध्यक्षता करते हुए, उन्होंने स्वदेशी सुपरकंप्यूटर विकसित करने के लिए उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र की स्थापना की सिफारिश की।
मैंने कभी क्रोधित नहीं देखा
प्रोफ़ेसर राजारमन ने IISc में एक छात्र के रूप में PREDA के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। एसईआरसी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सुपर कंप्यूटर विशेषज्ञ प्रोफेसर एन बालकृष्णन (बाल्की) ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वे उन महान दूरदर्शी लोगों में से एक हैं जिन्होंने सुपर कंप्यूटर के बारे में तब सोचा जब लोग यह भी नहीं जानते थे कि इसे एक शब्द में लिखा जाता है या दो में। कंप्यूटर शिक्षा में उनके योगदान के बारे में कोई दो राय नहीं है। सबसे बढ़कर वे एक महान इंसान थे। मैंने उनके साथ अपने इतने सालों के जुड़ाव में उन्हें कभी क्रोधित नहीं देखा। यह एक बहुत बड़ी क्षति है।
डिजिटल शासन में निभाई भूमिका
इंफोसिस के सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन ने कहा कि प्रोफेसर राजारमन भारतीय कंप्यूटर विज्ञान शिक्षा के पुरोधा हैं। उनकी पाठ्यपुस्तकें कई भारतीय छात्रों के लिए प्रोग्रामिंग का पहला परिचय हैं। हमने भारत में कंप्यूटर उद्योग के एक अग्रणी को खो दिया है। इतना ही नहीं ई-गवर्नेंस में प्रोफेसर राजारमन का योगदान परिवर्तनकारी था। कर्नाटक के तकनीकी सलाहकार पैनल (1985-2014) के सदस्य के रूप में उन्होंने भूमि पंजीकरण के लिए भूमि परियोजना और संपत्ति पंजीकरण के लिए कावेरी परियोजना सहित ऐतिहासिक पहलों का मार्गदर्शन किया। इससे भारत में डिजिटल शासन का मार्ग प्रशस्त हुआ। प्रोफेसर वैद्येश्वरन राजारमन को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (1976) मिला और उन्हें 1998 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। प्रोफेसर राजारमन का अंतिम संस्कार शनिवार को किया गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी धर्मा राजारमन हैं।
नारायण मूर्ति मानते थे गार्जियन
वैद्येश्वरन राजारमन के छात्रों में इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और TCS के पहले CEO फकीर चंद कोहली का नाम शामिल है। नारायण मूर्ति उनको हर एक छात्र के लिए गार्जियन के तौर पर मानते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नारायण मूर्ति ने कहा कि वह हर एक छात्र को सही मार्ग दिखाकर उसका मार्गदर्शन करते थे। नारायण मूर्ति ने कहा कि मैं साठ के दशक के अंत में आईआईटी कानपुर में उनका छात्र था। वह एक विद्वान और सज्जन व्यक्ति थे। वह और उनकी बहुत ही दयालु पत्नी, धर्मा, आईआईटीके के ईई विभाग के प्रत्येक छात्र के लिए अभिभावक की तरह थे। वह हमेशा किसी भी मार्गदर्शन के लिए उपलब्ध रहते थे।
हमेशा याद किए जाएंगे राजारमन
1982 से 1994 तक IISc में सुपरकंप्यूटर शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (SERC) के अध्यक्ष के रूप में, प्रोफ़ेसर राजारमन ने भारत की सुपरकंप्यूटिंग और समानांतर कंप्यूटिंग क्षमताओं का निर्माण किया और अनुसंधान संस्थानों को उन्नत कम्प्यूटेशनल संसाधनों से सशक्त बनाया। उनके विजन ने विज्ञान और वाणिज्य स्नातकों के लिए मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (MCA) कार्यक्रम की स्थापना की, जिससे उभरते आईटी उद्योग में महत्वपूर्ण मानव संसाधन आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। 1987 में, प्रधानमंत्री की विज्ञान सलाहकार परिषद द्वारा गठित एक समिति की अध्यक्षता करते हुए, उन्होंने स्वदेशी सुपरकंप्यूटर विकसित करने के लिए उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र की स्थापना की सिफारिश की।
मैंने कभी क्रोधित नहीं देखा
प्रोफ़ेसर राजारमन ने IISc में एक छात्र के रूप में PREDA के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। एसईआरसी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सुपर कंप्यूटर विशेषज्ञ प्रोफेसर एन बालकृष्णन (बाल्की) ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वे उन महान दूरदर्शी लोगों में से एक हैं जिन्होंने सुपर कंप्यूटर के बारे में तब सोचा जब लोग यह भी नहीं जानते थे कि इसे एक शब्द में लिखा जाता है या दो में। कंप्यूटर शिक्षा में उनके योगदान के बारे में कोई दो राय नहीं है। सबसे बढ़कर वे एक महान इंसान थे। मैंने उनके साथ अपने इतने सालों के जुड़ाव में उन्हें कभी क्रोधित नहीं देखा। यह एक बहुत बड़ी क्षति है।
डिजिटल शासन में निभाई भूमिका
इंफोसिस के सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन ने कहा कि प्रोफेसर राजारमन भारतीय कंप्यूटर विज्ञान शिक्षा के पुरोधा हैं। उनकी पाठ्यपुस्तकें कई भारतीय छात्रों के लिए प्रोग्रामिंग का पहला परिचय हैं। हमने भारत में कंप्यूटर उद्योग के एक अग्रणी को खो दिया है। इतना ही नहीं ई-गवर्नेंस में प्रोफेसर राजारमन का योगदान परिवर्तनकारी था। कर्नाटक के तकनीकी सलाहकार पैनल (1985-2014) के सदस्य के रूप में उन्होंने भूमि पंजीकरण के लिए भूमि परियोजना और संपत्ति पंजीकरण के लिए कावेरी परियोजना सहित ऐतिहासिक पहलों का मार्गदर्शन किया। इससे भारत में डिजिटल शासन का मार्ग प्रशस्त हुआ। प्रोफेसर वैद्येश्वरन राजारमन को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (1976) मिला और उन्हें 1998 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। प्रोफेसर राजारमन का अंतिम संस्कार शनिवार को किया गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी धर्मा राजारमन हैं।
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